टूलकिट कांड से घबराकर कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में FIR दर्ज की थी, रायपुर हाई कोर्ट ने धागा खोल दिया

चौबे जी चले थे छब्बे जी बनने, मगर दुबे जी बन कर रह गए

रायपुर हाई कोर्ट

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने ‘फर्जी टूलकिट मामले’ में रायपुर पुलिस द्वारा दर्ज की गई FIR के तहत जांच पर रोक लगा दी है। यह FIR पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के खिलाफ दर्ज की गयी थी। FIR के संबंध में रायपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से अगले तीन सप्ताह में जवाब मांगा।  रायपुर हाई कोर्ट ने छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा की गयी FIR को “राजनीतिक उद्देश्यों से पंजीकृत” करार दिया है। बता दें कि, छत्तीसगढ़ पुलिस के खिलाफ याचिका डालने वालों में बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा और छत्तीसगढ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह शामिल हैं।

बता दें कि दोनों नेताओं के खिलाफ छत्तीसगढ़ NSUI अध्यक्ष आकाश शर्मा द्वारा 18 मई को FIR दर्ज कराई गई थी। इससे पहले कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली में FIR दर्ज कराई थी, परंतु जांच  के अंतराल में स्वयं का पर्दाफाश हो जाने के डर से कांग्रेस पार्टी ने छत्तीसगढ़ पुलिस की ओर रूख किया था।

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रायपुर हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “अगर हम FIR में अंकित आईपीसी की धारा 504, 505 (1) (बी) और 505 (1) (सी) के तहत  अपराध को देखें तो किसी रूप से अपराध और IPC की  धाराएं मेल नहीं खाती है। यानी ट्वीट  के अपराध में आईपीसी की यह धाराएं लगाना कहीं से सही नहीं है। यह पूरा प्रकरण यह दर्शाता है कि याचिकाकर्ता के ट्वीट से, कांग्रेसी उत्तेजित हो गए। यह पूरी तरह से दो राजनीतिक दलों के बीच का राजनीतिक मामला है।“

रायपुर हाई कोर्ट ने आगे कहा कि, “मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है और याचिकाकर्ता के खिलाफ राजनीतिक द्वेष के कारण ही यह कार्रवाई की जा रही है। पूरे मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, मेरा विचार है कि याचिकाकर्ता ने FIR पर स्टे लगाने के लिए मजबूत पक्ष रखा है। ऐसे में तथ्यहीन FIR के आधार पर जांच जारी रखना कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग के अलावा और कुछ नहीं होगा।“

बता दें कि भाजपा नेताओं पर “एक फर्जी कहानी को लेकर” अशांति फैलाने और लोगों को भड़काने का आरोप लगाया गया था।

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याचिकाकर्ताओं ने अपनी दलील देते हुए कहा कि, “दिल्ली में पहले से ही एक FIR दर्ज की गई थी, जहां पुलिस ने जांच शुरू कर दी थी। दिल्ली पुलिस ने इन दस्तावेजों के स्रोतों के बारे में जांच शुरू की है, लेकिन शिकायतकर्ता ने बाद में शिकायत वापस ले ली है।  छत्तीसगढ़ पुलिस ने सच्चाई की जांच किए बिना FIR दर्ज कर ली है। ”

रायपुर हाई कोर्ट के फैसले की वजह से एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी को मुंह की खानी पड़ी है। साथ ही में उनकी दिल्ली पुलिस से बचकर छत्तीसगढ़ पुलिस के शरण में आने की तरकीब भी फेल हो गई है।

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