वुहान वायरस संक्रमण की दूसरी लहर को नियंत्रण में रखने के लिए देश भर में सिर्फ कुछ ही मॉडल काम आए है। जैसे कि – मुंबई मॉडल, वाराणसी मॉडल, लखनऊ मॉडल और कुछ अन्य। मुंबई मॉडल की चर्चा तो उद्धव सरकार और लिबरल मीडिया द्वारा बहुत की गई, लेकिन उससे भी कहीं ज्यादा सफल साबित हुआ है वाराणसी मॉडल।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र बनारस के “वाराणसी मॉडल” की तारीफ करते नहीं थक रहे है। कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो अलग- अलग मीटिंग में वाराणसी मॉडल का जिक्र किया और इस मॉडल को बाकी के शहरों में भी अपनाने की बात कही।
दरअसल, प्रधानमंत्री ने कल (20 मई) चक्रवात ताउते से बनी स्थिति का निरीक्षण करने के लिए गुजरात का दौरा किया जहां उन्होंने अहमदाबाद में एक बैठक की अध्यक्षता की। पीएम ने इस बैठक में गुजरात सरकार से कहा कि आपको कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए वाराणसी मॉडल से सीखने की जरूरत है।
इतना ही नहीं कल एक दूसरी वर्चुअल बैठक जिसमें 10 राज्यों के 54 जिलों के जिलाधिकारियों (DM) की उपस्थिति थी। इस बैठक में भी जिला अधिकारियों से बातचीत में पीएम मोदी ने ‘वाराणसी मॉडल’ की तारीफ की।
आखिर क्यों पीएम मोदी वाराणसी मॉडल की चर्चा करते नहीं थक रहे है। क्योंकि 23 अप्रैल के आस पास प्रतिदिन 2700 नए कोरोना के मामले सामने आ रहे थे और आज कल नए संक्रमण के मामले घटकर 300 के आस पास ही रह गए है। इस कारनामे के पीछे सबसे बड़ा योगदान वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा का है।
वाराणसी जिलाधिकारी ने बनारस में कोरोना कर्फ्यू लगाने से पहले वहां के व्यापारियों से बात की और फिर सभी की सहमति से कर्फ्यू का ऐलान किया। इससे क्या हुआ कि जनता और प्रशासन मिलकर इस महामारी का सामना एक साथ मिलकर करते हुए नजर आए। जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने कर्फ्यू लगाने में कोई जल्दबाजी नहीं की यहां तक की इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा लॉकडाउन के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा, पर फिर भी कोरोना कर्फ्यू तभी लगाया गया जब जरूरत आ पड़ी।
ऐसे में सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी यानी कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण भी पाया जा सका और व्यापार को भी ज्यादा नुकसान नहीं हुआ।
इसके अलावा टेस्टिंग, ट्रैकिंग और ट्रीटमेंट की व्यवस्था को मजबूत किया गया। प्राइवेट अस्पतालों से मिलकर कोविड वार्ड बनाया गया, बेड्स की संख्या में बढ़ोतरी किया गया। ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए DRDO की मदद से ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया।
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आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पीएमओ ने हमेशा वाराणसी की स्थिति पर नजर बनाए रखी है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व से वाराणसी जिले में कोरोना संक्रमण पर काबू पाया जा सका है।