उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की आहट सुनाई देने लगी है, जिसके साथ ही लखनऊ से लेकर दिल्ली तक बैठकों का दौर शुरू हो गया है, जो कि एक सामान्य बात है। वहीं मीडिया का एक वर्ग लगातार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को टार्गेट कर ये दिखाने की कोशिश कर रहा है कि बीजेपी योगी के ट्रैक रिकॉर्ड के चलते उनसे यूपी की कुर्सी छीन सकती है। इसके पीछे उनका योगी विरोधी प्रोपेगेंडा हैं। इस बाबत बीजेपी की तरफ से साफ कर दिया गया है कि कैबिनेट और ब्यूरोक्रेसी में तो बदलाव होंगे, लेकिन योगी आदित्यनाथ के ट्रैक रिकॉर्ड पर कोई प्रश्न नहीं उठा सकता है और ये उन वामपंथी मीडिया के पत्रकारों के लिए बुरी खबर है, जो कि पिछले कई दिनों से अपनी योगी विरोधी दुकान में आलोचनाओं का नया स्टॉक लगा चुके थे।
बीजेपी उत्तर प्रदेश को अपने लिए राजनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण मानती है। ऐसे में पार्टी चुनावों के लिए काम शुरू कर चुकी है। वहीं खबरें प्लांट करने वाले इन बैठकों की आड़ में योगी विरोधी प्रोपेगेंडा चला रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ ने कोरोना काल में निम्न स्तर का प्रदर्शन किया, इसलिए उनकी कुर्सी जा सकती है। इसको लेकर अब पार्टी की तरफ से सटीक शब्दों में उन सभी विरोधियों को लताड़ मिली है। योगी कैबिनेट से बैठक और पदाधिकारियों से बात करने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारी बीएल संतोष ने संकेत दे दिया है कि योगी का उत्तर प्रदेश में कोई विकल्प नहीं है।
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बीएल संतोष ने अपने Tweet में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ की है और कोरोना काल में उनके द्वारा किए गए कार्यों को सराहा है। उन्होंने दिल्ली से तुलना करते हुए केजरीवाल का नाम लिए बिना कहा कि दिल्ली में नगरपालिका का नेता 2 करोड़ जनता को सुविधाएं नहीं दे पा रहा है। वहीं कोरोना काल में योगी ने 22 करोड़ जनता को मैनेज किया और कोरोनावायरस पर नियंत्रण रखते हुए अपने कुशल नेतृत्व का परिचय दिया है। अपने Tweet में योगी की तारीफ कर बीएल संतोष ने साफ कर दिया है कि योगी को लेकर फैलाई जा रही अफवाहें उनके खिलाफ चलाया गया एक दुष्प्रचार ही हैं।
In five weeks, @myogiadityanath's Uttar Pradesh reduced the new daily case count by 93% … Remember it’s a state with 20+ Cr population . When municipality CMs could not manage a city of 1.5Cr population , Yogiji managed quite effectively .
— B L Santhosh ( Modi Ka Parivar ) (@blsanthosh) June 1, 2021
बीजेपी नेताओं के अलावा उत्तर प्रदेश से आने वाले केन्द्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि यूपी में योगी को हटाकर नेतृत्व परिवर्तन की बात सोचना एक कपोल कल्पना से ज्यादा कुछ नहीं है। जाहिर है कि सारा दुष्प्रचार अब फेल हो गया है, लेकिन इसके पीछे योगी विरोधियों की प्लानिंग थी। वामपंथियों द्वारा तर्क दिए जा रहे थे कि योगी आदित्यनाथ को जनता ने नहीं बल्कि बीजेपी ने चुनावों के बाद मुख्यमंत्री बनाया था और कोरोना काल में योगी ने जनता को बेहाल कर दिया है। इसलिए पार्टी एक बार फिर केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में चुनाव लड़ सकती है।
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योगी के प्रति वामपंथियों की नफ़रत किसी से छिपी नहीं है। ये उसी दिन बाहर आ गई थी, जब पार्टी ने उन्हें अपना मुख्यमंत्री बनाया था, क्योंकि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि चार सालों के बाद योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता उफान पर होगी। वामपंथी जानते हैं कि यदि 2022 का विधानसभा चुनाव योगी अपने ट्रैक रिकॉर्ड पर जीतते हैं तो देश के सबसे बड़े सूबे में दोबारा बीजेपी की जीत दिलाने के कारण योगी की राष्ट्रीय छवि में उछाल आ सकता है। ये ठीक वैसी ही स्थिति हो सकती है जैसी गुजरात में 2002 के गुजरात दंगों के बाद हुए विधानसभा चुनावों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हुई थी।
योगी को राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता का फायदा न मिले इसीलिए वामपंथी पत्रकारों और मीडिया समूहों ने योगी को यूपी की सत्ता से हटाने का एजेंडा चलाया, लेकिन बीजेपी ने सारा भांडाफोड़ कर दिया। पार्टी ने साफ कर दिया है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए विकल्प केवल और केवल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही हैं।