पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री का पहले तो अपमान किया, और अब वो हुए इस ऐतिहासिक डैमेज को कंट्रोल करने के लिए विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी को निशाना बना रही हैं। ममता ने पीएम की मीटिंग में देर से आने को लेकर पीएम मोदी के कार्यक्रम और मीटिंग में बीजेपी नेताओं की मौजूदगी को जिम्मेदार ठहराया है। साफ है कि ममता के मुख्य सचिव पर केंद्र द्वारा हुई कार्रवाई के बाद वो बैकफुट पर आ गई हैं, जिसके चलते ऐसे बेबुनियाद बहाने बना रही हैंं। बंगाल की जनता के हित को लेकर पीएम के पैर छूने की बात करने वाली ममता असल में उन्हें अपमानित करने का एक भी मौका नहीं छोड़ रही हैं। वहीं इस पूरे प्रकरण की धुरी बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी बन गए हैं, क्योंकि ममता हार के बाद उनका सामना तक नहीं कर पा रही हैं, और इसीलिए उन्होंने सुवेंदु से खुन्नस के कारण प्रधानमंत्री तक का अपमान कर दिया।
ममता बनर्जी ने यास तूफान के कारण हुए नुकसान को लेकर समीक्षा बैठक की, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले तो अपने मुख्य सचिव के साथ आधे घंटे की देरी से आईं, और जब आईं तो नुकसान के दस्तावेज देकर तुरंत ही निकल गईं। उनका ये रवैया शर्मनाक है, आज तक किसी भी मुख्यमंत्री ने देश के किसी भी प्रधानमंत्री के साथ इस निचले स्तर का व्यवहार नहीं किया है। इसको लेकर ममता की चारों तरफ आलोचना होने लगी है, जिसके बाद अब ममता बनर्जी ने बहाने बनाने शुरू कर दिए हैं। उनके बहाने का मुख्य केंद्र बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता और बीजेपी विधायक सुवेंदु अधिकारी हैं।
ममता बनर्जी ने अपनी सफाई में केंद्र पर हमला बोलते हुए पीएम की समीक्षा बैठक में विपक्षी नेताओं के भी शामिल होने का विरोध करते हुए इसे एक राजनीतिक बैठक करार दिया। उन्होंने कहा, “जब मुख्य सचिव और हम वहां पहुंचे तो देखा कि पीएम गवर्नर, केंद्रीय नेताओं और विपक्षी दल के विधायकों के साथ मीटिंग कर रहे थे। यह मीटिंग केवल राजनीतिक बदला लेने के लिए बुलाई गई थी। ओडिशा और गुजरात में हुई समीक्षा बैठक में तो राज्यपाल और विपक्ष के नेताओं को नहीं बुलाया गया था।” ममता ने मीटिंग में देर से आने की वजह पीएम के कार्यक्रम को ही ठहरा दिया है। उनका आरोप है कि पीएम के कार्यक्रम के मुताबिक वो खुद 20 मिनट लेट आने वाले थे।
ममता बनर्जी ने विपक्षी नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा है कि वो इस बात से अनभिज्ञ थीं। उन्होंने कहा, “हमें जो बताया गया यह उसके एकदम उलट था। यह मीटिंग केवल पीएम और सीएम के साथ होनी थी। इसलिए हमने पीएम को रिपोर्ट सौंपने का फैसला किया और दीघा के दौरे की उनसे अनुमति मांगी। मैंने प्रधानमंत्री से तीन बार अनुमति मांगी।” ममता बनर्जी की नाराजगी बीजेपी नेताओं से नहीं बल्कि सुवेंदु अधिकारी से थी, लेकिन ममता झूठ बोल रही हैं, क्योंकि उन्हें पहले ही पता चल चुका था कि सुवेंदु इस मीटिंग में होंगे। यही कारण है कि पहले ममता के मीटिंग में न आने के कयास लग रहे थे।
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वहीं इस मामले में ममता बनर्जी पर बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने तगड़ा हमला बोला है जो कि ममता को अधिक चभेगा। उन्होंने कहा, “आप जैसा चाहें वैसा नहीं कर सकते। आप नंदीग्राम में हार गई हैं। एक गैर विधायक मुख्यमंत्री, विधायक का अपमान नहीं कर सकता जो जीता है। ममता ने परंपरा और नियमों को तोड़ा है।” ममता पहले ही नंदीग्राम में हार का मुंह देखने के बाद सुवेंदु के खिलाफ आक्रोशित हैं। ऐसे में सुवेंदु के इस बयान के बात तो ममता आग बबूला हो गई हैं।
इसके इतर केंद्रीय गृहमंत्रालय ने बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उनका तबादला कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने अलपन का तबादला करते हुए 31 मई 2021 सुबह 10 बजे तक भारत सरकार की डीओपीटी में रिपोर्ट करने के लिए कहा है। केन्द्र द्वारा उठाया गया ये कदम ममता के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं हैं। इसलिए वो विपक्षी नेताओं का नाम लेकर सुवेंदु अधिकारी को टारगेट कर रही हैं। ये दिखाता है कि ममता सुवेंदु से मिली हार को पचा नहीं पा रही हैं। इसीलिए वो सुवेंदु का सामना करने में असमर्थ हैं, और उनका नाम सुनते ही भड़क जाती हैं।