ग्राउंड रिपोर्ट: कैसे ममता का ‘खेला होबे’ बंगाल में राजनीतिक हिंसा और बलात्कार के आह्वान में बदल गया है

खेला होबे

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री और TMC प्रमुख ममता बनर्जी ने नारा दिया था ‘खेला होबे’ लेकिन अब वो खेला होबे ममता की जीत के बावजूद जारी है और इसने राजनीतिक हिंसा का रूप ले लिया है। ममता पर आरोप है कि पहले उन्होंने बीजेपी नेताओं पर चुनाव के पहले और मतदान के दौरान राजनीतिक हिंसा करने वालों को संरक्षण दिया। वहीं अब TMC का खेला होबे अपना असल रंग दिखा रहा है। जमीनी स्तर पर बीजेपी का जिन लोगों ने भी समर्थन किया था, उनमें से पुरुषों को मौत के घाट उतारा जा रहा है और महिलाओं के साथ लगातार बलात्कार की घटनाएं सामने आ रही हैं। राजनीतिक नारे के रूप में शुरू हुआ ‘खेला होबे’ 2 मई को चुनाव नतीजों के बाद बदला लेने का पर्याय बन गया है।

2 मई को एक तरफ जहां चुनाव नतीजों से ये साफ हुआ था कि ममता की पार्टी TMC दोबारा प्रचंड बहुमत के साथ वापसी कर रही है, तो दूसरी ओर बकौल पीड़ितों की माने तो TMC के कार्यकर्ताओं ने बीजेपी समर्थकों और नेताओं को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया था। organizer की रिपोर्ट के मुताबिक इसी से जुड़ा एक मामला खेजुरी विधानसभा क्षेत्र की एक रेप पीड़ित महिला का है। महिला का कहना है कि उनका रेप और यौन शोषण TMC के कार्यकर्ताओं और अल्पसंख्यक समाज के लोगों ने ही किया। उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें और उनके परिजनों को प्रताड़ित करने के अलावा उन्हें घर छोड़ने पर मजबूर किया गया।

रेप पीड़ित महिला का कहना है कि उन्होंने पड़ोसियों की सलाह पर पहले ही अपनी बेटी को उनकी सुरक्षा में कर दिया था। इसके बाद अचानक TMC के कार्यकर्ताओं ने एक रात उन्हें प्रताड़ित किया। संवेदनशील बात ये है कि महिला उन लोगों की मां की उम्र की ही थीं। कुछ इसी तरह का मामला नॉर्थ 24 परगना की 34 वर्षीय पिंकी नाम की महिला से संबंधित है। उनका दोष भी केवल इतना है कि वो BJP की समर्थक हैं। उन्हें 2 मई के पहले से ही लगातार धमकियां दी जा रही थीं, जिसमें बलात्कार से लेकर हत्या की धमकियां मिल रही थी।

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पिंकी ने बताया कि उनके बेटे के साथ भी लोगों ने मारपीट की, इनमें सभी आरोपी अल्पसंख्यक ही थे। पिंकी ने कहा, “उन लोगों ने मुझे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, मेरी धार्मिक आस्था को चोट पहुंचाईं, और देवी देवताओं को गालियां दींं। मैं ये प्रताड़ना कभी नहीं भूल सकती हूं।” पिंकी के अलावा उनके पति को भी प्रताड़ित किया गया, और उन्हें TMC कार्यकर्ताओं द्वारा ये तक कहा गया कि यदि उन्हें अपने परिजनों के साथ जीवित इस गांव में रहना है तो वो अपनी पत्नी को उनके पास भेज दें।

इसी तरह दिव्या गुहा नाम की 21 साल की युवती ने बताया कि कैसे उनके सामने उनके पिता को पीटा गया। उन्होंने बताया कि TMC के स्थानीय नेता ममूल शेख ने 12 समर्थकों के साथ उनके पिता को मारा और कहा, “ हमें हिन्दू महिलाएं और लड़कियां चाहिए।”  उन्होंने बारी बारी दिव्या का रेप किया। उन्होंने बताया कि सभी आरोपी उनके पिता और उनको मारने की प्लानिंग कर रहे थे, लेकिन उनके असहाय पिता ने उन्हें अपनी पगड़ी के कपड़े से ढक कर वहां से बचाया और सुरक्षित स्थान की तलाश में घर के पीछे के दरवाजे से निकल गए। ये सभी वो कहानियां है जो ममता के तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने के बाद घटी हैं।

