भारत की मांग का समर्थन करते हुए, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कोविड-19 टीकों के निर्माण के लिए आवश्यक कच्चे माल के निर्यात को रोकने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में जो बाइडेन प्रशासन पर हमला बोला है। जिस स्पष्टता के साथ उन्होंने बाइडन प्रशासन का नाम लिए बगैर भारत के उदाहरण के साथ बाइडन पर निशाना साधा, उसे देखते हुए ऐसा लगता है कि वह पश्चिम में सबसे समझदार नेता हैं।
हालांकि, मैक्रों ने किसी का नाम नहीं लिया, परन्तु उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि ‘G7 के कुछ सदस्य देशों द्वारा वैक्सीन उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया है।’
मैक्रों ने कहा, “कई G7 सदस्य देशों द्वारा निर्यात प्रतिबंध लगाए गए हैं, जिसके कारण अन्य देशों में उत्पादन अवरुद्ध हो गया।“ उन्होंने कहा कि मध्यम आय वाले देशों में भी वैक्सीन का उत्पादन रुक गया है। मैं इसका एक उदाहरण लेना चाहूंगा जैसा कि भारत।”
There have been export bans by several G7 member countries that blocked production in other countries & sometimes blocked production in middle-income countries,which is essential for production of vaccines for poorest countries. I'll take just one example, India: French President pic.twitter.com/l0O2mA2FpA
— ANI (@ANI) June 11, 2021
मैक्रों ने आगे जोर देते हुए कहा- “भारत खासकर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को वैक्सीन उत्पादन के लिए कच्चे माल के निर्यात पर जी-7 इकॉनोमिज की तरफ से रोक लगा दी गई। प्रतिबंधों को जरूर हटाया जाना चाहिए ताकि भारत खुद इसका उत्पादन बढ़ा सके और इसकी सप्लाई अफ्रीकन देशों में कर सके, जो पूरी तरह से इनके उत्पादन पर निर्भर है।”
India, & in particular SII, blocked by export restrictions on ingredients needed to produce vaccines from certain G7 economies. Restrictions must be lifted so India can produce more for itself&quickly supply Africans in particular, who are dependent on its production: French Pres
— ANI (@ANI) June 11, 2021
मेक्रों का इस तरह से भारत को समर्थन देना दिखाता है कि वह भारत और भारतीय कंपनी SII का कोरोना के खिलाफ लड़ाई में महत्व को समझते हैं। उन्हें पता है कि अगर कोरोना से इस युद्ध को जीतना है तो उसके लिए भारत एकमात्र ऐसा देश है जो मुनाफें को पीछे छोड़ मानवता के लिए आगे आ सकता है।
बता दें कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के सीईओ अदार पूनावाला ने अप्रैल में कहा था कि महत्वपूर्ण कच्चे माल के निर्यात पर संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण देश में Covid-19 वैक्सीन का उत्पादन प्रभावित हुआ हैं। साथ ही उन्होंने जो बाइडेन से प्रतिबंध हटाने की अपील की थी, परन्तु तब बाइडन प्रशासन का रुख नहीं बदला और वैक्सीन के लिए कच्चे माल के निर्यात पर से प्रतिबन्ध नहीं हटाया गया था।
तब कोविड-19 रिस्पांस टीम के वरिष्ठ सलाहकार और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शस डिसीज के डायरेक्टर डॉ एंथनी फौसी ने कहा था कि फिलहाल हमारे पास भारत के लिए कुछ नहीं है। डॉ एंथनी फौसी से भारत में कोविशील्ड वैक्सीन तैयार करने वाले सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला की अपील के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा, “फिलहाल हमारे पास पूनावाला की मांग को पूरा करने के लिए कुछ नहीं है।“
वैक्सीन उत्पादन के लिए इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल के निर्यात पर प्रतिबंध ने covid-19 वैक्सीन कोवोवैक्स के उत्पादन को प्रभावित किया था। भारत अपने टीकाकरण प्रयासों के लिए कोवोवैक्स पर भी निर्भर था, लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा कच्चे माल के प्रतिबंध के कारण अब कोवोवैक्स भारतीय बाजारों में देर से आएगा।
हालाँकि, अप्रैल महीने के आखिरी में भारत के NSA अजीत डोभाल की अमेरिका के NSA Jake Sullivan से फोन पर बातचीत के बाद अमेरिका ने आखिरकार भारत को वैक्सीन के कच्चे माल का निर्यात करने का फैसला किया।
जब आप एक वैश्विक शक्ति पर निर्भर होते हैं और जब आपको उसकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है, तो वही आपको धोखा देता है। यह सच है कि विश्व के एक देश पर दो-दो परमाणु बम गिराने वाला एकमात्र देश अमेरिका ही है, लेकिन अगर कहीं परमाणु बम की बात आती है तो सबसे पहले नैतिकता की बातें अमेरिका ही करता है, परन्तु मैक्रों ने अमेरिका के बाइडन प्रशासन पर निशाना साध यह बता दिया है कि अब अमेरिका की मनमानी नहीं चलने वाली है। अगर वह अपनी मनमानी करेंगे तो मैक्रों जैसे नेता चुप नहीं बैठने वाले हैं। पिछले कुछ समय से मेक्रों ने सबसे बेहतरीन तरीके से प्रशासन किया है। चाहे वो आतंरिक मामला हो या विदेश नीति, पश्चिमी देशों में मेक्रों सबसे समझदार नेता के तौर पर उभरे हैं।