महाराष्ट्र के महाविकास अघाड़ी सरकार के पास निजी धन जमा करने के कई गैर कानूनी तरीके उपलब्ध है। जैसे कि- वसूली करना और दूसरा यह कि राज्य के सहकारी बैंकों का धन खंगालना। सहकारी बैंक में धांधली मुख्यतौर पर NCP करती आ रही है। उदाहरण के आपको बता दें, मार्च 2021 में ED ने सहकारी बैंक के फ्रॉड मामले में NCP नेता समेत उसके तीन साथियों को गिरफ्तार किया था।
सहकारी बैंक लंबे समय से स्टेट रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटी और RBI द्वारा डबल रेगुलेशन के अधीन थे। नतीजतन, ये बैंक विफलताओं और धोखाधड़ी के बावजूद जांच से लंबे समय से बचते आ रहे है।
इससे निपटने के लिए भारत सरकार ने सितंबर 2020 में संसद द्वारा बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में परिवर्तन करके सहकारी बैंकों को RBI की प्रत्यक्ष निगरानी में ला दिया है। संशोधित कानून, RBI को संबंधित राज्य सरकार के साथ परामर्श के बाद सहकारी बैंकों के निदेशक मंडल को खत्म करने की शक्ति देता है।
इससे पहले, RBI केवल बहु-राज्य सहकारी बैंकों को ही ऐसे निर्देश जारी कर सकता था। साथ ही, शहरी सहकारी बैंकों को अब वाणिज्यिक बैंकों के समान माना जाएगा।
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लेकिन भारत सरकार के इस संशोधन के बाद से NCP पार्टी तिलमिला गई है। बता दें कि बुधवार (2 जून) को अपनी पार्टी के साथ बैठक के दौरान, NCP प्रमुख शरद पवार ने हाल ही में कानून में बदलाव के खिलाफ एक कार्य योजना तैयार करने के लिए एक टास्क फोर्स गठित करने की योजना को मंजूरी दी है।
प्रस्तावित टास्क फोर्स का नेतृत्व महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार में NCP नेता और सहकारिता मंत्री बालासाहेब पाटील करेंगे।
आपको बता दें कि भारत के 1,500 से अधिक शहरी सहकारी बैंकों में से लगभग एक तिहाई महाराष्ट्र में ही है। राज्य में 497 शहरी सहकारी बैंक और 31 जिला केंद्रीय सहकारी बैंक हैं, जिनकी कुल जमा राशि 2.93 लाख करोड़ रुपये है।
बता दें कि महाराष्ट्र के ज्यादातर सहकारी बैंकों पर NCP के नेताओं का नियंत्रण है। केंद्र सरकार द्वारा लाया गया यह कानून सहकारी बैंकों को RBI की निगरानी में लाता है। जिससे NCP नेताओं की जवाबदेही बढ़ेगी और उन्हें जांच के दायरे में लाया जाएगा।
कुल मिलाकर सहकारी बैंकों में चल रही धांधली पर लगाम लगाई जाएगी और ऐसे में महाविकास आघाडी सरकार द्वारा संचालित भ्रष्टाचार उजागर हो सकता है।
महाराष्ट्र में सहकारी बैंकों में भ्रष्टाचार के मामलों की सूची लंबी है। मिसाल के लिए बता दें, सितम्बर 2019 में ED ने शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार को 2,5000 करोड़ के घोटाले में गिरफ्तार किया था। ऐसे ही PMC बैंक स्कैम में संजय राउत समेत कई नेताओं का नाम सामने आया था। ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा लाया गया नया कानून जल्द से जल्द लागू होना चाहिए और सहकारी बैंकों को महाविकास आघाडी के नेताओं से मुक्त कराना चाहिए।