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इस मामले में गृह मंत्रालय द्वारा जो कमेटी गठित की गई थी, उस कमेटी की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील मोनिका अरोड़ा ने की। इस कमेटी की रिपोर्ट को ही नाम दिया गया, ‘बंगाल में 2021 का खेला’। मोनिका अरोड़ा ने कहा, “हमारे पास तथ्यों के साथ ऐसे सैंकड़ों बयान हैं, जिनके आधार पर ये कहा जा सकता है कि TMC ने जिहादियों के साथ मिलकर बीजेपी आरएसएस, एससी-एसटी  पिछड़ी महिलाओं को एक सोची-समझी साजिश के तहत अपनी प्रताड़ना का शिकार बनाया।”

मोनिका अरोड़ा ने बताया कि कैसे इस पूरे प्रकरण में हिंसा का दंश बच्चों ने झेला। उन्होंने कहा, “इस पूरे आतंक से बचने के लिए केवल तीन विकल्प दिए गए। पहला 10,000 से लेकर एक लाख रुपए TMC को दिए जाएं। दूसरा, बीजेपी कार्यकर्ताओं को अपनी महिलाओं को जिहादियों और TMC कार्यकर्ताओं के पास भेजना होगा। तीसरा वो सभी TMC का दामन थाम लें।” चुनाव नतीजे आने के बाद पिछले दो महीनों में हिन्दू युवितयों और महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाओं में अभूतपूर्व बढ़ोतरी देखी गई है।

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राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा रेखा शर्मा ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि स्थानीय महिलाओं को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। उनकी शिकायतों को लिखित में दर्ज करने को कोई तैयार नहीं हैं। पुलिस प्रशासन इन सभी मामलों क़ो नजरंदाज कर हालात को सामान्य दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि लोग खुलकर बंगाल में निकलने से भी डर रहे हैं और  उनकी सुनने वाला भी कोई नहीं है। यहां तक कि पुलिस और सुरक्षा बल तक TMC के गुंडों का समर्थन करते पाए गए हैं।

हाईकोर्ट द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को इस मामले की जांच की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं, महिला आयोग और गृह मंत्रालय द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट्स से लगातार महत्वपूर्ण बिंदु सामने आ रहे हैं। इन सभी का मर्म यही है कि राज्य में विधानसभा चुनाव पूरे होने के बाद नतीजों वाले दिन से जो हिंसा का तांडव शुरू हुआ, वो अभी तक रुका नहीं है। बीजेपी समर्थकों की हत्या से शुरू हुआ ये सिलसिला बलात्कार तक पहुंच चुका है। हैरानी की बात ये भी है कि ममता बनर्जी इस मुद्दे पर बिल्कुल मौन हैं, और 2 मई की हिंसा के बाद से लेकर अब तक प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति पूरे प्रकरण के लिए TMC के कार्यकर्ताओं और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को जिम्मेदार ठहरा रहा है।

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ममता बनर्जी ने खेला होबे को राजनीतिक तौर पर शुरू किया था, लेकिन अब ये हिंसा के नृशंस स्तर पर पहुंच गया है। इसमें TMC के कार्यकर्ताओं को जो संरक्षण मिल रहा है, वो उन्हें इस तरह की घटनाओं के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। इतना ही नहीं इसके जरिए बंगाल में अल्पसंख्यक समुदाय का एक बड़ा धड़ा हिंदुओं और सनातन संस्कृति के प्रति अपना जहर भी उगल रहा है, और ये नफ़रत इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि मुस्लिम समाज के युवकों और कार्यकर्ताओं द्वारा उम्रदराज महिलाओं तक का बलात्कार किया जा रहा है।इसके विपरीत महिला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खामोश बैठी हैं।

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