जिस बात का शक दुनिया को दो दशक से था, वह बात अब पाकिस्तान के पूर्व मंत्री रहमान मलिक ने खुद कबूल लिया है। दरअसल, पाकिस्तान के पूर्व मंत्री रहमान मलिक ने एक टीवी इंटरव्यू में स्वीकारा कि, “तालिबान (Taliban) के गठन में पाकिस्तान का हाथ था।” उन्होंने कहा कि “अफगानिस्तान में नॉर्दन एलायंस भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ (RAW) की मदद से आगे बढ़ रही थी। ऐसे में उसे रोकने के लिए पाकिस्तान ने तालिबान को मजबूत बनाने में मदद की।”
पर आज वर्तमान में तालिबान का वर्चस्व अफगानिस्तान में बढ़ते ही जा रहा है। अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी की शुरुआत एक मई के बाद से हो गई है और तब से ही तालिबान ने सरकारी सेना के ख़िलाफ़ अपना अभियान तेज़ कर दिया था। पिछले कुछ हफ़्तों में अफ़ग़ानिस्तान के कई ज़िलों पर तालिबान ने कब्ज़ा कर लिया है। इसे लेकर संयुक्त राष्ट्र ने भी चिंता जताई थी।
और पढ़ें-FATF तो पाक को सुधारेगा नहीं, पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों को अब खुद ध्वस्त करेगा भारत
ऐसे में बेशक पाक इस बात से इनकार करता है कि वो अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर तालिबान का एकाधिकार चाहता है। इस इनकार के पीछे पाक को अपने घर में पनप रहे पाकिस्तानी तालिबान कारण हैं। बता दें कि पाकिस्तान की परेशानी का एक बड़ा कारण तहरीक-ए-तालिबान है जिसे पाकिस्तान तालिबान भी कहा जाता है। टीटीपी का मक़सद पाक में शरिया पर आधारित एक कट्टरपंथी इस्लामी शासन कायम करना है। इस चरमपंथी संगठन की स्थापना दिसंबर 2007 में 13 कट्टरपंथी गुटों ने मिलकर की थी।
बता दें कि TTP सगंठन ने साल 2014 में पेशावर में एक आर्मी स्कूल पर गोलीबारी की थी जिसमें करीब 200 बच्चों की जान चली गई। ऐसे में पाकिस्तान की सबसे बड़ी चिंता ये है कि अफ़ग़ान तालिबान के मज़बूत होने से पाक तालिबान का भी हौसला बढ़ेगा। अफ़ग़ानिस्तान में मौजूद उसके कट्टरपंथी पाकिस्तान के ख़िलाफ़ सक्रिय हो सकते हैं। पाकिस्तान तालिबान का पाकिस्तान की सेना से टकराव बना रहता है। हाल ही में संगठन के प्रभाव वाले इलाक़े में पेट्रोलिंग कर रहे एक पुलिसकर्मी को बुरी तरह पीटने की ख़बर सामने आई थी।
अब जब अफगानिस्तान में तालिबान का प्रभाव चरम पर है और पाकिस्तान की चाहत क़रीब-क़रीब पूरी होने जा रही है तो ये शक ज़ाहिर किया जा रहा है कि क्या पूरी तरह तालिबान की जीत न सिर्फ़ अफ़ग़ानिस्तान बल्कि पाकिस्तान के लिए भी आफ़त या एक वास्तविक त्रासदी में तब्दील तो हो जायेगी? क्योंकि पाक ने जो तालिबान का जहर अफगानिस्तान में घोला है, अब समय आ गया है कि वो उसका स्वाद खुद चखे।