बंगाल में भले ही ममता बनर्जी ने लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल की हो, परंतु इस बार चंद बुद्धिजीवियों और कुछ असामाजिक तत्वों को छोड़कर कोई भी उसके पक्ष में नहीं है। जिस प्रकार से तृणमूल कांग्रेस के आधिकारिक गुंडे बंगाल में त्राहिमाम मचा रहे हैं, उससे कई लोग आग बबूला हैं, जिसमें भाजपा के सांसद और बंगाल में भाजपा के कद्दावर नेता अर्जुन सिंह भी शामिल हैं।
बंगाल भाजपा के उपाध्यक्ष अर्जुन सिंह उन लोगों में शामिल हैं, जो हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठे रह सकते हैं। उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट से अपना रोष प्रकट करते हुए कहा है, “मैं सनातनी हिन्दू हूँ, और अपने धर्म की रक्षा के लिए जान देने को भी तैयार हूँ। यदि हम अपने कर्मियों की रक्षा नहीं कर सकते तो फिर जनप्रतिनिधि बने रहने का औचित्य नहीं है। यदि पार्टी अनुमति दे तो बंगाल भाजपा के सारे जनप्रतिनिधि इस्तीफा देकर कर्मियों को बचाने के लिए सड़क पर उतर जाएं”।
अर्जुन सिंह का आक्रोश यूं ही नहीं उमड़ा। पिछले दो दिनों में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने जिस प्रकार से बंगाल में त्राहिमाम मचाया है, उससे सभी विपक्षी दलों में खलबली मच गई है। जिस प्रकार से स्पष्ट तौर पर बंगाली हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है, उससे स्पष्ट पता चल रहा है कि कैसे डायरेक्ट एक्शन डे जैसी त्रासदी को दोहराने का प्रयास किया जा रहा है।
ऐसे में भाजपा के नेतृत्व में केंद्र सरकार क्या कर रही है? कहने को केंद्र सरकार अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभा रही हैं, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए उन्हें पर्याप्त कहना उचित नहीं होगा। जब सामने शत्रु को अधर्म के सिवा कुछ न आता हो, तो धरना प्रदर्शन कर आप कहीं से भी योग्य नहीं कहलाएंगे, और जिस भारतीय जनता पार्टी ने डंके की चोट पर बड़े से बड़े नेता को मुंहतोड़ जवाब दिया है, वो इस प्रकार के बचकाने कदम उठाए, ये सही नहीं है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी पश्चिम बंगाल पहुंचे हैं और हिंसा पीड़ित परिवारों से मुलाक़ात की, इस मौके पर नड्डा के साथ बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष, कैलाश विजयवर्गीय और भूपेंद्र यादव समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे. नड्डा ने कहा, कार्यकर्ताओं की शहादत जाया नहीं जाएगी।
अब कहने को भाजपा अध्यक्ष ने मृतकों के परिवारों से निजी स्तर पर बातचीत की है, और कुछ लोगों को अर्धसैनिक बल की सहायता भी पहुंचाई है, परंतु इतना काफी नहीं है, और शायद इसीलिए अर्जुन सिंह को आक्रामक रुख अपनाने पर विवश होना पड़ा है।