सोशल मीडिया पर ISIS के एक कथित ऑपरेटिव द्वारा बनाए गए मोबाइल वीडियो के सामने आने के बाद तिहाड़ जेल एक बार फिर विवादों में घिर गया है। वीडियो में ISIS ऑपरेटिव ने दावा किया कि जेल के साथी कैदियों और कर्मचारियों ने उसे पीटा और उसे ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए मजबूर किया। यही नहीं इस ISIS ऑपरेटिव के वकील ने बुधवार को दिल्ली की एक अदालत में एक याचिका भी दायर कर दी जिसमें उसने दावा किया है कि तिहाड़ जेल में अन्य कैदियों ने पीटा था और ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए कहा था।
यहां कई सवाल खड़े होते हैं? आखिर इस ISIS आतंकी के पास फोन आया कहां से? थ्री लेयर सिक्योरिटी होने के बावजूद इस आतंकी के पास फोन इतने दिनों तक बरामद क्यों नहीं हुआ? क्या जेल का कोई अधिकारी उसकी मदद कर रहा है? अगर इस तरह की मदद मिल रही है तो कितने आतंकियों के पास फोन मौजूद है जिससे वे जेल में बैठे-बैठे देश की सुरक्षा भेदने का प्रयास कर रहे? आखिर देश ही नहीं बल्कि एशिया के सबसे बड़े जेल के सुरक्षा में इतनी बड़ी सेंध कैसे?
दिल्ली की तिहाड़ जेल में 2018 से बंद ISIS- Harkat-ul-Harb-e-Islam के आतंकी राशिद जफर ने सुरक्षाकर्मियों पर मारपीट का आरोप लगाते हुये वीडियो बनाया।
सवाल ये कि उस आतंकी के पास मोबाइल कैसे आया जिसे NIA ने दिल्ली में आतंकी हमले की योजना बनाने के आरोप में गिरफ़्तार किया था? pic.twitter.com/fdSPdlMTi5
— Jitender Sharma (@capt_ivane) June 10, 2021
दरअसल, घटना कल दोपहर की है। रिपोर्ट के अनुसार राशिद नामक ISIS ऑपरेटिव को NIA ने स्थानीय रूप से निर्मित एक रॉकेट लांचर, आत्मघाती जैकेट के लिए सामग्री और टाइमर जैसे वस्तुओं के साथ पकड़ा था। रिपोर्ट के अनुसार, राशिद ने कहा कि वह जेल में मेडिकल रूम में गया था, लेकिन लौटते समय कथित रूप से अन्य कैदियों के साथ उसकी लड़ाई हुई, जिसके बाद उसे ‘जय श्री राम’ का जाप करने के लिए मजबूर किया गया था।
वीडियो को ध्यान से देखा जाये तो न कोई चोट दिखाई दे रही है और न ही आवाज में कोई रुदन। चेहरे पर जो खून लगा है उसे देख कर ऐसा लगता है जैसे खून स्वयं ही लगाया गया है। यही नहीं वह वीडियो बनाने के दौरान जिस स्पीड में अपनी बातें बता रहा है उसे देख कर ऐसा लगता है कि उसे मोबाइल पकड़ने का डर अधिक है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह देश में अपने लिए जय श्री राम के नाम पर लिबरल ब्रिगेड से समर्थन के लिए किया गया स्टंट है।
हालांकि, जेल अधिकारियों का दावा है कि ISIS ऑपरेटिव दूसरे बैरक में जाना चाहता था और जब उसे ऐसा करने से रोका गया तो उसने खुद चोट पहुंचाई और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया।
तिहाड़ जेल प्रशासन ने किसी भी हमले के आरोपों का खंडन किया और कहा कि उसने खुद को चोट पहुंचाई है। हालांकि, उनका यह भी कहना है कि उन्होंने उसके कब्जे से मोबाइल फोन बरामद कर लिया है और पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं। वे इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि आईएसआईएस के इस ISIS ऑपरेटिव के पास मोबाइल कैसे पहुंचा।
बता दें कि एनआईए द्वारा दिल्ली पुलिस की विशेष टीम और उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते के सहयोग से दिल्ली के जाफराबाद, सीलमपुर और उत्तर में 11 स्थानों पर तलाशी लेने के बाद दिसंबर 2018 में नौ अन्य लोगों के साथ इस ISIS एजेंट को गिरफ्तार किया गया था। यह तलाशी 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह से एक महीने पहले हुई थी। एनआईए के अनुसार, स्थानीय रूप से निर्मित एक रॉकेट लांचर, आत्मघाती जैकेट के लिए सामग्री और टाइमर के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली 112 अलार्म घड़ियों को तलाशी में बरामद किया गया था। एजेंसी ने यह भी बताया था कि उसने 25 किलो विस्फोटक सामग्री – पोटेशियम नाइट्रेट, अमोनियम नाइट्रेट और सल्फर बरामद किया था।
इन आतंकियों ने कथित तौर पर रिमोट से नियंत्रित इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) को असेंबल करने के लिए रिमोट कंट्रोल कार और वायरलेस डोरबेल भी खरीदी थी। इसके अलावा, एनआईए ने तलाशी के दौरान स्टील के कंटेनर, बिजली के तार, 91 मोबाइल फोन, 134 सिम कार्ड, 3 लैपटॉप, चाकू, तलवार, आईएसआईएस से संबंधित आतंकी साहित्य भी बरामद किया था।
तिहाड़ जेल एशिया की सबसे बड़ी जेलों में से एक है और यह देश की सबसे सुरक्षित जेलों में से एक है। इसमें सुरक्षा के तीन स्तर हैं जिसमें तलाशी लेना और जांच करना शामिल है, इसके बावजूद कई मौकों पर जेल परिसर के अंदर मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया गया।
परन्तु एक ISIS ऑपरेटिव के पास से मोबाइल पकड़ा जाना कहीं न कहीं देश के लिए खतरे की घंटी है। गृह मंत्रालय को तुरंत संज्ञान लेते हुए जेल के कैदियों के साथ साथ कर्मचारियों की भी जाँच के आदेश देने चाहिए।