बंगाल चुनाव जहाँ ममता बनर्जी के लिए उनके राजनीतिक साख को बचाने के लिए लड़ा गया चुनाव था वहीं भाजपा के लिए यह चुनाव उसके कार्यकर्ताओं के भविष्य का प्रश्न था। पश्चिम बंगाल में आए दिन होने वाली भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या की पृष्टभूमि में हुए चुनावों में यदि भाजपा जीतती तो वह अपने कार्यकर्ताओं के जीवन को सुरक्षित कर लेती किन्तु अब जैसा कि ममता बनर्जी ने कहा था कि “वह चुनाव बाद भाजपा के मतदाताओं को देख लेंगी”, तो अब तृणमूल के कार्यकर्ता भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ हिंसा कर रहे हैं, उनके घरों और दफ्तरों में तोड़फोड़ और आगजनी कर रहे हैं।
चुनाव परिणाम घोषित होने के कुछ ही समय बाद तृणमूल के कार्यकर्ताओं ने आरामबाग के भाजपा कार्यालय में जाकर तोड़फोड़ कि और वहां आग लगा दीष किन्तु तृणमूल के कार्यकर्ता यही नहीं रुके, उन्होंने बिष्नुपुर में भी ऐसी ही घटना को अंजाम दिया। यहाँ पर भाजपा के बूथ एजेंट के घर में आगजनी की गई। ऐसी ही अन्य कई खबरें सोशल मीडिया में वायरल हो रही हैं किन्तु दुर्भाग्यवश राष्ट्रीय मीडिया का हिस्सा भी नहीं बन पा रही हैं। छोटे-मोटे मामलों का फैक्ट चेक करने वाले राष्ट्रीय अखबार ऐसी खबरों का फैक्ट चेक नहीं करते क्योंकि मार खाने वाले भाजपा और आरएसएस के कार्यकर्ता हैं।
भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमलों कि ख़बरें अचानक आनी शुरू नहीं हुई हैं। यह सिलसिला पिछले कई वर्षों से चल रहा है। स्वयं ममता बनर्जी ने एक रैली में कहा था, “चुनाव के बाद केंद्र सरकार के भेजे गए सुरक्षाकर्मी तो वापस चले जाएंगे लेकिन हमारी सरकार बनी तो हम इनको देख लेंगे और तब बीजेपी के लोग कहेंगे कि यहां कुछ और दिनों तक केंद्रीय सुरक्षा बलों को रहने दो। ताकि वो हमें बचा सकें।” ममता बीजेपी नेताओं को सीधे तौर पर सबक सिखाने की धमकी दे रही थीं। उन्होंने कहा था कि बीजेपी नेता एक बार फिर भविष्य में उनके ही हाथ जोड़ेंगे। उन्होंने कहा था, “इंच इंच की खबर रखती हूं। सेंट्रल पुलिस को जाने दो। हम ही रहेंगे यहां पर उसके बाद क्या होगा हाथ जोड़ोगे कि सेंट्रल पुलिस को कुछ और दिन छोड़ दो।”
तृणमूल के कार्यकर्ता उन्हीं कि बात को चरितार्थ कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा वहां कि राजनीति का एक भाग बन चुकी है। तृणमूल के कार्यकर्ताओं का हौसला इतना बढ़ा है कि उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे० पी० नड्डा पर भी जानलेवा हमला किया था। ऐसा ही लोकसाथा चुनाव 2019 के दौरान भी हुआ था जब एक रोड शो के दौरान भाजपा के तात्कालिक राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर हमला हुआ था। इसके अलावा कूचबिहार में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष पर भी हमला हुआ था।
तृणमूल के कार्यकर्ताओं की नीचता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक भाजपा कार्यकर्ता की 85 वर्षीया वृद्ध महिला कि पिटाई कर दी थी, क्योंकि वह एक भाजपा कार्यकर्ता कि माँ थीं। शोभा मजूमदार पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के निमटा के रहने वाले बीजेपी कार्यकर्ता गोपाल मजूमदार की मां थीं। इसी प्रकार से नंदीग्राम में भाजपा कार्यकर्ता की पत्नी का रेप किया गया था।
पिछले वर्ष भाजपा के एक विधायक को मार कर पेड़ से लटका दिया गया था। ऐसी घटनाएं आए दिन होती हैं। तृणमूल की जीत के बाद उसके कार्यकर्ताओं का जो रवैया देखने को मिला है, उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि आने वाले पांच सालों में ये हिंसा का खेल ऐसे ही चलेगा। भाजपा की चुनावी हार ने पश्चिम बंगाल के हिन्दुओं, भाजपा कार्यकर्ताओं और उनके परिवार का भविष्य दांव पर लगा दिया है।