भाई की मृत्यु के बाद उनकी राजनीतिक विरासत को हथियाने का सपना संजोए बैठे लोकजनशक्ति पार्टी के नेता पशुपतिनाथ पारस भले ही बगावत के मूड में आ गए हो लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के कारण उनकी मुश्किलें भी बढ़ गईं हैं। एक तरफ जहां चिराग से ही बगावत करने वाले चचेरे भाई प्रिंस राज के खिलाफ यौन शोषण का केस दर्ज हुआ है तो दूसरी ओर चिराग पासवान ने पार्टी में फूट डालने को लेकर कानूनी कार्रवाई की घोषणा कर दी है। उन्होंने अपने धोखेबाज चाचा पशुपतिनाथ के संबंध में कहा कि अगर उन्हें पद की लालसा थी तो मुझे बताते, मुझे पार्टी से निकालकर उन्होंने अच्छा नहीं किया है।
बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण मानी जाने वाली लोकजनशक्ति पार्टी में हुई फूट और चाचा भतीजे की इस लड़ाई में अब चिराग पासवान ने पशुपतिनाथ पारस को सबक सिखाने की ठान ली है। चिराग पहले ही अपने अध्य्क्ष पद के अधिकारों का प्रयोग करते हुए पार्टी से पांचों बागी सांसदों को बाहर का रास्ता दिखा चुके हैं, तो वहीं राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर चिराग ने बिहार का LJP अध्यक्ष अपने करीबी राजू तिवारी को बना दिया है। गौरतलब है कि, पहले ये पद पशुपतिनाथ पारस के बेटे पद प्रिंस राज के पास था।
इतना ही नहीं चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपतिनाथ पर धोखेबाजी करने और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मिलकर पार्टी तोड़ने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि उन्हें पार्टी अध्यक्ष के पद से गैर कानूनी ढंग से हटाया गया है और इसीलिए वो अब इस मुद्दे पर कानूनी कार्रवाई को तैयार हैं।
उन्होंने पशुपतिनाथ के लिए कहा, “यदि पशुपति पारस संसद में पार्टी के प्रमुख नेता बनना चाहते थे, तो वे मुझे बता सकते थे और मैं खुशी-खुशी उन्हें वो पद देकर नेता बना देता, लेकिन मुझे जिस तरह से अध्यक्ष पद से हटाया गया, वह पूरी तरह से अवैध था। इसलिए अब हम कानूनी लड़ाई के लिए भी तैयार हैं।”
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पशुपतिनाथ पारस पर आरोप लगाते हुए चिराग ने कहा, “मैंने हमेशा ही पार्टी और परिवार को मजबूत करने की कोशिश की है। यहां तक कि मेरी मां ने भी चाचा से बात करने की कोशिश की, लेकिन इस मुद्दे पशुपतिनाथ नाथ ने किसी की नहीं सुनी।” साफ है कि भले ही पशुपतिनाथ लगातार षड्यंत्रों के जरिए चिराग पासवान को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन चिराग इस मुद्दे पर पीछे हटने वाले नहीं हैं और अब वो इस मुद्दे पर कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर चुके हैं।
चिराग पासवान ने इस संबंध में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को चिट्ठी भी लिखी है, और LJP का नेता पशुपतिनाथ पारस को न बनाने की मांग की है। उन्होंने लिखा, “पार्टी के संसदीय दल के नेता के रूप में पशुपति पारस को मान्यता देने के फैसले पर फिर से विचार कर लें। ये फैसला पार्टी के नियम के मुताबिक नहीं है। पार्टी का अध्यक्ष ही संसदीय दल का नेता चुन सकता है।” चिराग ने स्पीकर से अनुरोध किया है कि पार्टी का नेता उन्हें ही माना जाए।
एक तरफ जहां पशुपतिनाथ पर चिराग कानूनी कार्रवाई कर रहे हैं तो दूसरी ओर पशुपतिनाथ के बेटे के खिलाफ बिहार और दिल्ली दोनों जगह ही यौन शोषण का केस दर्ज किया गया है। उन पर एक लड़की से शादी करने का झांसा देकर उसका यौन शोषण करने का आरोप लगा है। इस पूरे प्रकरण को देखें तो भले ही पशुपतिनाथ पारस ने छल से चिराग को पासवान को पार्टी से बाहर किया हो लेकिन कानूनी लड़ाई में उनकी मुसीबतें ही बढ़ सकती है।
इस पूरे खेल के लिए विश्लेषक नीतीश कुमार को मास्टरमाइंड मान रहे हैं, क्योंकि पशुपतिनाथ पारस उनके करीबी माने जाते हैं। ऐसे में चिराग पासवान का आक्रामक रवैया नीतीश के लिए ही झटका है क्योंकि चिराग पासवान धोखा मिलने के बावजूद आसानी से हार मानने वाले नहीं हैं और चाचा पर ताबड़तोड़ हमले करके उन्होंने ये बात साबित भी कर दी है।