पश्चिम बंगाल हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को थमाया नोटिस
पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद हुई हिंसा में दो भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या की सीबीआई जांच कराने की मांग वाली याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट ने ममता बनर्जी की सरकार से जवाब मांगा है। यानी अब सुप्रीम कोर्ट ने ममता बनर्जी से पूछा है कि आप राज्य में हुई हिंसा की जाँच CBI को क्यों नहीं सौंप रही है?
जस्टिस विनीत सरन और BR Gavai की पीठ हिंसा के दौरान मारे गए भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार के भाई बिस्वजीत सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हालाँकि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा आम बात है लेकिन यह तब और बढ़ गयी जब ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस ने विधान सभा के चुनावों में जीत हासिल की।
TMC के कार्यकर्ताओं ने हिंसा का ऐसा तांडव मचाया कि BJP समर्थक वोटरों को असम भाग कर शरण लेना पड़ा। यही नहीं इस दौरान महिलाओं को भी नहीं बक्शा गया जिसके बाद महिला आयोग को हस्तक्षेप करना पड़ा। शीर्ष अदालत के समक्ष याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की प्रार्थना की गई ताकि अविजीत सरकार और बंगाल भाजपा बूथ कार्यकर्ता हारन अधिकारी की हत्या की जांच की जा सके।
याचिका में बताया गया गया था कि कैसे 2 मई को, अविजीत सरकार को उनके घर के बाहर घसीटा गया और “हत्या” की गई। याचिकाकर्ता के साथ सह-याचिकाकर्ता हरान अधिकारी की पत्नी ने कहा कि वे घटना के चश्मदीद गवाह हैं। याचिका में बताया गया है कि, “उन्हें मारने आई भीड़ ने अभिजित के गले में सीसीटीवी कैमरा का तार बांध दिया, और फिर उसका गला घोंट दिया। उसे ईंटों और डंडों से पीटा गया। उन लोगों उनका उसका सिर तोड़ दिया और उसकी माँ के सामने उसे बेरहमी से मार डाला, जो अपने बेटे का अपनी आँखों के सामने कत्ल होते देख बेहोश हो गयी।“
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि राज्य की ओर से पूरी तरह से निष्क्रियता है। जेठमलानी ने कहा, “राज्य ने कार्रवाई नहीं की बल्कि जांच को दबाने में पूरी तरह से तत्परता दिखाई। पुलिस निष्क्रिय रही। किसी ने मदद नहीं की और उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया गया। यह राज्य प्रशासन के इशारे पर हुआ।” इस पर कोर्ट ने कहा, “हम नोटिस जारी करते हैं। इसे राज्य को दें। हम अगले मंगलवार को इस पर सुनवाई करेंगे।”
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल राज्य में “एक समन्वित तरीके से” बेगुनाहों की “अंधाधुंध” हत्या हुई है। याचिकाकर्ताओं ने एसआईटी जांच का आह्वान किया क्योंकि राज्य में निष्पक्ष जांच करना “असंभव” है।
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बता दें कि पश्चिम बंगाल में चुनाव परिणाम आने के बाद TMC ने “डायरेक्ट एक्शन डे” की तरह हिंसा फैलाई। भाजपा कार्यालयों में तोड़फोड़, भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले, उनके घरों में आगजनी, हत्या का सिलसिला अभी भी नहीं थमा है। वैसे तो यह सब चुनाव से पहले से ही हो रहा था, लेकिन चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद ऐसा लगा जैसे तृणमूल कार्यकर्ताओं को बंगाल में हिंसा करने का नवगठित सरकार की ओर से आदेश मिला हो।
क्या कांग्रेस, क्या लेफ्ट सभी के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया। TMC के कार्यकर्ताओं की नफरत इस हद तक बढ़ चुकी है कि अभिजीत सरकार की एक पालतू कुतिया के छोटे बच्चों को मार दिया गया। इसके अतिरिक्त एक वीडियो में तृणमूल कार्यकर्ता महिलाओं को पीटते नजर आ रहे हैं। यहाँ तक कि तृणमूल कार्यकर्ताओं पर दो महिला पोलिंग एजेंट के सामुहिक बलात्कार की खबर भी सामने आई है।
हालात इतने बिगड़ गए हैं कि भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों को पडोसी राज्य असम भागना पड़ा है। 1990 में कश्मीर से मार कर भगाए गए हिन्दू अपने ही देश में शरणार्थी हो गए, पश्चिम बंगाल में भी वही हालात पैदा हो चुके हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने ममता बनर्जी की सरकार को नोटिस थमाया है।
अब यह देखना है कि राज्य सरकार क्या जवाब देती है और सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई में क्या फैसला लेती है। पश्चिम बंगाल में हालात और बिगड़े इससे पहले SC को कड़े फैसले लेने होंगे जिससे जनता का एक बार फिर से कानून व्यवस्था में विश्वास बहाल किया जा सके।