नारीवाद के नाम पर आजकल भारतीय संस्कृति को हीन भवना से देखा जाता है। सबसे ताज्जुब की बात तब होती है, जब किसी भारतीय द्वारा ही सब कुछ जानने के बावजूद हिन्दू संस्कृति को लेकर विवादास्पद बातें कहीं जाती हैं। She the People tv नामक एक मीडिया संस्थान जो मुख्यत: फेमिनिज्म को सपोर्ट करता है, उसने सिंदूर को लेकर एक अजीबो-गरीब लेख प्रकाशित किया है। लेखिका रुद्राणी गुप्ता ने सिंदूर को महिलाओं की जरूरत नहीं बल्कि सामाजिक दकियानूसी दबाव बताया है। जबकि इसी She the People tv मीडिया संस्थान के पुराने विचारों पर गौर करें तो इसे मुस्लिम महिलाओं का हिजाब बेहद प्रिय है। हिन्दू संस्कृति को लेकर इस संस्थान ने फिर अपना दोगला चरित्र जाहिर कर दिया है और हालिया लेख इसकी पुष्टि करता है।
दरअसल, हाल ही में She The People tv जो कि एक डिजीटल मीडिया पोर्टल हैं, इसमें एक लेख प्रकाशित किया गया है, जिसमें लेखिका रुद्राणी गुप्ता ने सिंदूर को लेकर साफ तौर पर अपनी घृणा व्यक्त की है। लेखिका का कहना है कि, “महिला की मांग पर सिंदूर इस बात का संकेत है कि वो विवाहित है। वहीं प्रगतिवादी लोग इसे अभिव्यक्ति का एक जरिया मानते हैं। इसके साथ लेखिका ने सिंदूर को लेकर सवाल खड़े किए हैं कि हिन्दू महिलाओं को सिंदूर लगाने की क्या आवश्यकता है। उनका कहना है कि सिंदूर की मौजूदगी पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं के अधिकारों, अस्तित्व को कुचलने का संकेत देती है।”
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She the People tv के इस लेख में सिंदूर को एक रूढ़ीवादी सोच का प्रतीक माना गया है, जिसे प्रगतिवादी महिला न चाहते हुए भी लगाने पर बाध्य होती है, क्योंकि इससे उसकी पहचान विवाहिता के तौर पर होती है। She the People tv के इस लेख में न केवल सिंदूर बल्कि बिछिया पर भी सवाल उठाते हुए इसे एक प्रतीकात्मक चीज माना गया है जो कि पुरुष से विवाह होने का संकेत देने के लिए पहना जाता है। लेखिका ने कुतर्कों का सहारा लेते हुए कहा है कि महिलाएं तो विवाहिता दिखने के लिए इन चीजों को धारण करती है, लेकिन पुरुष ऐसा कुछ भी नहीं करते, जो कि पितृसत्तात्मक सोच को दर्शाता है। महिला की सारी खुशियां विवाह के बाद उसके पति और रूढ़ीवादी सिद्धांतों के इर्द-गिर्द ही सिमट जाती है।
इस लेख में सिंदूर को एक विकल्प की बजाय जरूरत बताया गया है और ये दिखाने की कोशिश की गई है कि सिंदूर का लाल रंग पितृसत्तात्मक सोच वाले समाज द्वारा महिलाओं के उत्पीड़न से निकले खून का प्रतीक है, जो महिलाओं के दबे कुचले होने का संकेत देता है।
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— vi (@MrBharadwaj_) June 2, 2021
भले ही सिन्दूर को लेकर लेखिका का कहना है कि उनका उद्देश्य अपमान करने का नहीं है, लेकिन उन्होंने इस पूरे लेख में हिन्दू संस्कृति की महत्वता को ठुकराते हुए ये तक कह दिया है कि सिंदूर की मौजूदगी ये साबित नहीं करती है कि शादी की उम्र कितनी होगी। इतना ही नहीं, इस पूरे अपमान करने के नजरिए के बाद लेखिका ने बड़े ही सटीक शब्दों में बचने की कोशिश की है और कहा कि उनका मकसद धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।
ऐसा नहीं हैं कि इस संस्थान का रवैया सभी के लिए ऐसा है। मुस्लिम समाज के लोगों के प्रति इनके मुंह से एक शब्द नहीं निकल पाता है। 2017 में जायरा वसीम से जुड़े मामले में इसी She the People tv संगठन ने हिजाब को मुस्लिम समाज में वाजिब ठहराते हुए ये तक कहा था कि हिजाब में मुस्लिम महिलाएं अधिक खूबसूरत दिखती हैं, ये उनकी खूबसूरती को अधिक निखारता है। इन She the People tv जैसे संगठनों का नारीवाद पर दोगलापन इनका पर्दाफाश करता है, क्योंकि ये केवल एक तरफा है। हिन्दू संस्कृति के प्रति घृणा फैलाना और मुस्लिम समुदाय को सर्वोच्च बनाने की इनकी नौटंकी आए दिन सामने आती रहती है।
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हिन्दू समुदाय की वो संस्कृति, जिसका पालन करने में शायद ही कभी किसी महिला को दिक्कत हुई हो, उसी संस्कृति को निशाना बनाकर ये लोग न केवल हिन्दू समुदाय की महिलाओं को भड़काते हैं, बल्कि इसके जरिए ही हिंदू संस्कृति के प्रति अपनी घृणा का प्रदर्शन करते हैं। जबकि मुस्लिम समाज, जिसमें महिलाओं को आज भी अनेक कुरीतियों के कारण दिक्कतें होती हैं, ये संस्थान उन मुद्दों पर कुछ भी नहीं बोलते हैं। इसका एक बड़ा कारण तो इनका दोगलापन ही है, साथ ही इन्हें डर भी रहता है कि मुस्लिम समाज के लिए एक आलोचना इन्हें मुसीबत में डाल सकती हैं, इसलिए अपनी लोकप्रियता के लिए ये लोग हिन्दू संस्कृति को ही टारगेट करते रहते हैं।