25 जून को बिहार से पंजाब में बच्चों की तस्करी करने वाले एक गिरोह को प्रयागराज जंक्शन पर गिरफ्तार कर लिया गया। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी के बचपन बचाओ अभियान से जुड़े NGO ने पुलिस को सूचना दी जिसके बाद नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस की घेराबंदी करके जीआरपी ने इन बच्चों को बचाया। गिरोह में शामिल आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया जिसमें एक व्यक्ति अपने बच्चे के साथ था। आरोपियों के नाम मो० हाशिम, शाहिद आलम, नोमान, अब्दुल सलाम, मुशाबिर, शाह आलम, शमशुल हक़, हाफिज जावेद हैं।
इन बच्चों को बिहार से पंजाब ले जाया जा रहा था जहाँ इनको बालश्रम व अन्य ऐसे कामों में इस्तेमाल किया जाना था। मुक्त कराए गए बच्चों को चाइल्ड लाइन को सुपुर्द कर दिया गया, जिन्हें बाद में एक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। पुलिस ने शुरू में जब बच्चा तस्कर अब्दुल, मोहम्मद हाशिम व अन्य से पूछताछ की तो उन्होंने कहा कि वे बच्चों को दिल्ली में तुगलकाबाद स्थित मदरसे में दाखिला करवाने ले जा रहे हैं। गिरोह ने पुलिस को जानकारी दी कि बच्चों को ले जाने की इजाज़त उनके माँ बाप ने ही दी है, लेकिन पुलिस ने जब पूछा कि कोरोना काल में मदरसे में पढ़ाई हो भी रही है तो इन लोगों ने कोई जवाब नहीं दिया। साथ ही उन लोगों ने मदरसे के मौलवी या प्रबंधन के अन्य किसी सदस्य से बात नहीं करवाई।
इन लोगों ने बच्चों को ट्रेनिंग दी थी इसलिए वे अंत तक उन्हें पकड़ने वालों को मामा कहते रहे। उन्होंने मजिस्ट्रेट के सामने भी यही बयान दिया कि वह अपने मामा के साथ मदरसे में दाखिले के लिए जा रहे हैं। बच्चों की ट्रेनिंग इसका प्रमाण है कि यह गिरोह बहुत प्रोफेशनल तरीके से अपना काम करता है।
अब एक पहलू और देखा जाना चाहिए कि इन बच्चों को बाल मजदूरी के लिए ही उठाया गया था या इसके पीछे कोई दूसरी ही साजिश है। जांच एजेंसियों को उन जगहों की भी पड़ताल करनी चाहिए जहाँ से ये बच्चे उठाए गए, जहाँ इनकी ट्रेनिंग हुई और जहाँ ये ले जाए जा रहे थे। साथ ही उपरोक्त मदरसे की भी एकबार जांच होनी चाहिए जिससे कोई भी पहलू अनछुआ न रहे।
कैलाश सत्यार्थी और उनके NGO के दिल्ली स्टेट कॉर्डिनेटर सूर्य प्रताप मिश्र बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने बाल संरक्षण आयोग को यह सूचना दी। बाल संरक्षण आयोग भी तुरंत सक्रिय हुआ और चेयरमैन डॉ० विशेष गुप्त ने यह सूचना सही समय पर पुलिस तक पहुंचा दी एवं एसएसपी भी तत्काल कार्रवाई की।