पश्चिम बंगाल के चुनाव परिणाम आने के बाद से हिंसा का दौर अभी भी नहीं थमा है। इसी के मद्देनजर पश्चिम बंगाल भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने 50 विधायकों के साथ सोमवार को एक ज्ञापन सौंपने के लिए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने संवादाताओं से बातचीत की और ऐसा बयान दिया जो ममता बनर्जी के लिए चेतावनी से कम नहीं है। ऐसा लगता है कि अब हिंसा पर ममता बनर्जी की चुप्पी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ के धैर्य का बांध तोड़ दिया है। यही कारण है कि अब उन्होंने अपनी सर्वोच्च संवैधानिक ताकत के इस्तेमाल की बात कही है।
भाजपा नेताओं से मुलाकात के बाद हिंसा के बारे में बात करते हुए, राज्यपाल ने कहा: “क्या एक कैबिनेट बैठक में चुनाव के बाद की हिंसा पर कोई बातचीत हुई थी? क्या मुख्यमंत्री की ओर से कोई बयान आया है? क्या वहां सीएम या कोई मंत्री या अधिकारी किसी के आंसू पोंछने गए थे? “
उन्होंने कहा, “Fear quotient इतना अधिक है कि लोकतंत्र अपनी अंतिम सांस ले रहा है। मैं सरकारी अधिकारियों और सीएम से विनती करता हूं – यह हमारे लिए महत्वपूर्ण है कि लोकतंत्र बना रहे। मुझे उम्मीद है कि सीएम आवश्यक कदम उठाएंगे और सरकार सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएगी। हम बंगाल में आग लगने की अनुमति नहीं दे सकते।“
जगदीप धनखड़ ने कहा कि कुछ लोग मुझसे पूछते हैं कि राज्यपाल सर कब तक ट्वीट करते रहेंगे? कब तक आप कब इस अत्याचार को बर्दास्त करते रहोगे?” उन्होंने आगे कहा कि “मेरा प्रयास जारी है, और आपका राज्यपाल आपको निराश नहीं करेगा। अगर वे संविधान से बाहर जा कर काम करेंगे तो वे सिस्टम को विवश करेंगे और मुझे विवश करेंगे।”
इसका स्पष्ट इशारा उनकी संवैधानिक ताकत यानी राष्ट्रपति शासन लागू करने की और था।
जगदीप धनखड़ ने कहा: “मैंने 5 मई को शपथ ग्रहण के दौरान हुई हिंसा के बारे में मुख्यमंत्री को चेतावनी दी थी, लेकिन उन्होंने नहीं सुनी। बाद में, 17 मई को संविधान का काला दिन आया, जब मुख्यमंत्री सीबीआई कार्यालय पहुंचे, जो कि दायरे से बाहर था।”
यानी जगदीप धनखड़ स्वयं यह कह रहे हैं कि ममता बनर्जी की सरकार संविधान से बाहर जा रही है। यह ममता बनर्जी के लिए किसी चेतावनी से कम नहीं है।
इंडिया टुडे की माने तो बीजेपी नेताओं से सोमवार को मुलाकात के बाद आज वे नई दिल्ली भी आने वाले हैं। इसका अर्थ यह हुआ राष्ट्रपति शासन पर भी चर्चा हो सकती है।
बता दें कि पश्चिम बंगाल में चुनाव परिणाम आने के बाद TMC ने “डायरेक्ट एक्शन डे” की तरह हिंसा फैलाई। भाजपा कार्यालयों में तोड़फोड़, भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले, उनके घरों में आगजनी, हत्या का सिलसिला अभी भी नहीं थमा है। वैसे तो यह सब चुनाव से पहले से ही हो रहा था, लेकिन चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद ऐसा लगा जैसे तृणमूल कार्यकर्ताओं को बंगाल में हिंसा करने की खुली छूट मिल गयी हो। क्या कांग्रेस, क्या लेफ्ट; सभी के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया। 2 मई को ही अभीजीत सरकार और बंगाल भाजपा बूथ कार्यकर्ता होरोम अधिकारी की हत्या कर दी गयी थी। इसके अतिरिक्त एक वीडियो में तृणमूल कार्यकर्ता महिलाओं को पीटते नजर आ रहे हैं। यहाँ तक कि तृणमूल कार्यकर्ताओं पर दो महिला पोलिंग एजेंट्स के सामूहिक बलात्कार की खबर भी सामने आई है। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों को पडोसी राज्य असम भागना पड़ा है।
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वहीँ, ममता बनर्जी की चुप्पी अब भी जारी है। वहीं, उनकी पार्टी की सांसद महुआ मोइत्रा ने फेक न्यूज का सहारा लेते हुए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को “अंकल जी” कहते हुए उनका भद्दा मजाक उड़ाया था। इससे पहले तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने जगदीप धनखड़ को पागल कुत्ता तक कह दिया था। यह बिगड़ती कानून और व्यवस्था की स्थिति से ध्यान हटाने के लिए रणनीति के तहत किया गया था। ममता बनर्जी अपने खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबा देना चाहती है। ममता लोकतंत्र को तो लगभग खत्म कर ही चुकी हैं, अब वह लोकतंत्र की मूल भावनाओं, सिद्धांतों तक का लिहाज नहीं कर रहीं हैं। उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनका रवैया कितना अभद्र है। ममता बनर्जी इस बेशर्मी से लोकतांत्रिक मूल्यों को दरकिनार इसलिए कर पा रही हैं क्योंकि उन्हें पता है कि मेनस्ट्रीम मीडिया और वामपंथी-उदारवादी इकोसिस्टम कभी भी उनसे सवाल नहीं करेगा। तृणमूल ने बंगाल का ये हाल बना दिया है कि राज्यपाल को खुलेआम राज्य छोड़ने की धमकी दी जा रही है, जब वह दंगा पीड़ित हिंदुओं से मिलने जा रहे हैं तो उनका रास्ता रोका जा रहा है, पीड़ित हिन्दुओं का हाल पूछने पर उन्हें काले झंडे दिखाए जा रहे हैं। परन्तु अब राज्यपाल जगदीप धनखड़ के सब्र का बांध टूट चुका है और जल्द ही हमें उनकी तरफ राष्ट्रपति शासन जैसा एक बड़ा एक्शन देखने को मिल सकता है।