MK स्टालिन के नेतृत्व वाली तमिलनाडु की नव निर्वाचित सरकार ने नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री एस्थर डुफ्लो और RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन सहित भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्रियों को अपने आर्थिक सलाहकार परिषद में शामिल किया है।
MK स्टालिन के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार के अर्थशास्त्रियों की टीम में अन्य अर्थशास्त्री हैं – भारत सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम, ज्यां द्रेज, समाजवादी अर्थशास्त्री और एस नारायण, पूर्व केंद्रीय वित्त सचिव और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व आर्थिक सलाहकार।
तमिलनाडु सरकार के आर्थिक सलाहकार परिषद की घोषणा राज्य के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने सोमवार को की। घोषणा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि, “इस परिषद की संस्तुति के आधार पर राज्य की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया जाएगा और समाज के हर तबके तक आर्थिक विकास का लाभ पहुंचाया जाएगा। इस विकास से दक्षिणी राज्य में आर्थिक नीति में परिवर्तन आने की संभावना है। इससे टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन के माध्यम से जिलास्तरीय विविध उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा।”
राज्यपाल ने आगे कहा कि, “मध्यम, मछोले एवं छोटे उद्योगों को पुनर्जीवित करने के लिए उद्योगपतियों, बैकिंग, वित्तीय विशेषज्ञों और सरकारी अधिकारियों की एक एक्सपर्ट कमिटी गठित की जाएगी, जो इस क्षेत्र में नई स्कीमों को लेकर आएगी।”
और पढ़ें-“कहाँ गयी मंदिर की 47 हज़ार एकड़ ज़मीन?”, मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को धरा
यह देख कर अच्छा लगा कि, तमिलनाडु सरकार ने राज्य की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए अच्छे पेशेवरों को काम पर रखा है। हालांकि, तेजी से बढ़ रहे राजकोषीय घाटे और सरकार द्वारा घोषित समाजवादी कल्याणकारी योजनाओं को देखते हुए, अब एक क्रांतिकारी रिफॉर्म ही राज्य की अर्थव्यवस्था को बचा सकता है। न कि समाजवादी नीतियां, जिसके लिए DMK अथवा MK स्टालिन जानें जाते है।
साथ ही में सबसे दिलचस्प बात यह है कि, जिस पार्टी का अस्तित्व ही ब्राह्मणवाद का विरोध करके बना है। आज उसी पार्टी को अपनी राज्य की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए इतने सारे ब्राह्मणों का सलाह लेना पड़ रहा है। बता दें कि राजन, सुब्रमण्यम और नारायण तमिल ब्राह्मण हैं। DMK के गुंडों ने तमिल ब्राह्मणों को तमिलनाडु से बाहर निकलने पर मजबूर कर दिया था।
बहरहाल, AIADMK से लगातार दो विधानसभा चुनाव हारने के बाद, DMK ने न केवल हिंदू धर्म को अपनाया बल्कि उसे बढ़ावा भी दिया। DMK को अभास हो गया था कि, हिंदू धर्म का विरोध करके राज्य में सत्ता में आना संभव नहीं है।
इतना ही नहीं, विधानसभा चुनाव से पहले, पार्टी के ऊपर से ‘नास्तिक’ का कलंक को मिटाने के लिए, तूतूकुड़ी निर्वाचन क्षेत्र से DMK उम्मीदवार कनिमोझी ने तिरुचेंदूर मंदिर से अपना अभियान शुरू करने का फैसला किया था। इसके अलावा, स्टालिन ने एक सार्वजनिक रैली में बयान दिया था कि, वह हिंदू धर्म के खिलाफ नहीं हैं और आगे कहा कि उनकी पत्नी मंदिरों में जाती हैं और वह उन्हें नहीं रोकते हैं।
तमिलनाडु के लोग भी बाकी भारतवर्ष की तरह धार्मिक हैं और राज्य के अधिकांश लोग समर्पित हिंदू हैं। ऐसे में यह देखकर अच्छा लगा कि स्टालिन अपनी आर्थिक सलाहकार परिषद के बहाने ही सही ब्राह्मणों को गले लगा रहे हैं। साथ ही में राज्य की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए उन्होंने एक अच्छी टीम को एकत्रित किया है।