पिछले वर्ष जब चीनी सेना भारत और तिब्बत की सीमा पर आकर बैठी थी तो उसे उम्मीद थी कि वह हमेशा की तरह भारत के केंद्रीय नेतृत्व को इतना डरा देंगे कि वह भारतीय सेना को कोई भी जवाब देने से रोक देंगे, लेकिन हुआ इसका उल्ट। मोदी सरकार ने न सिर्फ सुरक्षा बलों को कार्रवाई की स्वतंत्रता दी, बल्कि उन्हें हर प्रकार की मदद भी पहुंचाई। हाल में खबर आई है कि चीन सीमा पर सैन्य जमावड़ा बढ़ा रहा है, अतः भारत ने भी एक बड़ा कदम उठाते हुए, 50 हजार सैनिकों को तेजी से बॉर्डर पर तैनात कर दिया है। इस समय LAC पर सैनिकों की कुल संख्या 2,00,000 हो गई है। पहली बार भारत पाकिस्तान की सीमा पर शांति है और भारत इतनी बड़ी संख्या में सैन्य तैनाती कर रहा है।
इसके अलावा बड़ी संख्या में हेलीकॉप्टर भी तैनात हैं, जिससे किसी भी सैन्य कार्रवाई के समय सैनिकों को बड़ी संख्या में एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सके। साथ ही M777 होवित्जर तोप भी तैनात है। चीन ने अपने S-400 सिस्टम और कथित रूप से पांचवी पीढ़ी के J20 स्टेल्थ फाइटर एयरक्राफ्ट को तैनात किया तो भारत की ओर से भी, राफेल विमान अम्बाला एयरबेस से लद्दाख तक कि उड़ान भर रहे हैं। साफ है कि सरकार एक कदम पीछे नहीं ले रही है।
भारतीय नौसेना लगातार युद्धाभ्यास कर रही है एवं भारतीय नौसेना के वॉरशिप भी लम्बे समय तक पानी में तैनात रह रहे हैं, जिससे हिन्द महासागर में चीन की गतिविधियों पर नजर बनी रहे।
चीन से विवाद का मुख्य कारण भारत द्वारा भारत और तिब्बत सीमा पर तेजी से सड़क निर्माण करना ही था। चीन भारत द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने को लेकर चिंतित है और इसे भी उसके आक्रामक तेवर का एक कारण माना जा रहा है। ऐसे में स्वयं रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख का दौरा किया और BRO की तारीफ की। उनके साथ आर्मी चीफ जनरल नरवणे भी थे। यहाँ राजनाथ सिंह ने बीआरओ के 63 नए प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया।
भारत और चीन के विवाद में सड़क निर्माण का महत्व डोकलाम विवाद से और भी स्पष्ट हुआ था। चीन भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता था। इसी कारण भारत की सेना, सिलीगुड़ी कॉरिडोर के नजदीक हाशिमपुरा एयरबेस में राफेल की तैनाती कर रही है।
चीन जिस भी इरादे से बॉर्डर पर आया है, भारत ने उसे अपने मंसूबों को पूरा करने का कोई मौका नहीं दिया है। एक सैन्य अधिकारी का कहना है कि भारत की तैयारी इतनी अच्छी है कि सेना जब चाहे चीनी क्षेत्र में आक्रामक कार्रवाई करके महत्वपूर्ण स्थानों को कब्जा सकती है। भारत ने चीन को समझा दिया है कि भारत चीन से उसी भाषा में बात करना जानता है, जिसमें बात करने का चीन इच्छुक होगा।