स्पेशल 26 तो देखी ही होगी आपने। इस फिल्म में कुछ भ्रष्ट अफसर, मंत्री एवं उद्योगपतियों के घर पर सीबीआई की टीमें रेड डालती है और उनका कालाधन जब्त कर लेती है, परंतु बाद में पता चलता है कि ये तो नकली सीबीआई टीम थी। अब कुछ ऐसा ही कोलकाता में भी सामने आया है, जहां सीबीआई के तर्ज पर कुछ लोग ‘रेड’ डालकर ठगी, अपहरण एवं जालसाजी जैसे अपराधों को अंजाम देते हैं।
हम मज़ाक नहीं कर रहे, ये शत प्रतिशत सत्य है। द प्रिन्ट की रिपोर्ट के अनुसार, “हाल ही में अनिर्बन काँजीलाल को सीबीआई अफसर के रूप में पेश आने और अपहरण एवं उगाही का रैकेट चलाने के लिए हिरासत में लिया गया है। वह अपने आप को सीबीआई अफसर सिद्ध करने के लिए कोलकाता में निजाम पैलेस में स्थित उनके हेडक्वार्टर्स का निरंतर दौरा करता था और अपनी गाड़ी के ऊपर नीली बत्ती भी लगाता था। कैन्टीन की बातों को वह ‘सीबीआई सोर्स’ के तौर पर शेयर करता था और वह अन्य जालसाजों के साथ सीबीआई अफसर के तौर पर अपहरण और उगाही के धंधे को बढ़ावा भी देता था।”
तो इस धंधे का पर्दाफाश कैसे हुआ? नाम न बताने की शर्त पर कुछ कोलकाता पुलिस के अफसरों ने बताया, “काँजीलाल और अभिषेक सेनगुप्ता ने 16 लोगों की एक टीम बनाई थी, जो नकली अरेस्ट वॉरंट के साथ उद्योगपतियों के घर पर दाखिल होते उन्हें ‘गिरफ्तार’ करते और फिर उनके परिवारजनों से फिरौती मांगते। ये लोग वैसे ही होते थे, जिनके पास किसी न किसी प्रकार का कालाधन हो, लेकिन रिपब्लिक बांग्ला के एक पत्रकार अभिषेक सेनगुप्ता की गिरफ़्तारी से इस पूरे रैकेट का पर्दाफाश हुआ”।
वो कैसे? दरअसल, 24 मई को एक महिला ने अपने उद्योगपति पति के गायब होने की FIR दक्षिण कोलकाता के एक पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई। इस आधार पर जांच पड़ताल में अभिषेक सेनगुप्ता नामक एक प्रोबेशनरी पत्रकार को पकड़ा गया। फिलहाल, अभिषेक को रिपब्लिक बांग्ला ने निष्कासित कर दिया है।
कोलकाता पुलिस ने ये भी बताया कि इन ठगों में एक आईटी प्रोफेशनल, कुछ दलाल, एक फिल्म प्रोड्यूसर, एक वकील और सिंडीकेट के कुछ कर्मचारी [बंगाल में निर्माण सामग्री सप्लाई करने वाले को सिंडीकेट कहा जाता है] इत्यादि भी शामिल थे। अभिषेक सेनगुप्ता को काँजीलाल ने एक सीबीआई अफसर के तौर पर परिचय कराया था। जब उसे काँजीलाल की असलियत पता चली, तो अभिषेक सेनगुप्ता को अपना मुंह बंद रखने के लिए एक मोटी रकम ऑफर की गई।
अब इस ‘स्पेशल 16’ के विरुद्ध क्या कार्रवाई होगी, यह तो भगवान ही जाने, लेकिन इतना तो स्पष्ट है कि आजकल फिल्मों से सीख लेकर जुर्म करने का सिलसिला बहुत बढ़ चुका है।