चीन भारत के आर्थिक ढांचे पर कड़ी नजर रख रहा था, उसके मंसूबों पर भारतीय अधिकारियों ने पानी फेर दिया है

Border Security Force यानि BSF ने पश्चिम बंगाल के मालदा ज़िले में एक चीनी जासूस को पकड़ा है, जिसने अब कई बड़े खुलासे किए हैं। हान जुनवे नामक इस चीनी जासूस ने यह कबूला है कि वह फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर पिछले ग्यारह सालों में भारत से करीब 1300 Sim Cards की तस्करी कर चुका है, जिनका उपयोग भारतीय लोगों के Bank Accounts को हैक करने में और वित्तीय धोखाधड़ी करने में किया जा रहा था। इस चीनी जासूस के पकड़े जाने के बाद भारतीय एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं और अब देशभर की Telecom कंपनियों को हिदायत दी गयी है कि पिछले 10 सालों में चीन के अंदर से जिन भी भारतीय Sim Cards का इस्तेमाल किया गया हो, उनकी details सरकार के पास जमा कराई जाये।

बता दें कि इस धोखाधड़ी में हान अकेला नहीं था, बल्कि इस काम में गुरुग्राम में मौजूद उसका एक बिजनेस पार्टनर भी उसकी सहायता कर रहा था। हान जुनवे ने साल 2019 में गुरूग्राम में अपने एक बिजनेस पार्टनर, सुन जियांग के साथ स्टार-स्प्रिंग नाम का एक बड़ा होटल खोला था। लेकिन ये दोनों इस होटल की आड़ में जासूसी और भोले-भाले भारतीयों की जेब में सेंध लगाने का काम करते थे। BSF के मुताबिक, “फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ये दोनों भारतीय सिम कार्ड खरीदते थे, उसके बाद अंडरग्रामेंट्स में इन सिम-कार्ड्स को छिपाकर चीन ले जाते थे।”

कुछ समय पहले लखनऊ Anti Terror Squad यानि ATS ने फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर Sim Card खरीदने के लिए सुन जियांग को गिरफ्तार कर लिया था। उसके बाद इस मामले की जांच हुई तो हान जुनवे और उसकी पत्नी को भी इस रैकेट का हिस्सा पाया गया। इसके बाद हान के खिलाफ भारतीय एजेंसियों ने ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी करने की प्रक्रिया को शुरू भी कर दिया था। हालांकि, अब BSF ने ही इसे धर-दबोचा है। भारत में उसके खिलाफ हो रही कार्रवाई के कारण हान को भारतीय वीज़ा तो नहीं मिल सका, लेकिन उसने बांग्लादेश के रास्ते भारत में घुसपैठ करने की योजना बनाई। उसको नहीं पता था कि BSF उसे वहीं दबोच लेगी।

ये चीनी गिरोह पिछले कई सालों से भारतीय लोगों को निशाना बना रहा था, जिसके बाद अब भारतीय एजेंसियों ने इसका पर्दाफाश किया है। पकड़ा गया चीनी जासूस इससे पहले भी 4 बार भारत आ चुका है। वर्ष 2010 में वह हैदराबाद आया था, तो वहीं 2019 के बाद तीन बार वह दिल्ली-गुरुग्राम का दौरा कर चुका है। यहाँ बड़ी बात यह है कि इस जासूसी गिरोह के तार सीधा चीनी खुफिया एजेंसियों से मिले हो सकते हैं। इस बात का अनुमान खुद भारतीय एजेंसियों ने लगाया है।

पिछले वर्ष भी भारत में एक बड़े चीनी हवाला नेटवर्क का खुलासा हुआ था, जिसके तहत तिब्बती लोगों को पैसा देकर उनसे दलाई लामा के संबंध में अहम जानकारी जुटाई जा रही थी। इसका भंडाफोड़ भी भारत सरकार ने पिछले वर्ष किया था, जिसके दौरान कई चीनी नागरिकों को गिरफ्तार भी किया गया था। ज़ाहिर है कि चीनी सरकार भारत को अस्थिर करने और भारत-विरोधी एजेंडा चलाने के लिए लगातार जासूसी प्रक्रियाओं का सहारा ले रही है, लेकिन भारत सरकार और एजेंसियों की सतर्कता के कारण हर बार उसे मुंह की खानी पड़ रही है।

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