जापान ने जिनपिंग के मुँह पर फोड़ा “ताइवान बम”, ताइवान को कहा “देश”

चीन को इससे बड़ा झटका लगा है

ताइवान देश

जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा ने पहली बार ताइवान को एक “देश” कहकर संबोधित किया है, जिसके कारण चीन को बड़ा झटका लगा है। एक संसदीय बहस के दौरान प्रधानमंत्री ने ऐसा कहा। ताइवान मुद्दा चीन के लिए बेहद संवेदनशील है और जापान पिछले कुछ समय से ताइवान मुद्दे का वैश्वीकरण करने की पूरी कोशिश कर रहा है।

जापान को इसमें Australia से भी भरपूर साथ मिल रहा है। जापान और ऑस्ट्रेलिया के “अभियान ताइवान” ने चीन की मुश्किलों को बढ़ा दिया है, जो आज भी ताइवान को अपना ही हिस्सा मानता है।

दरअसल, बुधवार को एक बहस के दौरान जापानी प्रधानमंत्री सुगा ने कहा था “ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और ताइवान जैसे देश भी अपने यहाँ कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए निजता के कानूनों पर लगाम कस रहे हैं।” अपने इस कथन में सुगा ने ताइवान को भी एक देश की तरह संबोधित किया।

यह तब हुआ है जब जापान पहले ही G7 समिट में ताइवान मुद्दे को ज़ोर-शोर से उठाने और G7 के संयुक्त बयान में “ताइवान स्ट्रेट” को अंकित कराने के लिए पूरी मेहनत कर रहा है।इसके अलावा जापान पहले ही EU के साथ मिलकर एक संयुक्त बयान में सफलतापूर्वक ताइवान का नाम अंकित करा चुका है

ज़ाहिर है कि जापान का यह रुख चीन को पसंद नहीं आ रहा है। गुरुवार को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता Wang Wenbin ने कड़े शब्दों में जापानी नेताओं की निंदा की। उनके बयान के अनुसार “चीन जापानी नेता द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्दों की निंदा करता है। हमने इस संदर्भ में जापानी पक्ष को अपनी चिंताएँ प्रकट कर दी हैं। हमने उनसे एक स्पष्टीकरण भी मांगा है। हमें आशा है कि यह गलती दोबारा नहीं की जाएगी।”

Wang ने साथ में यह भी कहा कि दुनिया में ताइवान नाम का कोई देश नहीं है और चीन ही ताइवान का एकमात्र प्रतिनिधि है।

चीन जिस प्रकार पिछले काफी महीनों से जापान के Senkaku द्वीपों पर अपनी पकड़ मजबूत करने की फिराक में दिखाई दिया है, उसने जापान को चीन के खिलाफ कड़ा विरोध अपनाने पर मजबूर कर दिया है। यही कारण है कि जापान के नेतृत्व में अब ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के देश, ताइवान मुद्दे को महत्वपूर्ण स्थान दे रहे हैं।

जापान ताइवान मुद्दे का वैश्वीकरण कर, चीन की सबसे कमजोर नब्ज़ पर वार कर रहा है। हाल ही में जापान ने ताइवान के लिए अपने हिस्से की 1.24 मिलियन vaccines भी दान की थी। यह जापान का संकेत है कि अगर चीन अपनी चालबाजियों से बाज़ नहीं आता है तो उसे ताइवान के संदर्भ में गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

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