धर्मांतरण रैकेट की मदद करता था एक सरकारी अफसर
उत्तर प्रदेश पुलिस ने जब से उमर गौतम को पकड़ा है और धर्मांतरण रैकेट का खुलासा किया है तब से ही यह मामला सुर्ख़ियों में है। रोज नए खुलासे भी हो रहे हैं। इसी क्रम में अब यह बात सामने आई है कि ISI फंडेड इस धर्मांतरण रैकेट की मदद एक सरकारी अफसर करता था।
रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधी दस्ता (ATS) ने जांच में पाया कि केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय का एक अफसर अनाथ बच्चों की लिस्ट इस्लामिक दावा सेंटर तक पंहुचता था। फिर इस्लामिक दावा सेंटर में उन बच्चों को लालच देकर उनका धर्मांतरण किया जाता था।
ATS ने इस जांच में यह भी पाया है कि केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय के इस अधिकारी ने पहले स्वयं धर्मांतरण किया और हिन्दू धर्म को त्याग कर इस्लाम को अपना लिया। उसके बाद से ही यह अफसर ISI से फंडिंग पाने वाले इस्लामिक दावा सेंटर को अनाथ बच्चों की जानकारी दे रहा था जिससे उनका भी धर्मांतरण कराया जा सके।
यह कोई सामान्य बात नहीं है। आरोपियों से पूछताछ के बाद पता ये भी चला है कि, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के इशारों पर ये धर्मांतरण रैकेट आतंक की ट्रेनिंग और स्लीपर मॉड्यूल बनाने तक की साजिश में शामिल था। यानी एक अधिकारी स्पष्ट रूप से आतंकी गतिविधियों में शामिल था।
अभी तो जाँच चल रही है और न जाने कितने ही सुराग हाथ लगने वाले हैं। ATS लगातार कार्रवाई कर उमर गौतम द्वारा साझा की गयी जानकारियों के अनुसार पूछताछ कर रही है।
मामले में कई परतो का खुलना अभी बाकी है
यानी अब उमर गौतम से शुरू हुए इस धर्मांतरण रैकेट की कड़ी ISI और कई इस्लामिक देशों की फंडिंग से होते हुए अब सरकार के अधिकारीयों तक पहुँच चुकी है। केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय के अधिकारी का भी धर्मांतरण रैकेट में शामिल होना एक गहरी और खतरनाक साजिश का संकेत देता है। इस खुलासे से यह सवाल भी उठता है कि, सरकार के भीतर यह लिंक कितना गहरा जमा है और कितने ऊपर तक के अधिकारी इस धर्मांतरण रैकेट में शामिल थे।
दैनिक भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि, “मंत्रालय में तैनात एक अधिकारी शारीरिक और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की लिस्ट इस्लामिक दावा सेंटर को भेजता था। इसके आधार पर IDC का संचालक मौलाना उमर गौतम इन बच्चों के अभिभावकों से संपर्क करता था। सेंटर लाकर उनका धर्म परिवर्तन करवाता था। जो परिवार बच्चों के धर्म परिवर्तन के लिए सीधे राजी नही होते थे, उन्हें स्वावलंबी बनाने का झांसा देकर नोएडा डेफ सोसायटी या उसके जैसी किसी संस्था में पहुंचा देते थे। यहां बच्चों का ब्रेनवाश करके उन्हें धर्म बदलने के लिए तैयार किया जाता था।”
रिपोर्ट के अनुसार ATS को IDC के धर्म परिवर्तन की सूची में कुछ ऐसे बच्चों के नाम मिले जिनकी मदद के लिए उनके अभिभावकों ने बाल कल्याण मंत्रालय में आवेदन दिए थे। जब जाँच होनी शुरू हुई तो यह बात सामने आई कि इन बच्चों की जानकारी मंत्रालय में तैनात इसी अफसर ने IDC को दी थी।
धर्मांतरण रैकेट की विदेशी फंडिंग के सबूत मिले है
बता दें कि इस मामले में जांच एजेंसियों को कई बड़े सबूत हाथ लगे हैं, जो स्पष्ट तौर पर विदेशी फंडिग को साबित करते हैं। जांच एजेंसियों के हाथ अनेको दस्तावेज लगे हैं जिनमे देश-विदेश से मिले फंडिंग की जानकारी है। इसमें कोई सन्देश नहीं है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI भी इस रैकेट में शामिल थी।
यानी अगर सीधे शब्दों में कहे तो केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय का यह अफसर ISI के इशारे पर देश में धर्मांतरण गतिविधियों को अंजाम दे रहा था। अब जांच एजेंसियां इस मामले में ED और आयकर विभाग की भी मदद भी ले रही है तथा आतंकी लिंक की भी पड़ताल की जा रही है।