असम की नवगठित सरकार घुसपैठियों पर लगातार कार्रवाई कर रही है। पिछले दिनों एक मंदिर की भूमि पर से अवैध कब्जा हटवाया गया था। अब सरकार ने जंगल की 3400 हेक्टेयर की भूमि पर से अवैध कब्जा हटवाया है। यह भूमि पर वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी, नेशनल पार्क और ऐसे ही अन्य संरक्षित क्षेत्रों में फैली है जहाँ पर कुल 2,960 अवैध निर्माण गिराए गए और 194 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। यह सभी निर्माण 2016 से 2020 के बीच हुए थे।
असम सरकार में पर्यावरण और वन मंत्री परिमल शुक्लवैद्य ने कहा ‛हमने संरक्षित वनक्षेत्र में अवैध अतिक्रमण के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है और कानून तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी।’ बता दें कि असम सरकार के लिए यह पर्यावरणीय चुनौती के साथ ही कानून व्यवस्था का भी मामला है क्योंकि इन वनक्षेत्रों को बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा भी अपने घर की तरह इस्तेमाल किया जाता रहा है।
असम सरकार ने पहले ही स्पष्ट किया है कि वह अवैध अधिग्रहण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएगी। कुछ दिनों पूर्व ही वर्तमान मुख्यमंत्री और देश के लोकप्रिय नेता हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा था की वह असम की जमीन, पहचान, संस्कृति, भाषा और विरासत को अवैध अतिक्रमण और घुसपैठ से बचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार मठ और मंदिरों की भूमि को भी अतिक्रमण से मुक्त करेगी।
हिमंता सरकार जिस तेजी से कार्रवाई कर रही है उसे देखकर लगता है कि वह बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को राज्य की सीमा में सुकून से जीने नहीं देगी। हाल ही में मुख्यमंत्री ने NRC लागू करने और उससे पूर्व CAA लागू कर वास्तविक शरणार्थियों को नागरिकता देने के प्रति भी अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है। उन्होंने पूर्व में हुई NRC की जांच के आदेश दिये हैं, जिससे अधिक विसंगतियां होने की स्थिति में पुनः NRC की प्रक्रिया को दोहराया जा सके। कहा जा सकता है कि हिमंता सरकार ने असम को छद्म पंथनिरपेक्षता और मुस्लिम तुष्टिकरण के कोढ़ से पूरी तरह से मुक्त करने के लिए अभियान चला दिया है।