हाल ही में महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले से एक बेहद शर्मनाक और दिल को दहला देने वाला वीडियो सामने आया है। इस विडियो में स्कूल में बनाये गए क्वारंटाइन सेंटर के टॉयलेट को एक आठ साल का मासूम बच्चा साफ करता हुआ दिख रहा है। बता दें कि बुलढाणा के संग्रामपुर तहसील के मारोड गांव में कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर में यह अमानवीय घटना घटी है। हालांकि, यह मामला सामने आने के बाद आरोपी पंचायत समिति के एक कर्मचारी को सस्पेंड कर दिया गया है। साथ ही में जिलाधिकारी ने पूरे मामले की रिपोर्ट तीन दिन के अंदर मांगी है।
वीडियो सामने आने के बाद बुलढाणा के जिलाधिकारी ने इस मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है। इस मामले पर जिलाधिकारी ने कहा, ”यह बहुत ही गंभीर मामला है एक समाज के तौर पर सभी का इस घटना को लेकर नाराज होना जायज है। जिला प्रशासन ने इस मुद्दे पर संज्ञान लिया है और हम जरूर उस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करें जिसने बच्चे को ये काम करने का निर्देश दिया है। मामला सामने आने के बाद अब तक इस घटना के जुड़े तीन लोगों को सस्पेंड भी किया जा चुका है।”
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जी न्यूज के अनुसार, वीडियो में बुलढाणा पंचायत समिति का एक कर्मचारी बच्चे को टॉयलेट साफ करने का आदेश देता हुआ नजर आ रहा है। बच्चे को लकड़ी से मारें जाने का डर दिखा कर, उससे यह काम करवाया गया था। उसे टॉयलेट की सफाई के बाद 50 रुपये भी दिए गए थे।
दरअसल, महाराष्ट्र में ग्रामीण इलाकों के सरकारी स्कूलों को क्वारंटाइन सेंटर में तब्दील किया गया है। ताकि कोरोना संक्रमित मरीजों को वहां रखा जा सके और अन्य लोगों को संक्रमण से बचाया जा सके, लेकिन यह वीडियो सामने आने के बाद राज्य प्रशासन एक बार फिर से सवालों के कटघरे में खड़ी है। सवाल यह भी उठता है कि अगर यह बच्चा कोरोना संक्रमण के शिकार हो जाता तो किसकी जवाबदेही बनती।
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महाराष्ट्र सरकार आए दिन अपने “कोरोना मॉडल” का प्रचार प्रसार करती रहती है, पर जमीनी हकीकत का एक नमूना आज सभी के समक्ष है। राज्य में अभी तक लॉकडाउन लगा हुआ है, वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार दावा कर रही है कि राज्य में कोरोना पर काबू पाया जा चुका है। महा विकास आघाड़ी सरकार के हर दावे के जैसे यह भी दावा झूठा है।