पीएम मोदी के एक भाषण से विपक्षी नेताओं की खुली पोल और मांगनी पड़ी माफी

PM मोदी ने विपक्ष के राजनीतिक एजेंडे को ध्वस्त कर दिया!

पीएम मोदी संबोधन

DNA India

विरोध की भी एक सीमा होती है, लेकिन कांग्रेस और विपक्षी दल उस सीमा को न जाने कब का पार कर चुके हैं। कोरोना काल में वैक्सीनेशन पॉलिसी को लेकर गैर-बीजेपी शासित राज्यों ने फिजूल की बातें करके न केवल देश का समय बर्बाद किया, बल्कि आम जनता की जान के साथ खूब खिलवाड़ भी किया, लेकिन अब पीएम मोदी के एक संबोधन ने सारे कुतर्कों की हवा निकाल दी है। इस स्पीच के बाद भी पी चिदंबरम जैसे नेता अजीबो-गरीब दावे कर रहे हैं और जनता से ही लताड़ खाने के बाद मजबूरन माफी मांग रहे हैं। वैक्सीनेशन पॉलिसी के मुद्दे पर विपक्ष ने देश को खूब भटकाया और लटकाया, लेकिन पीएम मोदी ने एक झटके में सारी स्थिति सुधार दी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैक्सीन पॉलिसी के बीच अचानक ही देश को संबोधित कर सभी को चौंका दिया है, जिसके चलते सबसे बड़ा झटका विपक्ष के राजनीतिक एजेंडे को लगा है। पीएम मोदी ने एलान किया कि राज्यों की मांग के बाद अब 21 जून से केंद्र की मोदी सरकार ही राज्यों को वैक्सीन उपलब्ध कराएगी। नए फैसले के अनुसार उत्पादक कंपनियों से 75 फीसदी वैक्सीन केंद्र सरकार और शेष 25 फीसदी निजी अस्पताल खरीद सकेंगे। पीएम मोदी की तरफ से ये संबोधन तो साधारण था, लेकिन इससे जहां विपक्ष के राजनीतिक एजेंडों को करारा झटका लगा है, तो वहीं जनता के मन में राहत की उम्मीद जगी है।

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इस मुद्दे पर अब वो गैर बीजेपी शासित सरकारें भी खुशी का ढोंग कर रही हैं, जिन्होंने सबसे पहले वैक्सीन पॉलिसी में बदलाव करने और राज्य सरकारों को वैक्सीन खरीदारी की अनुमति मांगी थी। इनका ये रुख दिखाता है कि सभी रंग बदलने की प्रतिस्पर्धा में गिरगिट को भी मात दे सकते हैं। वहीं इस मुद्दे पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिंदबरम एक बार फिर अपनी ही हरकतों के कारण घिर गए हैं। उन्होंने कहा कि किस मुख्यमंत्री ने वैक्सीन पॉलिसी में बदलाव की मांग की है। ऐसी कोई राज्य सरकार नहीं है, जिसके बाद सोशल मीडिया में उन्हें लताड़ा जाने लगा।

चिंदबरम के ट्वीट पर लोगों ने कमेंट करना शुरू कर दिया और वो पत्र भी सामने आ गए, जिसमें राहुल गांधी ने पीएम से वैक्सीन पॉलिसी को Decentralise करने की मांग की थी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तक वैक्सीन खरीदारी के Decentralisation की बाl कर रहे थे। हालांकि, जब ये राज्य पूरी तरह काम करने में असमर्थ हो गए तो वैक्सीन के स्टॉक खात्मे की नौटंकी कर वैक्सीन पॉलिसी को केंद्रीकृत करने की मांग करने लगे। लोगों की लताड़ के बाद चिदंबरम ने अब अपने उस Tweet के लिए गलती मानी है और कहा कि उन्हें इन डिटेल्स के बारे में नहीं पता था।

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हम सभी ने देखा है कि वैक्सीन के स्टॉक को लेकर दिल्ली, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब और यहां तक कि पश्चिम बंगाल की सरकारों तक ने मांग की थी, कि वैक्सिनेशन का काम राज्यों पर ही छोड़ दिया जाए और वैक्सीन खरीदने की राज्यों को अनुमति दी जाए। इसके बाद केन्द्र ने जब इस मांग को स्वीकृति दी, तो राज्य सरकारों की व्यवस्थाओं की पोल खुलने लगी। वैक्सीन के स्टॉक से लेकर कालाबाजारी और भ्रष्टाचार तक पनपने लगा और राज्य सरकारों ने अपने ऊपर उठने वाले सवालों से बचने के लिए पुनः वैक्सीन पॉलिसी को केंद्रीकृत करने की मांग कर डाली, जिसे स्वीकार कर मोदी सरकार ने इन गैर बीजेपी शासित राज्यों को तगड़ा झटका दे दिया है।

इन गैर-बीजेपी शासित प्रदेश की सरकारों को उम्मीद नहीं थी कि उनका ये प्रस्ताव माना जाएगा। उनकी प्लानिंग वैक्सीन के इस मुद्दे पर राजनीति करने और जनता की जान से खिलवाड़ करने का था और पीएम मोदी ने अपने एक संबोधन में वो सारी प्लानिंग फेल कर दी है। इसीलिए यह कहा जा रहा है कि पीएम मोदी का एक संबोधन विपक्ष के मोदी विरोधी सैकड़ों एजेंडों पर भारी पड़ा है।

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