पिछले एक साल से जबरदस्त रिटर्न दे रहे अडानी ग्रुप के शेयर्स को कल यानी सोमवार को तगड़ा झटका लगा। अडानी ग्रुप के शेयर्स में सोमवार (14 जून) को उन रिपोर्ट्स के बाद गिरावट आई, जिनमें कहा गया था कि नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) ने तीन विदेशी Funds को फ्रीज कर दिया है। इन तीनों के पास अडानी ग्रुप की कंपनियों में बड़ी हिस्सेदारी है। यही कारण था कि जैसे ही यह खबर सामने आई, उसके तुरंत बाद भारतीय अरबपति गौतम अडानी द्वारा नियंत्रित कंपनियों के शेयर्स में 6 बिलियन डॉलर से अधिक की गिरावट आई।
हालाँकि, कहानी सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती। अब अडानी ग्रुप का कहना है कि जानबूझ कर इन्वेस्टिंग कम्युनिटी को गुमराह करने के लिए मीडिया ने गलत रिपोर्टिंग की। अडानी ग्रुप ने सोमवार को इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के बाद स्पष्टीकरण जारी किया जिसमें दावा किया गया था कि अडानी समूह के 43,500 करोड़ रुपये के शेयर्स से जुड़े 3 FPI खाते फ्रीज कर दिए गए हैं।
अडानी ग्रुप ने सभी मीडिया रिपोर्ट्स को गुमराह करने वाला बताया है। Reuters की रिपोर्ट के अनुसार अडानी ग्रुप ने कहा कि उन्हें 14 जून को “रजिस्ट्रार एंड ट्रांसफर एजेंट” से एक ई-मेल प्राप्त हुआ था, जिसमें कहा गया था कि “जिस डीमैट अकाउंट में कंपनी के शेयर्स हैं, उसे फ्रीज नहीं किया गया है”।
स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी में कंपनी ने कहा कि इस तरह का कोई मामला नहीं है और ना ही विदेशी निवेशकों के डीमैट अकाउंट फ्रीज हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि NSDL और SEBI ने इस मामले पर तत्काल टिप्पणी के अनुरोध का जवाब भी नहीं दिया। लेकिन NSDL के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि डिपॉजिटरी ने कुछ अन्य सिक्योरिटीज वाले Funds के अकाउंट्स को फ्रीज कर दिया था, न कि अडानी कंपनी के शेयर रखने वालों के।
बता दें कि इकॉनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप का प्रमुख हिस्सा, अडानी एंटरप्राइजेज का शेयर एक बार 25% तक गिरने के बाद आखिर में 6.3% नीचे बंद हुआ, जो लगभग एक दशक में इसकी सबसे बड़ी गिरावट है।
इकॉनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया था कि नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) ने समूह की कंपनियों में शेयर रखने वाले तीन विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के खातों को फ्रीज कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, एनएसडीएल ने तीन विदेशी फंडों- अल्बुला इंवेस्टमेंट फंड, क्रेस्टा फंड और एपीएमएस इनवेस्टमेंट फंड के Accounts को फ्रीज कर दिया है। अकाउंट फ्रीज होने का मतलब यह है कि ये फंड अब न तो अपने खाते के शेयर्स बेच सकते हैं और न ही नए शेयर खरीद सकते हैं।
ये तीनों फंड मॉरीशस के हैं और सेबी में इन्हें विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPIs) के रूप में रजिस्टर्ड किया गया है। तीनों का संयुक्त रूप से अडानी एंटरप्राइजेज में 6.82 फीसदी, अडानी ट्रांसमिशन में 8.03 फीसदी, अडानी टोटल गैस में 5.92 फीसदी और अडानी ग्रीन में 3.58 फीसदी का निवेश है।
देखा जाये तो भारत के पूंजीपतियों के खिलाफ एजेंडे के तहत इस तरह की रिपोर्टिंग की गयी थी। पिछले कुछ समय से लेफ्ट लिबरल ब्रिगेड अम्बानी और अडानी के खिलाफ लगातार नकारात्मक खबरें फ़ैलाने की जुगत में लगा हुआ है।
अडानी पोर्ट के शेयर्स में पिछले एक साल में 145 फीसदी की तेजी आई है। अडानी ट्रांसमिशन में लगभग 700 फीसदी, अडानी ग्रीन एनर्जी में 280 फीसदी, अडानी पावर में 300 फीसदी और अडानी इंटरप्राइजेज में 900 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया है। पिछले महीने अडानी ग्रुप का कुल मार्केट कैप 9.5 लाख करोड़ रुपये था जिसकी बदौलत ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी एशिया के दूसरे सबसे बड़े रईस बन गए थे। यही नहीं, वे लगातार CCP समर्थित चीनी पूंजीपतियों के लिए मुश्किल खड़ी कर रहे हैं।
गौतम अडानी चीनी पूंजीपतियों को पीछे धकेल कर दूसरे सबसे अमीर एशियाई बने थे। ऐसा लगता है कि चीनी एजेंटो ने उनके खिलाफ एक अभियान शुरू किया है ताकि निवेशक पीछे हट जाएं और उन्हें अधिक से अधिक नुकसान हो।
दिलचस्प बात यह भी है कि अडानी ग्रुप कोलंबो पोर्ट के वेस्ट कंटेनर टर्मिनल प्रोजेक्ट में पार्टनर है। इससे श्रीलंका के समुद्री क्षेत्र में चीन का प्रभाव कम होगा। अडानी पिछले कुछ समय से ऑस्ट्रेलिया और दुनिया के अन्य हिस्सों में भी तेजी से पैर पसारने की कोशिश में है, जिससे ज़ाहिर है कि कुछ देश-विरोधी और एजेंडावादी लोग खुश नहीं हैं।
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उदाहरण के लिए केरल के कम्युनिस्ट यूनियन और चर्च समूह अडानी ग्रुप द्वारा Vizhinjam बंदरगाह के विकास को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। इस बन्दरगाह के शुरू हो जाने से transhipments के लिए कोलंबो बंदरगाह पर भारत की निर्भरता कम हो जाएगी। आप समझ सकते हैं कि अडानी के खिलाफ किस हद तक प्रचार किया जा रहा है।
रिलायंस, अडानी ग्रुप और वेदांता जैसी कंपनियां भारत को विदेशों में प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में रणनीतिक बढ़त प्रदान करती हैं। संयोग से ये 3 कंपनियां सबसे अधिक विषैली मीडिया रिपोर्टिंग का शिकार भी बनती हैं। चीनी एजेंट समाजवाद के नाम पर भारत में नौकरी पैदा करने वाले पूंजीपतियों के खिलाफ लगातार प्रोपोगेन्डा फैला रहे हैं। देश की जनता को यह समझना चाहिए।