असम में बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या बहुत समय से बनी हुई है, लेकिन नवगठित हिमंता सरकार का रवैया देखकर लगता है कि असम आने वाले कुछ सालों में बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या से निजात पा जाएगा। अपने चुनावी वादे के मुताबिक सरकार बनने के दो माह के भीतर ही हिमंता बिस्वा सरमा ने बांग्लादेशी लोगों द्वारा अवैध तरीके से कब्जाई गई भूमि को स्वतंत्र कराना शुरू कर दिया है।
असम सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 275 बीघा जमीन पर बने अवैध निर्माण को हटा दिया है। यह कार्रवाई नाओगाओं जिले के काकी-लंका क्षेत्र में की गई है। इसके अतिरिक्त दरंग जिले में एक शिव मंदिर की 180 बीघा भूमि पर से भी अवैध कब्जा हटवाया गया है। इस कार्रवाई के कारण हालात न बिगड़े इसके लिए पुलिस बल भी भारी संख्या में तैनात किया गया था।
Himanta Biswa Govt in Action ; Orders Removal of illegal Bangladeshis Encroaching 180 Bighas of Sipajhar Dhalpur's Shiva Temple Lands in Darrang Dist Assam . Police Teams Deployed
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) June 6, 2021
नाओगाओं जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलवा दिया। JCB की मदद से पूरे क्षेत्र को साफ कर दिया गया है। बांग्लादेशी घुसपैठियों ने सरकारी जमीन पर खेती भी शुरू कर दी थी। सरकार ने नाओगाओं जिले में अवैध तरीके से उगाई जा रही हल्दी की खेती को भी नष्ट पर दिया। यह भूमि सरकार द्वारा Plantation Development Corporation Limited के तहत रबड़ की खेती के लिए आवंटित की गई थी।
बता दें कि इन बांग्लादेशी घुसपैठियों को स्थानीय मुसलमानों का समर्थन प्राप्त था। स्थानीय मुसलमानों ने उन्हें बसने में पूरी मदद दी थी। इस मामले में असम के कट्टरपंथी नेता बदरुद्दीन अजमल का नाम सामने आया है, जिनके संगठन ने मुख्य रूप से इन घुसपैठियों को मदद दी। बदरुद्दीन अजमल कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव भी लड़े थे।
बांग्लादेशी घुसपैठियों के अवैध मकान तोड़ने के अलावा हिमंता बिस्वा सरमा ने सरकार में आते ही बड़ी कार्रवाई करते हुए कट्टरपंथ की नर्सरी बन चुके मदरसों को सेक्युलर सरकारी विद्यालयों में बदलने का निर्णय किया था। उनका यह फैसला मुस्लिम कट्टरपंथ की रीढ़ पर चोट है, क्योंकि दुनियाभर में मदरसे इस्लामिक शिक्षा की आड़ में जिहाद, कट्टरता और आतंकवाद का पाठ पढ़ाते हैं। ऐसे में असम की कार्रवाई बाकी राज्यों के लिए एक आदर्श उदाहरण है।
साथ ही पिछले दिनों जब असम में डॉक्टर पर हमला हुआ था, तो भी सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए कई मुस्लिम पुरुषों और स्त्रियों को तुरंत पकड़ा था। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने अभियुक्तों के नाम ट्विटर पर सार्वजनिक कर दिए थे। इसके बाद उनकी आलोचना शुरू हो गई, किन्तु पीछे हटने के बजाए हिमंता जी ने नई गिरफ्तारियां होते ही अन्य नाम भी ट्वीट पर दिए।
साफ है कि हिमंता सरकार कट्टरपंथी इस्लामिक ताकतों से सीधे मुकाबले के लिए कमर कस चुकी है। सरकार का संदेश साफ है कि घुसपैठियों को असम की भूमि पर टिकने नहीं दिया जाएगा। साथ ही केंद्र सरकार ने सिटीजनशिप बिल के जरिए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देना शुरू कर दिया है। ऐसे में यह बात तय हो गई है कि जैसे ही नागरिकता देने की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, असम में फिर से NRC लागू होगा और नागरिकता के कागज की जांच शुरू होगी। हिमंता सरकार का रुख बताता है कि सम्प्रदाय विशेष को, इच्छा न होते हुए भी, अन्य लोगों की तरह असम में कागज दिखाना ही पड़ेगा।