स्वघोषित हिंदू पार्टी शिवसेना ने मुंबई के एक फ्लाईओवर का नाम बदलकर मोइनुद्दीन चिश्ती रखने की मांग की है

शिवसेना, जिसके प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने छाती ठोक कर कहा था कि बाबरी मस्जिद के विध्वंस में उनकी बड़ी भूमिका है। वही शिवसेना आज की स्थिति में उद्धव ठाकरे को सीएम पद पर बिठाए रखने के लिए बालासाहेब की नियमावली की किताब ही फाड़ कर फेंक चुकी है। इसका उदाहरण शिवसेना सांसद राहुल शेवाले का मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखा गया एक पत्र है, जिसमें उन्होंने एक फ्लाईओवर का नाम बदलकर मोइनुद्दीन चिश्ती के नाम पर रखने की मांग की है। इसकेे जरिए शिवसेना न केवल मुस्लिम तुष्टिकरण की पिच पर खेलना शुरू कर चुकी है, बल्कि इससे पार्टी अपनी गठबंधन की साथी एनसीपी और कांग्रेस को खुश भी करना चाहती है।

शिवसेना ने जब बीजेपी को धोखा देकर एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी की सरकार बनाई थी, तभी से हिंदुत्व के मुद्दे पर शिवसेना के पैर उखड़ने लगे थे। कुछ इसी तर्ज पर अब शिवसेना सांसद ने एक अजीबो-गरीब मांग की है। उन्होंने उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा है और मांग की है कि घाटकोपर-मानखुर्द लिंक रोड पर बन रहे नए फ्लाइओवर का नाम ‘गरीब नवाज’ ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के नाम पर रखा जाए। उन्होंने इस मांग की वजह इलाके में मुस्लिम समुदाय की अधिकता को बताया है।

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उद्धव को लिखे पत्र में उन्होंने ऑल इंडिया उलेमा एंड मशायक बोर्ड और उलेमा-ए-अहले सुन्नत की मांगों को हवाला भी दिया है। उन्होंने लिखा, “छेड़ा नगर से मानखुर्द के बीच 70 प्रतिशत जनसंख्या मुस्लिमों की है। इसलिए निर्माणाधीन पुल को सुल्तानुल हिंद ख्वाजा गरीब नवाज (मोइनुद्दीन सूफी चिश्ती) के नाम पर रखा जाए।”  खुद को हिंदुत्व का पुरोधा बताने वाली शिवसेना के नेता अब मुस्लिम आबादी को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं। अजीबोगरीब बात है कि शिवसेना महान छत्रपति शिवाजी महाराज को अपना आदर्श मानती है, और उसके सांसद उन मोइनुद्दीन चिश्ती के नाम पर फ्लाईओवर का नाम रखना चाहते हैं जो छत्रपति शिवाजी महाराज को पकड़ने का दावा करता रहा है।

गौर करें तो अभी कुछ दिनों पहले ही ये घोषणा हुई थी कि महाराष्ट्र में सभी सरकारी कार्यालयों में भगवा झंडा लहराया जाएगा। इससे पहले औरंगाबाद का नाम बदल कर संभाजी नगर करने के मुद्दे पर एनसीपी और कांग्रेस ने शिवसेना की मुश्किलें बढ़ा दी थीं। ऐसे में शिवसेना अपने गठबंधन की पार्टियों को खुश करने के लिए अब मुस्लिमों के हित के दिखावटी प्रस्ताव भी पेश कर रही है। वहीं कांग्रेस और एनसीपी का साथ मिलने के बाद से शिवसेना भी तुष्टीकरण की राजनीति करने की तैयारी कर रही है, लेकिन शायद पार्टी में बेहद कंफ्यूजन है।

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एक तरफ शिवसेना के नेता हिंदुओं को साधने के लिए हिंदुत्व से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी के बयान देते रहते हैं, तो दूसरी ओर पार्टी अपने कोर हिन्दू वोट बैंक को खिसकता देख धीरे-धीरे मुस्लिमों की चहेती भी बनना चाहती है। ऐसे में कहा जा सकता है कि शिवसेना हिंदू और मुस्लिमों दोनों का तुष्टीकरण करने की कोशिश में दो नावों की सवारी कर रही है जिसमें असल मुश्किलें शिवसेना को ही झेलनी पड़ेगी।

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