आज हम बात करेंगे एक ऐसे शख्स की जिसने अकेले भारत के दशकों पुरानी राजनीतिक पार्टियों समेत कई धुरंधर राज नेताओं के पसीने छुड़ा दिये हैं। बात यहां तक पहुंच गई कि अब राजनेताओं को उस अकेले शख्स की फरियाद भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री तक को करनी पड़ गई। यह शख्स और कोई नहीं केंद्रीय शासित राज्य लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल खोडा पटेल है।
प्रफुल्ल पटेल ने बीते साल दिसंबर में लक्षद्वीप के प्रशासक के तौर पर जिम्मेदारी संभाली थी। इसके बाद उन्होंने द्वीप के जुड़े कुछ नियम कानून को लेकर ड्राफ्ट तैयार किया। इनमें एनिमल प्रिजर्वेशन रेग्युलेशन, लक्षद्वीप प्रिवेंशन ऑफ एंटी सोशल एक्टिविटीज रेग्युलेशन, लक्षद्वीप डेवलपमेंट अथॉरिटी और लक्षद्वीप पंचायत स्टाफ रूल्स में संशोधन शामिल है।
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यह ही कुछ मुख्य संशोधन और रूल्स है जिसके बाद से प्रशासक प्रफुल्ल पटेल को लेकर लक्षद्वीप में विरोध तेज हो गया है। उनके लाए गए नए संशोधन के विरोध में केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने ट्वीट किया और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी ट्विटर पर पटेल के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। इतना ही नहीं केरल के राज्यसभा सांसद एलाराम करीम ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर पटेल को तत्काल वापस बुलाने का अनुरोध किया है। कुल मिलाकर इस अकेले इंसान ने भारत के राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दिया है।
गुजरात विधानसभा के विधायक और गुजरात सरकार में मंत्री का पद संभाल चुके प्रफुल्ल पटेल ने लक्षद्वीप में कदम रखते ही द्वीप में बदलाव के बिगुल फूंक दिये। पटेल आते ही गुंडा एक्ट लेकर आए, जिससे द्वीप के इस्लामिस्ट गतिविधियों पर पूर्ण विराम लगाया जा सके। आपको बता दें कि लक्षद्वीप में 90 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम है। द्वीप में बिना वजह के CAA-NRC विरोध को भी हवा दिया जाने लगा था। गुंडा एक्ट द्वीप में शांति सुनिश्चित करने के मकसद लाया गया है जिसके विरोध में अशांति प्रिय लोग सोशल मीडिया पर save lakshadweep के नाम से ट्रेंड चला रहे हैं।
बता दें कि पटेल ने वो कारनामा कर दिखाया जिसे करने के लिए भारत सरकार अभी सोच ही रही है। पटेल ने पंचायत रूल्स में संशोधन किया है कि दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को पंचायत चुनाव में भाग लेने से अयोग्य ठहराया जाएगा। एक तरह से देखे तो यह population control bill के आधार पर है। आखिर प्रफुल्ल पटेल को द्वीप की जनसंख्या को नियंत्रण में रखने के लिए ऐसा कदम क्यों उठाना पड़ा। इसके पिछे तर्क तथ्य है।
बता दें कि लक्षद्वीप में कुल 36 द्वीप है पर प्रकृति को देखते हुए रहने लायक सिर्फ द्वीप है। इन द्वीपों की कुल आबादी लगभग 80,000 है, जो एक द्वीप में 10,000 लोगों में तब्दील हो जाती है तो 2 वर्ग किमी भूमि में लगभग 6,000 भूमि मालिक हैं। बित्रा (0.105 वर्ग किमी) जैसे छोटे द्वीपों में लगभग 200 लोग रहते हैं। अथार्त लक्षद्वीप में वर्ग क्षेत्र से ज्यादा आबादी बढ़ गई है, जिसको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था। इसी कारण प्रफुल्ल पटेल को पंचायत के नियमों में बदलाव करना पड़ा है।
प्रफुल पटेल के विरोध का तीसरा सबसे प्रमुख कारण है बीफ बैन। बीफ बैन के पीछे का कारण है मासूम जानवरों का संरक्षण करना। जहां तक इस कदम की सराहना की जानी चाहिए, परंतु इस्लामिस्टों ने इस फैसले के खिलाफ मुहिम छेड़ दि है। उनका तर्क यह है कि पटेल द्वीप को भगवा करने के फिराक में हैं। ऐसे फैसले धर्म के आधार पर नहीं होने चाहिए।
लिबरल और इस्लामिस्टों का पाखंड तब समाने आया, जब पटेल ने मुस्लिम बहुमूल्य द्वीप में शराब से पाबंदी को हटा दिया, क्योंकि मुस्लिम समुदाय में शराब हराम माना जाता है, इसलिए वो भड़क गए। गौरतलब है कि इस्लामिस्टों ने इस फैसले को द्वीप के आर्थिक विकास से जोड़कर नहीं देखा।
इसके बाद प्रफुल पटेल द्वारा लाए गए लक्षद्वीप डेवलपमेंट अथॉरिटी ड्राफ्ट में संशोधन का विरोध पुरजोर तरीके से हो रहा है। जिसके बारे में पटेल ने कहा, “ड्राफ्ट का विरोध लक्षद्वीप के लोग नहीं बल्कि वे कुछ लोग कर रहे हैं, जिनका लाभ खत्म हो रहा है। इसके अलावा मुझे इसमें कुछ भी खराब नहीं लगता, जिसका विरोध होना चाहिए। लक्षद्वीप मालदीव से ज्यादा दूर नहीं है, लेकिन मालदीव एक ग्लोबल टूरिस्ट डेस्टिनेशन है और लक्षद्वीप इतने सालों में विकास भी नहीं देख पाया है। हम इसे पर्यटन, नारियल, मछली का ग्लोबल हब बनाना चाहते हैं।”
प्रफुल्ल पटेल इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि अगर कोई इंसान चाहे तो क्या नहीं कर सकता है। अगर उसके मन में बदलाव लाने के लिए दृढ़ संकल्प है तो वह जरूर बदलाव ला सकता है। ऐसे में हम उम्मीद करते है कि पटेल बिना आलोचकों पर ध्यान दिए, लक्षद्वीप के विकास कार्यों में अग्रसर करते रहे तथा कड़े नियम कानून व्यवस्था के बल पर द्वीप में शांति सुनिश्चित रखे।