सुशांत की मौत को एक साल हो गए पर मामला आज भी वैसा ही है, और बॉलीवुड माफिया आज भी उतने ही मजबूत हैं

सुशांत सिंह राजपूत मृत्यु

PC: The Indian Express

‘जनम कब लेना है और मरना कब है, यह हम डिसाइड नहीं कर सकते, पर जीना कैसे है, वो हम डिसाइड कर सकते हैं’

ये संवाद है उस अभिनेता की अंतिम फिल्म के, जिसे काल ने पिछले वर्ष हमसे छीन लिया था। पिछले ही वर्ष हम सबको छोड़कर सुशांत सिंह राजपूत हमेशा के लिए इस दुनिया को छोड़कर चला गया था। ‘पवित्र रिश्ता’ नामक सीरियल से अभिनय की दुनिया में कदम रखने वाला ये अभिनेता (सुशांत सिंह राजपूत ) जाने कब हमारे जीवन का एक अनोखा हिस्सा बन गया, और कब उसकी मृत्यु हम भारतीयों के जीवन में अजीब सा घाव छोड़ गई, पता ही नहीं चला।

आज सुशांत को गए एक वर्ष हो चला है, लेकिन उसकी मृत्यु को लेकर कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है। बॉलीवुड के जिस निरंकुश माफिया ने उसे मृत्यु की ओर धकेला, वह आज भी उतना ही निरंकुश है। सीबीआई ने कहने को सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमयी मृत्यु के परिप्रेक्ष्य में जांच शुरू की थी, परंतु एक वर्ष बाद भी वह जांच कहीं भी जाती हुई दिखाई नहीं दे रही है।

आज सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के एक वर्ष बाद भी बॉलीवुड में वंशवाद का वर्चस्व जस का तस बरकरार है। चाहे आप उसे जैसे देखें, परंतु आज भी किसी स्टार किड से जुड़ी खबर अधिक सुर्खियां बटोरेंगी। स्टार किड तो स्टार किड, आज कल तो मीडिया हाउस रिया चक्रवर्ती जैसी सेलेब्रिटी तक को कवरेज देने को तैयार है। विश्वास नहीं होता, तो टाइम्स नाउ के वर्तमान Most Desirable List को ही देख सकते हैं।

परंतु क्या इसके अलावा सुशांत सिंह राजपूत के लिए कोई उम्मीद नहीं है? ये भी सच नहीं है? तीन ऐसी बातें हैं, जिनसे यह सिद्ध होता है कि सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। उदाहरण के लिए पिछले एक वर्ष में कई फिल्में ऑनलाइन और ऑफ़लाइन माध्यमों से रिलीज हुई हैं, लेकिन अगर कमर्शियल माध्यम से देखा जाए, तो ‘दिल बेचारा’ को छोड़कर किसी भी फिल्म को उसकी लोकप्रियता के अनुरूप एक फूटी कौड़ी नहीं मिली। यहाँ तक कि जिन फिल्मों में स्टार किड की सक्रियता अधिक थी, उनमें भयानक मार्केटिंग के बावजूद उन्हें उनके बजट का आधा भी नहीं मिला है। करीना कपूर अगर कहीं उदाहरण के लिए हाल ही में एक फिल्म में देवी सीता के रोल के लिए कथित तौर पर करीना को चुने जाने के लिए विवाद को ही देख लीजिए। हालांकि, इसका सुशांत से कोई विशेष कनेक्शन नहीं है, परंतु वंशवाद से अवश्य है, जो सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बाद से बैकफुट पर है।

यहाँ तक कि जिन विवादों का सहारा लेकर करण जौहर कभी अपनी नैया पार लगाते थे, अब वो भी उनसे नहीं हो पा रहा है। आज पहले के मुकाबले उनका ओहदा लगभग न के बराबर है। इतना ही नहीं, यदि कोई सुशांत सिंह राजपूत के नाम पर फायदा उठाने का प्रयास भी करता है, तो उसे भी वैसे ही दुत्कार दिया जाता है, जैसा अभी हाल ही में सुशांत के नाम पर फिल्म बनाने वालों को दुत्कारा गया था। सुशांत के न्याय के लिए राह कठिन है, पर असंभव नहीं।

 

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