इन दिनों प्रवर्तन निदेशालय द्वारा अनिल देशमुख पर पड़े छापे से एक बार फिर वसूली केस पर प्रकाश पड़ा है। मामले से जुड़े सूत्रों के अनुसार ये सामने आया है कि प्रदीप शर्मा और सचिन वाझे जैसे पुलिसकर्मी यूं ही नहीं बहाल किए गए थे। वे महा विकास अघाड़ी के प्रिय ‘वसूली एजेंट’ भी थे। सचिन वाझे ने तो महाराष्ट्र सरकार को लगभग 5 करोड़ रुपये का ‘भुगतान’ भी कराया था।
वो कैसे? हिंदुस्तान समाचार की रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई के बार मालिकों से सचिन वाझे ने 4.7 करोड़ रुपये इकट्ठा किए थे।
रिपोर्ट के एक अंश अनुसार, “वाझे ने बार मालिकों और प्रबंधकों को बताया कि यह पैसा ‘नंबर 1’ को और मुंबई पुलिस की अपराध शाखा और सामाजिक सेवा शाखा को जाएगा। वाझे ने एजेंसी से कहा कि उन्हें पुलिस की जांच के अनेक मामलों में तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख से सीधे निर्देश मिल रहे थे। ईडी ने मुंबई में विशेष मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून अदालत में अपनी रिमांड अर्जी में ये आरोप लगाए थे और देशमुख के सहायकों, उनके निजी सचिव संजीव पलांडे (51) और निजी सहायक कुंदन शिंदे (45) की हिरासत की मांग की थी जिन्हें उसने शनिवार को गिरफ्तार किया था। अदालत ने उन्हें 1 जुलाई तक की ईडी की हिरासत में भेज दिया”।
इसके अलावा ये भी आरोप लगाया है कि ये पैसा किश्तों में तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख को पहुंचाया जाता था। जी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, “ईडी ने आरोप लगाया कि वाझे ने स्वीकारा कि उसने दिसंबर 2020 से फरवरी 2021 के बीच मुंबई के ऑर्केस्ट्रा बार से करीब 4.70 करोड़ रुपये इकट्ठे किये थे और उन्हें अनिल देशमुख के निर्देश पर उनके पीए कुंदन संभाजी शिंदे को जनवरी और फरवरी 2021 के महीनों में दो किस्तों में सौंप दिया था”।
अब ये किस्तों में कैसे पहुंचे?
आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, ईडी के डॉक्युमेंट्स से पता चलता है कि 60 बार मालिकों और प्रबंधकों ने दिसंबर, 2020 में गुड लक मनी के रूप में सचिन वाजे को 40 लाख रुपये का भुगतान किया था। इसके अलावा, मुंबई पुलिस कमिश्नरेट Zone-1 से Zone-7 के अधिकार क्षेत्र में आने वाले ऑर्केस्ट्रा बार की ओर से जनवरी और फरवरी, 2021 के दौरान सचिन वाझे को 1.64 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। वहीं, मुंबई पुलिस कमिश्नरेट के Zone-8 से Zone-12 के अधिकार क्षेत्र के तहत जनवरी और फरवरी, 2021 के महीने में ऑर्केस्ट्रा बार की ओर से सचिन वाझे को 2.66 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। सचिन वाझे ने बार मालिकों और प्रबंधकों को बताया था कि इस तरह जमा की गई राशि नंबर 1 यानि कि अनिल देशमुख और मुंबई पुलिस की अपराध शाखा और सोशल सर्विस ब्रांच में जाएगी।
19 और 21 मई को ED के अधिकारियों ने मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत तलोजा जेल में सचिन वाझे का बयान दर्ज किया था जिसमें वाझे ने दिसंबर 2020 से फरवरी 2021 के बीच बार मालिकों से 4.70 करोड़ रुपये स्वीकार करने की बात स्वीकार की थी।
इसके साथ ही एक और खुलासे में पता चला है कि देशमुख के परिवार द्वारा चलाए जा रहे नागपुर स्थित चैरिटेबल ट्रस्ट श्री साईं शिक्षण संस्थान को दिल्ली स्थित शेल कंपनियों द्वारा दान के नाम पर 4.18 करोड़ रुपये मिले थे। इस ट्रस्ट के बैंक स्टेटमेंट की जांच करने पर पता चला है कि हाल के दिनों में 4.18 करोड़ रुपये की राशि के जो चेक मिले थे वो दिल्ली की विभिन्न कंपनियों जैसे कि रिलायबल फाइनेंस कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड, वीए रियलकॉन प्राइवेट लिमिटेड, उत्सव सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड और सीतल लीजिंग एंड फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड से प्राप्त हुई थीं। हैरानी तब हुई जब पता चला कि ये कंपनियां सिर्फ कागजी कंपनियां हैं और केवल ट्रांसफर एंट्री देने का काम करती हैं। अब इससे स्पष्ट है कि कैसे चैरिटेबल ट्रस्ट की आड़ में धांधली को अंजाम दिया जा रहा था। ईडी के अधिकारियों ने 17 और 23 जून को दिल्ली की इन कंपनियों के मालिकों के बयान भी दर्ज किये हैं।
ये खुलासा TFI Post के उन अनेक विश्लेषणों को सिद्ध करता है, जहां पर हमने सचिन वाझे और अनिल देशमुख के बीच गहरी सांठगांठ पर प्रकाश डाला था। सचिन वाझे ने तो अनिल परब के साथ सांठगांठ का भी खुलासा किया था।
चूंकि प्रवर्तन निदेशालय ने अनिल देशमुख के PA और निजी सचिव को भी हिरासत में ले रखा है, इसलिए अब ये मामला यहीं पर नहीं रुकने वाला। जैसे जैसे मामले की जांच बढ़ेगी, वैसे वैसे ये भी सामने आएगा कि किस प्रकार से महा विकास अघाड़ी सरकार में भ्रष्टाचार को खुलेआम बढ़ावा दिया जाता था। ऐसे में अब ये देखना दिलचस्प होगा कि महा विकास अघाड़ी के प्रिय पुलिसकर्मी सचिन वाझे आगे क्या क्या राज उगलते हैं।