ट्वीटर और भारत सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। इस प्रकरण पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने भी बयान दिया है। रिपब्लिक भारत से साक्षात्कार के दौरान ट्वीटर के रवैये पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा “संसदीय समिति इसपर लगातार चर्चा कर रही है। एक बार उनकी रिपोर्ट आती है तो मैं इस मामले की समीक्षा करूंगा।” रिपब्लिक की रिपोर्ट के अनुसार लोकसभा अध्यक्ष ने अपना मंतव्य साझा नहीं किया लेकिन इतना अवश्य कहा “जब कोई बिल संसद से पास हो जाता है, तब उसके नियम बनाए जाते हैं। अगर किसी को बिल के किसी नियम से कोई दिक्कत आती है, तो वह उसके पुनर्निरीक्षण के लिए अनुरोध कर सकता है, लेकिन वह मोलभाव नहीं कर सकता, क्योंकि ऐसा कोई नियम नहीं है।”
स्पष्ट है कि ओम बिड़ला का कहना है कि Twitter को सरकार के बनाए नियम मानने ही होंगे, अगर उसे किसी प्रावधान से कोई दिक्कत है तो उसमें सुधार के लिए अनुरोध करे, लेकिन सरकार को यह न बताए कि वह इस नियम को नहीं मानेगा, बदले में अपनी नीति में थोड़ा परिवर्तन ले आएगा। ओम बिड़ला ने स्पष्ट किया है कि Twitter को नियम मानने ही होंगे।
महत्वपूर्ण यह है कि हाल में ही संसदीय समिति के सामने प्रस्तुत हुए Twitter के प्रतिनिधियों ने कहा था कि वह संप्रभु सरकार के बनाए नियमों को नहीं मानते, बल्कि अपने नियमों के अनुसार चलते हैं। Twitter ने साफ किया था कि वह सरकार के बनाए किसी नियम को नहीं मान सकता, क्योंकि उनकी पॉलिसी है कि वह अपने नियमों का ही पालन करेंगे। Twitter ने उल्टे संसदीय समिति से यह कहा कि वह सरकार के साथ फिर भी सहयोग करने को तैयार हैं।
संसदीय समिति और ट्वीटर प्रतिनिधियों की पूरी बातचीत सामने नहीं आई है, लेकिन जो खबरें हैं उन्हें देखकर यह अनुमान होता है कि सम्भवतः Twitter सरकार को कहना चाहता था कि नियमों में यदि कोई बदलाव करना है तो सरकार उन्हें बता दे, वह विचार करके बताएंगे। अब सरकार के लिए यह आवश्यक है कि वह Twitter को समझाए की भारत में व्यापार करने वाली कंपनियां भारत के नियमों से चलेंगी, अतः ट्विटर 21वीं शताब्दी की ईस्ट इंडिया कंपनी न बने।