वुहान वायरस की दूसरी लहर के कारण कई भारतीय राज्यों को नुकसान हुआ है, परंतु जिस राज्य की बात मीडिया में सबसे कम होती है, वह है राजस्थान। यहाँ वैक्सीन की डोज़ बर्बाद होती है, आवश्यक मेडिकल उपकरण की सफाई नहीं होती, जिसके कारण एक ही अस्पताल में 20 दिन में 400 से अधिक लोग मारे जाते हैं। इसके बाद भी अशोक गहलोत की बतौर मुख्यमंत्री प्राथमिकता यह है कि, राज्य में अल्पसंख्यक तुष्टीकरण में कोई कमी नहीं होनी चाहिए।
वो कैसे? दरअसल राज्य में एक इस्लामिक नेता की मृत्यु हुई थी। लेकिन जब उसकी अंतिम यात्रा कब्रिस्तान की ओर निकली, तो सोशल डिस्टेंसिंग और बाकी नियमों की धज्जियां उड़ाई गई। हालांकि, अशोक गहलोत की सरकार ने स्वभाव अनुसार कोई एक्शन नहीं लिया।
हाल ही में राजस्थान के एक मौलवी का इंतकाल हो गया। हाजी रफअत अली की मौत पर लोगों ने कोरोना गाइडलाइन की जमकर धज्जियां उड़ा दी। इसे विडंबना कहिए या कट्टरपंथ का हावी होना, जो हाजी साहब कोरोनाकाल में लोगों को समझाते रहे कि कोरोना गाइड लाइन का पालन करें, उन्हीं के ही जनाजे पर लोगों ने कोरोना गाइड लाइन का पालन नहीं किया।
हाजी रफअत के जनाजे में 15 हजार से अधिक लोग शामिल हुए थे। टीवी9 भारतवर्ष की रिपोर्ट के अनुसार, “हैरानी की बात है इस भीड़ में सिर्फ आम लोग ही नहीं बल्कि शहर के दो कांग्रेस विधायक भी शामिल थे और तो और शहर की पुलिस ने भी इस भीड़ को रोकने की कोई कोशिश नहीं की बल्कि उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई। जिसके बाद अब रामगंज पुलिस ने नियमों का उल्लंघन और कोरोना महामारी अधिनियम के तहत विधायक रफीक खान सहित 11 लोगों पर नामजद और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।”
बता दें कि मुस्लिम बहुल इलाकों में लॉकडाउन का पालन हो इसके लिए हाजी रफअत अली लोगों से हमेशा अपील करते थे। कथित तौर पर उनके एक इशारे पर इस वर्ष ईद का जुलूस तक रोक दिया गया था। हाजी साहब ने कोरोना को देखते हुए ही लोगों से ईद का जुलूस नहीं निकालने की अपील की थी। लेकिन अब उनके ही इंतकाल के बाद जनाजे में हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी, जिसे स्वयं राजस्थान के प्रशासन ने बढ़ावा दिया।
लिहाजा इस घटना के बाद बीजेपी ने गहलोत सरकार पर आरोप लगाया है कि, सरकार की तुष्टिकरण की नीति के चलते ही भीड़ को नहीं रोका गया। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि, ‘सुंदरकांड का पाठ करने पर एक पूर्व विधायक को गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन पहले मंत्री सालेह मोहम्मद के पिता के जनाजे में भीड़ और अब हाजी रफअत अली साहब के जनाजे में उमड़ी भीड़ पर सरकार की चुप्पी इस बात को साबित करती है कि लॉकडाउन के नियमों के पालन को लेकर भेदभाव किया जा रहा है।’
एक ओर राजस्थान में मेडिकल उपकरण और वैक्सीन के दुरुपयोग के कारण सैकड़ों लोग प्रतिदिन मारे जा रहे हैं, तो वहीं राजस्थान की सरकार को यहाँ पर भी अल्पसंख्यक तुष्टीकरण लागू कराने में कोई हिचक नहीं दिखाई दे रही है, मानो अगर अल्पसंख्यक रुष्ट हो गए तो प्रलय आ जाएगी। यही नीति महाराष्ट्र को अंदर से खोखला कर रही है, और यही नीति राजस्थान को भी कमजोर कर रही है।