ट्विटर और सरकार के बीच टकराव पिछले कुछ समय से बना हुआ है और फिलहाल ट्विटर को कहीं से राहत मिलती नहीं दिख रही है। इस बीच द संडे गार्डियन में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्विटर ने न केवल नए IT नियमों की धज्जियां उड़ाई है, बल्कि कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) एक्ट 2013 का अनुपालन छह सालों तक नहीं किया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2019 के अंत तक, ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने भारत में छह साल से अधिक समय तक, कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) एक्ट 2013 के तहत आंतरिक शिकायत समिति (ICC) की स्थापना नहीं की थी।
कंपनी के दिल्ली और बैंगलोर कार्यालय से यौन उत्पीड़न के दो मामलें सामने आने के बावजूद, ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ICC की स्थापना करने में विफल रहा। इस बात का खुलासा तब हुआ था, जब ट्विटर ने कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) को 19 सितंबर 2019 को वित्तीय वर्ष अप्रैल 2018-मार्च 2019 की फाइल पेश की थी।
बता दें कि आंतरिक शिकायत समिति (ICC) की स्थापना और अनुपालन न करने का जुर्माना 50,000 रुपये है। अगर कोई यह गलती दुबारा दोहराता है तो जुर्माना दुगना हो जाता है। उसके बाद भी अगर कोई कंपनी ICC की स्थापना नहीं करता है, तो कंपनी के बिजनेस लाइसेंस को रद्द किया जा सकता है।
बता दें कि आंतरिक शिकायत समिति (ICC) के गठन को लेकर जब ‘द संडे गार्डियन’ ने ट्विटर से संपर्क साधा और उससे तीन सवाल किए –
1- भारत में ट्विटर के कार्यालय कब से महिला कर्मचारी अन्य कर्मचारियों के साथ काम कर रहा है?
2- आंतरिक शिकायत समिति की स्थापना कब हुई थी? कृपया वर्ष का उल्लेख करें।
3- जब से ट्विटर भारत में आया हैं, क्या किसी महिला कर्मचारी द्वारा यौन उत्पीड़न के बारे में कोई औपचारिक शिकायत की गई है? यदि हां, तो इन शिकायतों का निवारण किस प्रकार किया गया है?
अपनी प्रतिक्रिया में, ट्विटर प्रवक्ता ने कहा, “ट्विटर कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं करता है और भारतीय कानून के अनुसार यौन उत्पीड़न की शिकायतों को दूर करने के लिए भारत में एक आंतरिक शिकायत समिति (ICC) की स्थापना की गई है। आज तक, आंतरिक शिकायत समिति (ICC) को इस प्रकार की कोई औपचारिक शिकायत नहीं मिली है। हम इस जानकारी का खुलासा कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के साथ अपनी वार्षिक फाइलिंग में करते हैं।”
अगर हम ट्विटर द्वारा दिए गए जवाब को देखें तो इससे साफ पाता चलता है कि ट्विटर मीडिया को भी जवाब देने के ढुल मूल नीति अपना रहा है। किसी भी सवाल का जवाब सीधा नहीं दिया है। द संडे गार्डियन ने आंतरिक शिकायत समिति (ICC) स्थापना के साल के बारे में पूछा है और इतने अहम सवाल को ट्विटर ने नजरंदाज कर दिया है। इससे हम अनुमान लगा सकते हैं कि ट्विटर भारत के कायदे कानून को गंभीरता से नहीं लेता है। साथ ही में ट्विटर को अपने कार्यस्थल पर काम कर रही महिलाओं के प्रति किसी प्रकार की संवेदनशीलता नहीं है।
यह पहली बार नहीं है जब ट्विटर को यौन उत्पीड़न के मामलों में अपनी ढुल मूल नीतियों के लिए रंगे हाथों पकड़ा गया हो। TFI की रिपोर्ट के अनुसार, सोशल मीडिया पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी और बाल कल्याण से संबंधित अन्य मामलों से निपटने के लिए इसके तंत्र के बारे में पूछे जाने पर कंपनी पहले ही राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) से झूठ बोल चुका है।
जब NCPCR ने ट्विटर इंडिया से संपर्क किया और उसे POSCO अधिनियम द्वारा निर्देशित चाइल्ड पोर्नोग्राफी और अन्य अपराधों के मामलों को पुलिस को रिपोर्ट करने के लिए कहा, तो ट्विटर इंडिया ने जानबूझकर झूठ बोला कि ऐसे मामले ट्विटर कैलिफोर्निया के दायरे में आते हैं।
ट्विटर के इस बर्ताव से यह स्पष्ट होता है कि, यह सोशल मीडिया कंपनी भारत के नियमों का अनुपालन नहीं करना चाहता है। ऐसे में भारत सरकार को ट्विटर के ऊपर चल रहे कार्रवाई को और ज्यादा सख्त करना चाहिए, ताकि ट्विटर कहीं से बचकर न निकल पाए साथ में यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि ट्विटर इंडिया भारत सरकार द्वारा बनाए गए हर नियम कानून का सही ढंग से अनुपालन करें।