पिछले कुछ दिनों में कुछ बातें स्पष्ट हुई है। एक तो यह कि कांग्रेस इस देश को बर्बाद करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। दूसरी यह कि एक लिबरल दूसरे लिबरल को बचाने के लिए सिर्फ एक इशारे पर अभिव्यक्ति की आज़ादी और लोकतान्त्रिक मूल्यों को अपने पैरों तले रौंदने को भी तैयार है। हम बात कर रहे हैं ट्विटर और कांग्रेस की मिलीभगत की! आपको पता ही होगा कि Toolkit कांड में भी कांग्रेस को ट्विटर से भरपूर समर्थन हासिल हुआ है। अब समय आ चुका है कि भाजपा ट्विटर को उसकी औकात बताए और ये भी संदेश दे कि उसके लिए राष्ट्र हित से ऊपर कुछ नहीं है।
लेकिन अब ट्विटर ने ऐसा क्या किया है? दरअसल, कुछ दिन पहले भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सम्बित पात्रा ने एक डॉक्यूमेंट देश के साथ साझा किया, जिसमें कांग्रेस की नीच मानसिकता का कच्चा चिट्ठा मौजूद था। इस टूलकिट ने पूरी तरह उजागर किया कि कैसे कांग्रेस वुहान वायरस की आड़ में देश को बर्बाद करने पर तुली हुई थी। यह टूलकिट जब सामने आई, तो ज़ाहिर था कि कांग्रेस को यह पसंद नहीं आया! कांग्रेस की एक शिकायत पर ट्विटर इंडिया ने तुरंत इसे ‘Manipulated Media’ यानि भ्रामक मीडिया की श्रेणी में डाल दिया। इतना ही नहीं, 5 अन्य नेताओं के ट्वीट्स को भी ट्विटर इंडिया ने इसी श्रेणी में डाल दिया है।
लेकिन केंद्र सरकार ने भी इस अपमान को हल्के में नहीं लिया है। ट्विटर की हेकड़ी को आड़े हाथों लेते हुए मोदी सरकार ने स्पष्ट किया है कि ट्विटर Investigation agency बनने का प्रयास न करे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, “सरकार ने अपने रुख को कड़ा करते हुए कहा है कि मामले की जांच के दौरान ट्विटर अपना फैसला नहीं सुना सकता है। ट्विटर द्वारा इस तरह का content moderation उसकी “Intermediary” के रूप में स्थिति पर सवालिया निशान लगाता है। मंत्रालय ने आरोप लगाया कि ट्विटर की कार्रवाई “पूर्वाग्रही और स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसी द्वारा जांच को प्रभावित करने के लिए जानबूझकर किया गया प्रयास प्रतीत होता है।”
लेकिन सम्बित पात्रा के ट्वीट से ‘Manipulated Media’ का टैग हटाना तो दूर की बात, ट्विटर ने उलटे 5 अन्य नेताओं के ट्वीट्स पर भी वही टैग लगा दिया। ऐसे में अब इतना तो स्पष्ट है कि भारत को सिर्फ लताड़ लगाने से कुछ प्राप्त नहीं होगा, बल्कि कुछ सख्त एक्शन भी लेना होगा। चूंकि भारत ने टिक-टॉक जैसे प्रभावशाली Apps को ऐसे समय में लात मारके भगाया, जब चीन के विरुद्ध एक्शन लेने में बड़े से बड़े देश भी कांप रहे थे, इसलिए ट्विटर को उसकी औकात बताना कोई कठिन काम नहीं है।
पिछले कुछ समय से ट्विटर के रुख पर नज़र डाली जाये तो यह समझ में आएगा कि यह बिग टेक कंपनी भारत में कुछ बड़ा करने की फिराक में है। कृषि कानून के विरोध में की गयी हिंसा के समय में भी ट्विटर का यही रूप देखने को मिला था। सरकार ने फेक न्यूज़ फैलाते कुछ accounts को ब्लॉक करने का निर्देश दिया तो ट्विटर ने कुछ घंटों के बाद ही उन accounts को वापस restore कर दिया! इतना ही नहीं, उल्टा ट्विटर ने सरकार को ही देश का कानून पढ़ाना शुरू कर दिया।
TFI की चीफ़ एडिटर शुभांगी शर्मा ने भी यही बात सामने रखी है। उनके ट्वीट के अनुसार “पिछले कुछ समय से ट्विटर जान-बूझकर भारत सरकार को उकसा रहा है। यह मात्र एक संयोग नहीं हो सकता। जो दिखाई दे रहा है, एजेंडा उससे कहीं बड़ा है। सरकार को जल्द से जल्द इसकी तह तक जाना चाहिए, इससे पहले की बात हाथ से निकल जाए!”
Twitter has been deliberately provoking the Indian government. These spats are not coincidental. The agenda is far greater than what meets the eye. The Indian govt would be wise to get to the bottom of it, whichever way they deem fit, before it gets worse.
— Shubhangi Sharma (@ItsShubhangi) May 22, 2021
ट्विटर पर अब कुछ सख्त कार्रवाई करने का समय आ गया है! भारत में हम इसे वो करने नहीं देंगे, जो ट्विटर ने अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प के साथ किया! समय अब एक्शन का है!