कुछ लोगों पर एक कहावत बड़े ही सटीक ढंग से लागू होती है – लातों के भूत बातों से नहीं मानते। यही बात द क्विंट, ऑल्ट न्यूज और द वायर पर भी लागू होती है। हाल ही में लोनी मामले में फेक न्यूज फैलाने के पीछे उत्तर प्रदेश सरकार ने इन वामपंथी मीडिया पोर्टल्स पर मुकदमा दायर किया, परंतु इन्हें शायद ही इससे कोई फरक पड़ता है। सो एक बार फिर ये सभी अपनी सर्वजनिक बेइज्जती कराने, अदालत पहुँच चुके हैं और वो भी वर्तमान आईटी अधिनियमों को चुनौती देने के लिए।
हाल ही में, तीनों वामपंथी मीडिया पोर्टल्स ने दिल्ली हाई कोर्ट में, संशोधित IT अधिनियमों को चुनौती दी है, जिसके अंतर्गत अब मीडिया पोर्टल भी सरकार और देश के प्रति जवाबदेह होंगे। इससे पहले ऐसे मीडिया हाउस कुछ भी कह कर, कुछ भी छाप कर, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर बच जाते थे, इसीलिए नागरिकता संशोधन अधिनियम एवं कृषि कानून के विरोध के नाम पर दंगे भड़काने के बावजूद ऐसे पोर्टल्स के विरुद्ध किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हो पाई।
इन्हीं के कारण अब केंद्र सरकार कार्रवाई का कोई अवसर अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती है। हाल ही में, केंद्र ने IT अधिनियमों में संशोधन को स्वीकृति दी है। इससे लगभग हर न्यूज पोर्टल एवं टेक कंपनी अब अपने कॉन्टेन्ट के लिए देश और सरकार के प्रति जवाबदेह रहेगी।
इससे इन वामपंथी मीडिया पोर्टल्स की रोजी-रोटी खतरे में आ जाएगी, क्योंकि अफवाहों पर ही उनका आधा उद्योग टिका हुआ है। गाजियाबाद के निकट लोनी नामक स्थान पर एक स्थानीय झड़प को इन लोगों ने किस प्रकार से सांप्रदायिक दंगे में परिवर्तित करने का प्रयास किया था, ये किसी से नहीं छिपा है।
हालांकि, जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश प्रशासन ने समय पर एक्शन लिया और इन लोगों को पटक-पटक के धोया, उससे स्पष्ट ज़ाहिर होता है कि ये वामपंथी न्यूज पोर्टल्स अपने ‘अपमान’ का ‘बदला’ लेने को आतुर है।
लेकिन शायद वामपंथी मीडिया पोर्टल्स ये भूल गए हैं कि, अभिनेत्री जूही चावला के साथ अभी कुछ हफ्तों पहले ऐसे ही एक मामले में क्या हुआ था? अभिनेत्री जूही चावला सहित कई वामपंथियों ने 5 जी तकनीक के भारत में ट्रायल के विरुद्ध दिल्ली हाईकोर्ट में मुकदमा दायर दिया था। लेकिन याचिका को निरस्त में हाईकोर्ट को तनिक भी समय नहीं लगा, क्योंकि वह दोषपूर्ण और आधारहीन थी।
कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि याचिका बिना किसी ठोस कारण के दायर की गई थी। कोर्ट ने कहा कि जूही चाहती तो कोर्ट आने से पहले वह सरकार को पत्र लिख सकती थीं। कोर्ट ने माना कि इस याचिका के कारण कोर्ट का समय खराब हुआ है, यही कारण था कि कोर्ट ने जूही चावला पर भारी जुर्माना लगाया गया।
जूही चावला द्वारा दायर याचिका में सरकार पर 5G टेस्टिंग को लेकर रिसर्च के बिना आगे बढ़ने का आरोप लगाया गया था। उनकी याचिका के अनुसार जब तक इस टेस्टिंग से जीव जंतुओं पर होने वाले प्रभाव की जानकारी नहीं जुटा ली जाती तब तक टेस्टिंग की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, किन्तु कोर्ट ने माना कि जूही चावला अगर वाकई जीव जंतुओं के लिए इतनी चिंतित थीं तो उन्हें पहले सरकार को इस संदर्भ में चिट्ठी लिखनी चाहिए थी। कोर्ट से मिली फटकार से जूही चावला के अरमानों पर पानी फिर गया है।
इसके अलावा कुछ ही हफ्तों पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने वामपंथियों को खरी-खोटी सुनाते हुए सेंट्रल विस्टा परियोजना पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया। इसके बावजूद ऐसा प्रतीत होता है कि वामपंथियों ने कोई सीख नहीं ली है, तभी वामपंथी मीडिया पोर्टल्स फिर से अपनी सार्वजनिक बेइज्जती करवाने आ पहुंचे हैं – दिल्ली हाईकोर्ट।