नागरिकता संशोधन अधिनियम क्यों आवश्यक है ? – बेंगलुरु घटना
हाल ही में आपने देखा होगा कि कैसे क्रूरता की सीमा पार करते हुए बेंगलुरू में चार बांग्लादेशी प्रवासियों ने एक बांग्लादेशी महिला का यौन शोषण किया और उसकी वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड करने का प्रयास भी किया। शुरू में इसे पूर्वोत्तर से संबंधित घटना बताई जा रही थी, लेकिन असलियत सामने आने पर कर्नाटक पुलिस ने तुरंत एक्शन लेते हुए चारों अपराधियों को हिरासत में लिया, जिनमें से दो को एक भीषण एनकाउन्टर के बाद पकड़ा गया।
इस घटना में एक महिला भी पकड़ी गई, जो इस पूरे घटना की साक्षी थी और कथित तौर पर अपराधियों के साथ पीड़िता के शोषण को बढ़ावा दे रही थी।
इससे पता चलता है कि क्यों देश में आने वाले प्रवासियों के लिए एक लक्ष्मण रेखा तैयार की जानी चाहिए, और क्यों नागरिकता संशोधन अधिनियम जैसे अधिनियमों की बेहद सख्त आवश्यकता है। लेकिन बेंगलुरू के अपराध का नागरिकता संशोधन अधिनियम से क्या नाता? ऐसा भी क्या आवश्यक है नागरिकता संशोधन अधिनियम में, जो वर्तमान परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में लागू होना बेहद आवश्यक है?
दरअसल घुसपैठियों [चाहे वह बांग्लादेशी हो या रोहिंग्या] की समस्या से हम अनभिज्ञ नहीं है। इसके अलावा हमने ये भी देखा है कि कैसे शरणार्थियों में भी पक्षपात किया जाता है, और जहां अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के नाम पर घुसपैठियों को खुली छूट दी जाती है, तो वहीं जिन लोगों को उनके धर्म के लिए प्रताड़ित किया है, और जो वास्तव में शरण के अधिकारी हैं, उन्हे दूर से ही दुत्कार दिया जाता है।
इसीलिए केंद्र सरकार ने इस समस्या को ध्यान में रखते हुए नागरिकता संशोधन अधिनियम को 2019 में पारित करवाया था, ताकि न केवल धार्मिक आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिले, बल्कि उन्हे बेहतर सुविधा भी मिले। लेकिन चूंकि इसमें अल्पसंख्यक तुष्टीकरण या फिर अपराधियों के लिए खुली छूट नहीं थी, इसलिए नाराज वामपंथियों ने लगभग साढ़े तीन महीने तक इस कानून के विरुद्ध तरह तरह के झूठ फैलाए, जिसके चक्कर में पूर्वोत्तर दिल्ली में दंगे तक भड़क गए, और अनेक निर्दोषों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इतना ही नहीं, इन दंगों में कई सुरक्षाकर्मी भी गंभीर रूप से घायल हुए।
इसके अलावा अभी हाल ही में केंद्र सरकार ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान, और बांग्लादेश के उन नागरिकों के लिए आवेदन पत्र निकाला है, जो नागरिकता संशोधन अधिनियम के जरिए भारतीय नागरिकता प्राप्त करना चाहते हैं। इससे स्पष्ट हैं कि सरकार अपने वादे के प्रति प्रतिबद्ध है और लोगों को जल्द से जल्द उनका अधिकार दिलाना चाहती है।
अब यदि नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू हो जाता है, तो इससे क्या फायदा होगा? इससे अवैध घुसपैठ पर काफी हद तक लगाम लगेगी, और साथ ही साथ मानव तस्करी पर भी काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकेगा। सूत्रों के अनुसार, जिस पीड़िता के साथ जघन्य अपराध अभी हाल ही में हुआ है, उसका बांग्लादेश से अपहरण करके भारत लाया गया था। अब कल्पना कीजिए, यदि वह लड़की हिन्दू/सिख/बौद्ध निकली, तो? क्या ये धार्मिक आधार पर प्रताड़ना नहीं है?