ममता ने मुख्य सचिव को वापस भेजने से इनकार कर दिया, तो PM मोदी ने उनकी सबसे कमजोर नस पकड़ ली

अब ममता की मनमानी नहीं चलेगी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की शह पर बंगाल के अधिकारी भी केन्द्र सरकार से लोहा लेने की स्थिति में आ गए हैं। इसका संकेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया ‘यास’ साइक्लोन पर हुए नुकसान से संबंधित बैठक में सामने आया है। बैठक में राजनीतिक कुंठा और नौटंकियों के कारण ही ममता बनर्जी 30 मिनट देरी से आईं और PM का अपमान करके चलीं गईं, लेकिन बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय ने भी ममता के जैसा ही रवैया अपनाया।

ऐसे में मुख्य सचिव पर कार्रवाई की गई, और केंद्र ने उनका ट्रांसफर DOPT में कर दिया है, जिसके बाद मुख्य सचिव ने अपने पद से इस्तीफे के साथ ही रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया है। वहीं DOPT उन पर कार्रवाई की प्लानिंग कर रहा है।

ममता बनर्जी के साथी बन चुके बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय पर जब केंद्र ने PM की मीटिंग में लेट आने पर DOPT ट्रांसफर की कार्रवाई की, तो उन्होंने रिटायरमेंट ले लिया है। ममता ने उन्हें अपना सलाहकार बना लिया है‌। वहीं ममता बनर्जी के इस साथी पर DOPT भी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। वहीं अब ममता ने PM मोदी को पत्र लिखकर अलपन बंदोपाध्याय को न भेजने की वजह बताने के साथ ही कुछ महत्वपूर्ण बातें कहीं हैं।

अपने प्रिय अधिकारी अलपन बंदोपाध्याय पर हो रही अनुशासनात्मक कार्रवाई को लेकर ममता ने PM को लिखे पत्र में कहा, “पश्चिम बंगाल सरकार ऐसी मुश्किल घड़ी में अपने मुख्य सचिव को रिहा नहीं कर सकती और न ही रिहा कर रही है। केंद्र ने राज्य सरकार के साथ विचार-विमर्श के बाद मुख्य सचिव का कार्यकाल एक जून से अगले तीन महीने के लिए बढ़ाने जो आदेश दिया था। उसे ही प्रभावी माना जाए।”

ममता ने केंद्र के आदेश को एक तरफा बताया है और इस आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया है।

ममता ने कहा, “मुख्य सचिव को 24 मई को कैबिनेट सचिव द्वारा तीन महीने के लिए विस्तार दिया गया था और 28 मई को ‘एकतरफा’ आदेश देकर उन्हें दिल्ली में डीओपीटी को रिपोर्ट करने के लिए कहा गया। 24 मई से 28 मई के बीच क्या हुआ? यह बात समझ में नहीं आई। आदेश में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति (Central deputation) के किसी विवरण या कारणों का उल्लेख नहीं है।”

साफ है कि ममता अपने प्रिय अधिकारी को किसी भी कीमत पर बंगाल से बाहर नहीं भेजना चाहती हैं।

ममता बनर्जी अब अपनी ही गलतियों से अनभिज्ञ होने का ढोंग कर रही हैं। उन्होंने PM को लिखे पत्र में कहा, “मुझे आशा है कि नवीनतम आदेश (मुख्य सचिव का तबादला दिल्ली करने का) और कलईकुंडा में आपके साथ हुई मेरी मुलाकात का कोई लेना-देना नहीं है। मैं सिर्फ आपसे बात करना चाहती थी।प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच आमतौर पर जिस तरह से बैठक होती है उसी तरह से, लेकिन आपने अपने दल के एक स्थानीय विधायक को भी इस दौरान बुला लिया, जबकि प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री की बैठक में उपस्थित रहने का उनका कोई मतलब नहीं है।”

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वहीं दूसरी ओर ममता के मुख्य सचिव ने रिटायरमेंट ले लिया है जिसके बाद ममता उन्हें मुख्य सलाहकार बना चुकी हैं। वहीं इस मामले में अब डीओपीटी उन पर नियमों के तहत कार्रवाई की तैयारी कर रही है। साफ तौर पर कहें तो अपने मुख्य सचिव पर हुई कार्रवाई को लेकर ममता बैकफ़ुट पर हैं।

इसीलिए अब हो रही कार्रवाई को रोकने की मांग की है। ममता ने जेपी नड्डा के काफिले पर हुए हमले के बाद भी अधिकारियों के तबादले को रद्द कर दिया था, जो उनके प्रिय अधिकारियों के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है।

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