अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक और ऐसा फैसला लिया है, जिसके बाद यह स्पष्ट हो गया है कि वे चीन के सामने अमेरिका को एक कमज़ोर और दोयम दर्जे की सैन्य शक्ति बनाने पर तुले हुए हैं। इस साल के वार्षिक सैन्य बजट में बाइडन प्रशासन ने अमेरिकी नेवी को कमज़ोर करने हेतु कई घातक कदम उठाए हैं, जिससे ना सिर्फ वैश्विक लोकतान्त्रिक देशों पर एक बड़ा खतरा आन खड़ा हुआ है, वहीं इससे चीन की गुंडागर्दी को और बल मिलने के अनुमान हैं। दरअसल, उनके सैन्य बजट के तहत अमेरिकी नेवी को कमज़ोर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। नए जहाजों के निर्माण से लेकर, ट्रेनिंग और सैनिकों की तैनाती तक में, हर मोर्चे पर अमेरिकी नेवी को कमज़ोर किया जा रहा है।
बता दें कि इस साल बाइडन प्रशासन ने 715 बिलियन डॉलर का सैन्य बजट तैयार किया है। यह पिछले वर्ष के मुक़ाबले 1.6 प्रतिशत ज़्यादा है, लेकिन बढ़ी महंगाई के साथ इसे जोड़कर देखें तो इस बजट में पहले के मुक़ाबले कमी की गयी है। इसका US नेवी पर सबसे अधिक नकारात्मक असर पड़ा है। टार्गेट के अनुसार अमेरिका को वर्ष 2034 तक अपने बेड़े में कुल 355 जहाजों को शामिल करना है। हालांकि, इस बजट-कट के बाद यह लक्ष्य हासिल करना बेहद मुश्किल हो जाएगा। हाल-फिलहाल अमेरिकी नौसेना के पास ज़रूरी 308 जहाजों की जगह केवल 296 समुद्री जहाज़ ही हैं। ऐसे में बाइडन प्रशासन ने अपने फैसले से अमेरिकी नेवी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
आज चीन 350 जहाजों के बेड़े के साथ दुनिया की सबसे बड़ी नेवल शक्ति बन चुका है। ऐसे वक्त में भी बाइडन ने युद्धक जहाजों के निर्माण के लिए बजट में 2 बिलियन डॉलर की कमी कर दी है। चीन एक तरफ आगामी सालों में अपने बेड़े में जहाजों की संख्या को 420 तक ले जाना चाहता है, वहीं बाइडन चीन की आक्रामक इंडो-पेसिफिक नीति का मुक़ाबला करने के लिए कुछ बड़े कदम उठाने की बजाय अपनी अमेरिकी नेवी का बजट काटने का काम कर रहे हैं।
अमेरिकी सेना के पैमानों के हिसाब से एक जहाज़ करीब 35 सालों तक सेवा में रहता है, और हर साल करीब 8 नए जहाजों को नेवी में शामिल किया जाता है। नए प्रस्ताव के तहत एक ही साल में करीब 15 जहाजों को रिटायर कर दिया जाएगा, जिसके बाद 2030 तक अमेरिका के पास सिर्फ 280 जहाज़ ही बचेंगे। वर्ष 2026 तक 48 जहाज़ अमेरिकी नौसेना से रिटायर हो जाएँगे। ऐसे में बजट को कट करके बाइडन प्रशासन ने अमेरिकी नेवी के लिए चुनौतियों को और बढ़ा दिया है।
इतना ही नहीं, बाइडन प्रशासन इन जहाजों पर तैनात होने वाले सैनिकों की संख्या को भी 1600 से कम करना चाहता है। 355 जहाजों के लिए अमेरिका को 27,712 सैनिकों की आवश्यकता होगी। हालांकि, बाइडन इस मोर्चे पर निराशाजनक रुख दिखा रहे हैं।
जिस वक्त चीन प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और उसके साथियों के लिए सबसे बड़े खतरे के रूप में उभर रहा है और जिस वक्त अमेरिका जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और NATO के साथ मिलकर चीन का मुक़ाबला करने की बात कर रहा है, ऐसे वक्त में अमेरिका ने अपनी नेवी के बजट में कटौती कर अपने सभी साथी देशों की पीठ में छुरा घोंपने का काम किया है।