कांग्रेस का किला चौतरफा मुसीबत में है लेकिन सबसे अजीबो-गरीब बात ये है कि पार्टी नेता फिर भी अनजान बने बैठे हैं। पंजाब, केरल राजस्थान और उत्तर प्रदेश से लगातार नेता बगावत कर रहे हैं लेकिन पार्टी आलाकमान आंखों पर पट्टी बांधे बैठा है। ताजा मामला राजस्थान की राजनीति में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट द्वारा मचाए गए भूचाल का है। सचिन पायलट द्वारा अपनी मांगों पर अल्टीमेटम देने के बावजूद कांग्रेस हाईकमान उन्हें नजरंदाज कर रहा है। ऐसे में अल्टीमेटम का वक्त पूरा होते ही राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार की मुसीबतें बढ़ सकती हैं, और सचिन पायलट को हल्के में लेना कांग्रेस की गलती साबित हो सकता है।
सचिन पायलट की पिछले साल की बगावत देखने के बावजूद कांग्रेस पार्टी उन्हें ज्यादा भाव नहीं दे रही है, जबकि यही गलती कांग्रेस को भारी पड़ सकती है। दरअसल, 10 जून को अपने समर्थक विधायकों के साथ बैठक करने के बाद सचिन पायलट कांग्रेस आलाकमान से मिलने दिल्ली गए थे। माना जा रहा था कि वो वहां कांग्रेस आलाकमान से मिलकर अपनी मांगें रखेंगे, लेकिन अब उन्हें अपनी मांगों क़ो लेकर 6 दिन बाद राजस्थान बेरंग लौटना पड़ा है।
और पढ़ें- गहलोत को सचिन पायलट ने दिया एक महीने का अल्टीमेटम: राजस्थान सरकार बचेगी या गिरेगी?
ख़बरों के मुताबिक 6 दिन दिल्ली में रहे सचिन पायलट को बातचीत करने के लिए राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी वाड्रा या सोनिया गांधी किसी ने भी वक्त नहीं दिया है। सचिन पायलट को उम्मीद थी कि उनकी मांगों को पार्टी में तवज्जो मिलेगी लेकिन उन्हें किसी ने मिलने तक का समय नहीं दिया, जिसके बाद वो वापस राजस्थान लौट गए हैं। इसके इतर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के तेवर भी कुछ कम नहीं हैं, उन्होंने दिल्ली आकर वन टू वन बात करने से सीधे तौर पर मना कर दिया है। अशोक गहलोत अब आलाकमान की बातों तक को मानने से इंकार करने लगे हैं।
सरकार में कैबिनेट विस्तार को लेकर अशोक गहलोत का कहना है कि वो कैबिनेट विस्तार मंत्रियों के कामकाज और रिपोर्ट कार्ड के आधार पर ही करेंगे। दिलचस्प बात ये भी है कि अशोक गहलोत अपने खेमे के मंत्रियों को मंत्री पद बने रहने का आश्वासन तक दे चुके हैं और तो और हाल के दिनों में मंत्रिमंडल विस्तार को उन्होंने तवज्जो नहीं दी है और संकेत दिया है कि न तो वो आलाकमान के दबाव में आएंगे और न ही मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे। सीधे तौर पर कहें तो अशोक गहलोत खुद क़ो बेफिक्र दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी मुसीबतें सबसे अधिक बढ़ने वाली हैं।
और पढ़ें- राजस्थान में पायलट-गहलोत की लड़ाई फोन टैपिंग तक पहुंच गईं हैं, जिसका अंत Resort राजनीति से होगा
इन सबसे इतर सचिन पायलट को नजरअंदाज करना कांग्रेस के लिए मुसीबत बन सकती हैं। पार्टी आलाकमान को अपनी बातें मनवाने के लिए सचिन पायलट ने एक महीने का अल्टीमेटम दिया है। इतना ही नहीं 10 जून को उन्होंने अपने समर्थक विधायकों के साथ बैठक कर शक्ति प्रदर्शन भी किया था। इसके बावजूद लगातार उनको पार्टी द्वारा नजरंदाज करना और अशोक गहलोत का अड़ियल रुख राजस्थान में कांग्रेस सरकार के लिए मुसीबतें खड़ी कर सकता है क्योंकि सचिन पायलट को हल्के में लेना गलती होगी।
गांधी परिवार और गहलोत सरकार ने पिछले कुछ वक्त में अपनी नजरंदाजगी के कारण हिमंता बिस्वा सरमा, ज्योतिरादित्य सिंधिया जितिन प्रसाद जैसे नेताओं को खो दिया है। यदि ये सिलसिला यूं ही चलता रहा तो संभव है कि अगला नंबर सचिन पायलट का हो।