जो मज़ा घसीटने में है, वो मारने में कहाँ? ट्विटर की नीली चिड़िया को स्वाद चखाने के लिए मोदी सरकार ने इसी नीति को अपनाया है। नीति उसको मारने की अथवा भारत में ब्लॉक करने की नहीं है। बल्कि नीति है उसके लिए ऐसा माहौल पैदा करने की कि उसे सरकार के सामने झुककर भारत के कानूनों को स्वीकार करने के लिए स्वयं ही मजबूर होना पड़े। पिछले कुछ हफ्तों में भारत सरकार ने बड़े ही सुनियोजित तरीके से ट्विटर को कानून के शिकंजे में कसने की नीति बनाई है। उदाहरण के लिए UP से लेकर दिल्ली तक में Twitter और उसके MD पर कई मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं।
सबसे ताज़ा मामले में NCPCR के निर्देश पर दिल्ली में ट्विटर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। ट्विटर पर Child Pornography को बढ़ावा देने के आरोप लगे हैं। दिल्ली पुलिस के साइबर सेल की ओर से IT और POCSO एक्ट के तहत ट्विटर इंडिया और ट्विटर Inc. पर मुकदमा दर्ज किया गया है। Pornographic कंटेन्ट के लिए अगर सरकार ट्विटर पर कोई कार्रवाई करती है, तो उसे “अभिव्यक्ति की आज़ादी” की आड़ में छिपने का कोई मौका नहीं मिलेगा। इस प्रकार भारत सरकार ट्विटर से उसका पसंदीदा “Victim” कार्ड छीनने का काम कर रही है।
Delhi Police Cyber Cell files a case against Twitter for child pornographic content on their platform. The case has been registered on a complaint by NCPCR (National Commission For Protection of Child Rights).
— ANI (@ANI) June 29, 2021
इसी प्रकार ट्विटर के खिलाफ अपना केस मजबूत करने के लिए भारत सरकार भारत के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के अकाउंट को ब्लॉक करने के मुद्दे को भी आधार बनाएगी। पिछले दिनों अमेरिकी क़ानूनों की आड़ में प्रसाद के अकाउंट को ट्विटर द्वारा करीब 1 घंटे के लिए ब्लॉक कर दिया था। ना सिर्फ प्रसाद का, बल्कि शशि थरूर, वरुण गांधी जैसे अन्य नेताओं के Accounts को भी कुछ समय के लिए ब्लॉक कर दिया गया था। ऐसे में अभिव्यक्ति की आज़ादी के हनन के मुद्दे पर भारत सरकार आसानी से ट्विटर को घेर सकती है।
भारत सरकार संसदीय समिति के जरिये भी इस अमेरिकी कंपनी पर नकेल कसने की पूरी तैयारी कर रही है। बीते मंगलवार को IT को लेकर बनी संसदीय समिति ने ट्विटर को 48 घंटों का समय देकर यह बताने का आदेश दिया है कि आखिर उसके द्वारा शशि थरूर और रविशंकर प्रसाद का अकाउंट क्यों ब्लॉक किया गया था? बता दें कि इससे पहले कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ट्विटर पर भारत के IT नियमों की अवहेलना करने के भी आरोप लगा चुके हैं।
इतना ही नहीं, अपनी शामत बुलाने के लिए ट्विटर खुद भी पूरी मशक्कत कर रहा है। पिछले हफ्ते ट्विटर अपने विवादित नक्शे को लेकर सरकार के निशाने पर आ गया, जहां ट्विटर ने कश्मीर और लद्दाख को एक अलग देश के तौर पर दिखाया हुआ था। इस मामले में भी उत्तर प्रदेश में ट्विटर MD के खिलाफ FIR दर्ज की जा चुकी है। इससे पहले उत्तर प्रदेश गाज़ियाबाद में मुस्लिम वृद्ध की पिटाई मामले में भी ट्विटर इंडिया MD मनीष माहेश्वरी पर FIR दर्ज की जा चुकी है। दिल्ली पुलिस द्वारा उनसे एक बार पूछताछ भी की जा चुकी है।
भारत सरकार चाहती है कि ट्विटर भारत के नए IT नियमों का पालन करें, लेकिन ट्विटर को ये IT नियम “अभिव्यक्ति की आज़ादी” के खिलाफ लग रहे हैं। हाल ही में उसने भारतीय IT नियमों के खिलाफ एक अमेरिकी नागरिक को भारत में अपना ग्रीवान्स ऑफिसर नियुक्त कर दिया। ऐसे में अब मोदी सरकार Pornography, Fake News और अभिव्यक्ति की आज़ादी के हनन जैसे मुद्दों पर ट्विटर को घेर रही है, ताकि सरकार के हस्तक्षेप के कारण उसे बड़े स्तर पर आर्थिक नुकसान उठाना पड़े। भारत में अगर सरकार ट्विटर को एकाएक प्रतिबंधित करने का फैसला लेती है तो ट्विटर के साथ-साथ भारतीय बिजनेस घरानों, मीडिया एवं IT उद्योग को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है। सरकार बड़े ही सूझ-बूझ से अब ऐसे रास्ते पर चल रही है जिससे ट्विटर को भारत में बिना बैन किए ही अधिक से अधिक नुकसान झेलना पड़े, आर्थिक भी और नैतिक सम्मान का भी!