कुछ लोग सिर्फ समस्या गिनाने और उसका रोना रोने में विश्वास रखते हैं, और कुछ समस्या को देखते ही उसके समाधान खोजने में जुट जाते हैं। उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उन्हीं में से एक हैं। जहां कोरोना वायरस की दूसरी लहर के चपेट में आने के कारण छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र जैसे राज्य बेबस दिखाई दिये, तो वहीं योगी आदित्यनाथ ने ऐसी व्यवस्था की कि अब WHO जैसे संगठनों तक को उत्तर प्रदेश प्रशासन की प्रशंसा करनी पड़ रही है।
सिर्फ शहरों में नहीं, UP में गांवों के स्तर तक कोरोना के खिलाफ जंग लड़ी जा रही है। शायद यही कारण है कि अब खुद WHO ने UP के प्रशासन की तारीफ़ की है। WHO के ट्वीट थ्रेड के अनुसार, “भारत की सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश ने वुहान वायरस से निपटने के लिए एक अनूठा तरीका खोज निकाला है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस महामारी को पहुँचने से रोकने हेतु सरकार ने हर घर की जांच पड़ताल करनी शुरू कर दी है। सर्वेक्षण टीमों ने अब तक 97000 से अधिक गांवों का दौरा किया है। जो संक्रमित पाए जाते हैं, उन्हे आइसोलेट करने की व्यवस्था के साथ सरकार की ओर से निशुल्क मेडिकल किट भी दी जाती है”।
In #India's 🇮🇳 most populous state Uttar Pradesh, the state gov. has initiated house-to-house active case finding of #COVID19 in rural areas to contain transmission by testing people with symptoms for rapid isolation, disease management & contact tracing
👉https://t.co/pbDi98UByQ pic.twitter.com/7H2yXcU0if— World Health Organization (WHO) (@WHO) May 10, 2021
लेकिन ये काम इतना आसान नहीं था। जब अप्रैल के प्रारंभ में वुहान वायरस की दूसरी लहर ने पाँव पसारना शुरू किया था, तो उत्तर प्रदेश एक साथ तीन समस्याओं से जूझ रहा था। एक तो न चाहते हुए भी पंचायत चुनाव कराने का दबाव, उसके अलावा महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और दिल्ली की प्रशासनिक अकर्मण्यता के कारण उत्पन्न हो रहा आव्रजन संकट, और ऊपर से अखिलेश यादव जैसे नेताओं के नेतृत्व में टीकाकरण के विरुद्ध चलाया जा रहा बेतुका अभियान! आप यह भूले नहीं होंगे जब विपक्ष द्वारा भाजपा की वैक्सीन बोलकर लोगों को टीका न लगवाने के लिए भड़काया जा रहा था।
लेकिन समस्या केवल यहीं पर खत्म नहीं हुई। इससे पहले कि स्थिति को नियंत्रण में लाया जाता, 14 अप्रैल को स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोविड 19 से संक्रमित पाए गए। इसके अलावा जैसे-जैसे मामलों की गंभीरता सामने आने लगी, आवश्यक दवाइयों और मेडिकल ऑक्सीजन की कालाबाज़ारी भी तेज हो गई।
लेकिन जो समस्या में भी समाधान ढूंढ निकाले, उसी को योगी कहते हैं। एक सच्चे योगी के भांति योगी आदित्यनाथ तनिक भी विचलित नहीं हुए और होम आइसोलेशन में रहते हुए भी उन्होंने स्थिति पर पूरा नियंत्रण रखा। एक समय राज्य में प्रतिदिन जब 35,000 से अधिक मामले सामने आ रहे थे, और ऐसा लग रहा था कि जल्द ही यूपी संक्रमण दर में महाराष्ट्र को भी पीछे छोड़ सकता है, तो योगी आदित्यनाथ ने कई अहम निर्णयों के जरिए उत्तर प्रदेश को एक बार फिर वुहान वायरस के प्रकोप से बचाया। जहां-जहां भी कालाबाज़ारी के मामले पकड़े गए, वहाँ-वहाँ आरोपियों के विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट और रासुका के अंतर्गत मुकदमा चलाया गया।
इसके अलावा मेडिकल ऑक्सीजन को लेकर योगी आदित्यनाथ काफी गंभीर रहे। जहां-जहां भी लोग मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन करने को तैयार थे, वहाँ वहाँ उन्हें खूब प्रोत्साहन दिया गया। इसके अलावा टीकाकरण के अभियान को लेकर जहां अन्य राज्य संसाधनों का रोना रो रहे थे, तो वहीं योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी ने सुनिश्चित किया कि किसी भी स्थिति में प्रदेश में टीकों की कमी न होने पाए।
आज योगी सरकार के इन्ही प्रयासों का परिणाम है कि यूपी में रिकवरी दर संक्रमण दर को मीलों पीछे छोड़ चुका है। कभी जहां 50,000 मामले प्रतिदिन सामने आने का अनुमान लगाया जा रहा था, वहाँ अब आए दिन केवल 25,000 से भी कम मामले दर्ज किए जा रहे हैं। अब जब WHO तक को यूपी की व्यवस्था की प्रशंसा करने पर विवश होना पड़ा है, तो आप भली भांति समझ सकते हैं कि उत्तर प्रदेश में इस समय स्वास्थ्य व्यवस्था कैसी है।