IMA के सदस्य डॉ जितेंद्र नागर ने आयुर्वेद को सराहा, डॉ जयलाल से मांगा इस्तीफा

जितेंद्र नागर

PC: Twitter

कहते हैं, जब नाश मनुज पर छाता है, विवेक पहले मर जाता है। कहने को एलोपैथी के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रामदेव की बातों से नाराज था, लेकिन आयुर्वेद के प्रति IMA के शीर्ष पदाधिकारियों की कुंठा ने अब IMA में ही दरार डालनी शुरू कर दी है। कई सदस्य अब IMA के वर्तमान अध्यक्ष डॉक्टर जयलाल की व्यक्तिगत कुंठा से अपने आप को अलग करना चाहते हैं, जिसमें एक डायबिटीज़ विशेषज्ञ और IMA सदस्य डॉक्टर जितेंद्र नागर भी शामिल हैं।

हाल ही में डॉक्टर जितेंद्र नागर ने IMA को लिखा अपना पत्र ट्विटर पर शेयर किया। उन्होंने ट्वीट किया, “मैं साक्ष्य आधारित मेडिकल साइंस एलोपैथी का पक्षधर हूँ। परंतु मैं उतनी ही तत्परता से अपने आयुर्वेदिक विरासत को प्रणाम करता हूं। मैं इस बात से दुखी हूं कि हमारे वर्तमान अध्यक्ष [डॉक्टर जे ए जयलाल] पर धर्मांतरण को बढ़ावा देने के आरोप लगे हैं। जब तक वे निर्दोष नहीं सिद्ध होते, उन्हें नैतिक आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए”।

ये बात एक IMA सदस्य जितेंद्र नागर को यदि कहनी पड़ रही है, तो आप समझ सकते हैं कि आयुर्वेद और सनातन धर्म से अपनी कुंठा में डॉक्टर जयलाल ने अपने ही पैर पर कैसे कुल्हाड़ी मारी है।

डॉक्टर जितेंद्र नागर ने अपने पत्र में आगे लिखा, “आखिर कैसे कोई व्यक्ति IMA जैसी संस्था के शीर्ष पद पर बैठ कर ईसाई धर्मांतरण जैसे एजेंडे को बढ़ावा दे सकता है? ऐसे आरोपों ने IMA के धर्मनिरपेक्ष और संप्रभु छवि को नुकसान पहुँचाया है, एक चिंता का भाव पैदा किया है। मैं IMA के राष्ट्रीय पदाधिकारियों से निवेदन करता हूँ कि डॉक्टर जॉनरोज ऑस्टिन जयलाल पर लगे आरोपों की जाँच के लिए एक समिति का गठन किया जाए।”

दरअसल, IMA के वर्तमान अध्यक्ष डॉक्टर जयलाल ने बाबा रामदेव के एलोपैथी विरोधी बयानों का विरोध करने के नाम पर आयुर्वेद पर अपनी कुंठा जगजाहिर की। डॉक्टर जयलाल ने आयुर्वेद की निंदा करने वाले साक्षात्कार, व्याख्यान और सेमिनार देने में महीनों बिताए, और साथ ही साथ उन्होंने कोरोना से ठीक होने का श्रेय भी जीसस को दिया।

अब कहने को स्वामी रामदेव ने अपने एलोपैथी वाले बयानों पर माफी मांग ली है, परंतु IMA अपनी हठधर्मिता के कारण अपने ही संगठन का विघटन होते हुए दिख रहा है। डॉक्टर नागर तो पहले ऐसे डॉक्टर हैं जिन्होंने खुलकर अपना विरोध ज़ाहिर किया। ऐसे न जाने कितने डॉक्टर होंगे, जिन्हे आयुर्वेद से कोई घृणा नहीं, लेकिन IMA के वर्तमान अध्यक्ष की जिद के कारण उन्हे भी बदनामी का पात्र बनना पड़ रहा है।

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