शरदचंद्र गोविंदराव पवार का प्रधानमंत्री पद हेतु प्रेम
NCP सुप्रीमो शरद पवार देश के सबसे चतुर राजनेताओं में से एक माने जाते हैं। संकट के समय में भी, वह अपना आपा नहीं खोते – जो यकीनन एक राजनीतिक दिग्गज के रूप में उनकी सबसे अच्छी विशेषता है। शरदचंद्र गोविंदराव पवार ने कम से कम तीन अलग-अलग मौकों पर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर दावेदारी ठोकी है।
हालांकि, ऐसे सभी मौकों पर पवार को भारत के प्रधानमंत्री पद से वंचित कर दिया गया था, परन्तु वर्तमान राजनितिक उथल-पथल को देखते हुए यह कहना उचित होगा कि, 80 वर्षीय शरदचंद्र गोविंदराव पवार ने 7 लोक कल्याण मार्ग पर प्रतिष्ठित कुर्सी और आवास पर अभी भी नजरे टिकाए हुए है।
कांग्रेस यानी गांधी परिवार, जिस पार्टी के साथ वह 90 के दशक तक थे, वही अब उनकी प्रधानमंत्री पद की महत्वाकांक्षा में प्रमुख रोड़ा है। इस बार पवार बड़ी चतुराई से गांधी परिवार को दरकिनार कर रहे हैं जो सदी के इतिहास में अपने सबसे निचले स्तर पर है।
हाल ही में, पवार के आह्वान पर, गैर-कांग्रेसी दलों के नेता और कुछ बुद्धिजीवी NCP प्रमुख के नई दिल्ली स्थित आवास पर एकत्र हुए और मिशन 2024 की संभावना पर चर्चा की। हालांकि बैठक में शामिल होने वाले किसी भी नेता ने मीडिया से इस बारे में खुलकर बात नहीं की।
बैठक के बाद राकांपा के वरिष्ठ नेता मजीद मेनन ने कहा, ‘ऐसी चर्चा है कि यह बैठक कांग्रेस के बिना तीसरे मोर्चे के लिए थी, जो सच नहीं है। कोई भेदभाव नहीं है। हमने सभी समान विचारधारा वाले लोगों को बुलाया। हमने कांग्रेस नेताओं को भी आमंत्रित किया। मैंने मीटिंग के लिए विवेक तन्हा, मनीष तिवारी, अभिषेक मनु सिंघवी, शत्रुघ्न सिन्हा को बुलाया। वे नहीं आ सके। यह सच नहीं है कि हमने कांग्रेस को आमंत्रित नहीं किया।’
गांधी परिवार ने कई बार पवार के सपनो पर पानी फेरा है
ऐसे में संदेश बहुत स्पष्ट है – शरदचंद्र गोविंदराव पवार कांग्रेस की मदद चाहते हैं लेकिन शीर्ष पर गांधी परिवार के बिना कांग्रेस ऐसा करेगी नहीं। शरद पवार जानते हैं कि, जब तक गांधी परिवार शीर्ष पर है, तब तक उनकी प्रधानमंत्री पद की महत्वाकांक्षा को कभी पूरा नहीं किया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि गांधी परिवार अपने परिवार के सदस्यों को इस पद के स्वाभाविक उत्तराधिकारी के रूप में देखता है।
पिछली बार जब शरद पवार कांग्रेस की कमान संभालने वाले थे, तब सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवार बनकर शो खराब कर दिया था।
इसलिए पवार इस बार बहुत चालाकी से खेल रहे हैं और धीरे-धीरे गांधी परिवार को दरकिनार कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें 2024 के आम चुनाव में विपक्ष का चेहरा बनने में कोई बाधा न हो।
साल 1991 में प्रधानमंत्री पद के तीन उम्मीदवारों के नाम चर्चा में थे। उस समय शरद पवार कांग्रेस में थे और उन्होंने NCP का गठन नहीं किया था। तब तक, शरदचंद्र गोविंदराव पवार एक क्षेत्रीय दिग्गज और एक सभ्य राष्ट्रीय नेता के रूप में उभरे थे, जो कांग्रेस के अन्य नेताओं की तुलना में राजनीति को अच्छे से जानते थे।
इस बार हर कदम सावधानी से रख रहे है
अधिक शक्ति के लिए पवार की भूख और एक दिन प्रधानमंत्री बनाने की उनकी महत्वाकांक्षा सभी को पता थी। ऐसी महत्वाकांक्षाएं गांधी परिवार को भी सता रही थीं, क्योंकि पवार की महत्वाकांक्षाएं गांधी परिवार के लिए खतरा पैदा कर सकती थी।
स्वाभाविक रूप से, सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस, शरदचंद्र गोविंदराव पवार को प्रधानमंत्री बनाना नहीं चाहती थी। उनके लिए प्रधानमंत्री की कुर्सी पर किसी ऐसे व्यक्ति को रखने का कोई मतलब नहीं है जो गांधी परिवार के लिए प्रतिबद्ध नहीं है। इसलिए, शरदचंद्र गोविंदराव पवार के बजाय, सोनिया गांधी ने गुप्त रूप से कांग्रेस को यह महसूस करना शुरू कर दिया कि उनका समर्थन P. V नरसिम्हा राव के लिए है।
पीवीएन राव की शुरुआती छवि एक “Yes Man” की थी, जिनकी कोई बड़ी राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं थी। उनके ऊपर गांधी परिवार अपनी मनमानी चला सकता था। यह एक अलग कहानी है कि, राव के बारे में जो सोचा गया था, वो उसके बिल्कुल विपरीत निकले, और उन्होंने गांधी परिवार की एक न चलने दी।
साल 1999 में भी सोनिया गांधी पवार की महत्वाकांक्षाओं के लिए एक रोड़ा बनकर उभरीं और अंततः वे कांग्रेस पार्टी से अलग हो गए थे। शरदचंद्र गोविंदराव पवार को सोनिया गांधी ने दो बार पछाड़ दिया है और इसलिए इस बार पहले वह गांधी परिवार को दरकिनार कर रहे हैं, ताकि संभवत: 2024 के आम चुनाव में विपक्ष के नेता के तौर पर अपना दावा ठोक सके।
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