क्या सच में नीतीश कुमार ने बिहार में COVID मामलों पर काबू पाने के लिए बेहतरीन काम किया है ?

नीतीश

(PC-ichowk)

कोरोना के दूसरे चरण के दौरान देश में मौत का तांडव देखने को मिला था। उस दौरान बिहार में कोरोना पॉजिटिव मामलों में कई गुना बढ़ोतरी हुई थी। परन्तु अधिकारिक आंकड़ों में कोरोना की मृत्यु काफी कम थी। तब यह कहा जा रहा था कि नीतीश कुमार ने बेहतरीन तरीके से कोरोना को हैंडल किया है। परन्तु अब सच्चाई कुछ और सामने आ रही है। रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई है कि बिहार के मौत के आंकड़ों को बड़े पैमाने पर छुपाया गया।

दरअसल, राज्य के Civil Registration System के आंकड़ों के अनुसार, 2021 के पहले पांच महीनों में बिहार में कम से कम 75,000 लोगों की मौत हुई थी। इन मौतों के पीछे का कारण अस्पष्ट है, परन्तु देश में उसी दौरान कोरोनावायरस की दूसरी लहर का तांडव देखने को मिला था। इस संख्या के विपरीत, जनवरी-मई 2021 में बिहार के आधिकारिक कोविड -19 की मौत का आंकड़ा 7,717 है। बता दें कि यह रिपोर्ट एनडीटीवी की है परन्तु यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि कल पटना हाई कोर्ट ने भी राज्य सरकार को कोरोना से हुई मौत के आंकड़ों को सार्वजानिक करने की अनिच्छा पर फटकार लगायी थी। इससे यह बात स्पष्ट है कि कही न कहीं बिहार की नीतीश कुमार की सरकार एक बड़ा कवरअप करने में जुटी हुई है।

रिपोर्ट के अनुसार राज्य के Civil Registration System के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से लेकर मई 2019 में, बिहार में लगभग 1.3 लाख मौतें हुई थीं, जबकि 2021 में इसी अवधि के लिए यह आंकड़ा लगभग 2.2 लाख था। यानी लगभग 82,500 मौतों का अंतर दर्ज किया गया। इसमें से आधे से ज्यादा यानी 62 फीसदी की बढ़ोतरी इस साल मई में दर्ज की गई थी।

हालांकि, जनवरी से मई 2021 के लिए बिहार की आधिकारिक कोविड की मृत्यु दर 7,717 थी, जिसकी घोषणा इस महीने की शुरुआत में सरकार द्वारा कुल 3,971 मौत को जोड़े जाने के बाद की गई थी।

बता दें कि 9 जून को बिहार सरकार ने 3971 और कोविड -19 मौतों को राज्य के कुल 5,458 मौत में जोड़ा था। 12 जून तक राज्य में मरने वालों की संख्या लगभग दोगुनी होकर 9,484 हो गई थी। हाई कोर्ट के आदेश के बाद बिहार में होने वाली मौतों का ऑडिट किया गया था जिसके बाद यह सुधार किया गया था। अब ऐसे में यह सवाल उठता है कि बिहार सरकार ने कोरोना से होने वाली मृत्यु के लगभग 41 प्रतिशत मामलों को क्यों नजरअंदाज किया? अधिकारियों ने यह भी नहीं बताया है कि ये मौतें हुई कब। तो क्या जानबूझ कर की गयी कवरअप थी?

इन नए मौतों के आंकड़ों से न केवल देश में कोरोना से होने वाली मृत्यु की संख्या को बढ़ाया है, बल्कि बिहार के सरकारी तंत्र की सक्षमता पर बड़ा सवाल भी पैदा कर दिया है।

इसके बावजूद, राज्य में कोरोना से होने वाली मृत्यु की अधिकारिक संख्या राज्य की Civil Registration System द्वारा प्रलेखित अतिरिक्त मौतों का एकमात्र अंश है। ऐसे में देखा जाये तो भी 74,808 मौतों का कोई कारण नहीं बताया गया।

बिहार में होने वाली कम रिपोर्टिंग की खबरों के बीच, पटना उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि बिहार सरकार द्वारा राज्य में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या को सार्वजनिक करने की अनिच्छा अनुचित है।

मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की विशेष खंडपीठ ने राज्य सरकार को डिजिटल माध्यमों से ऐसी मौतों के सटीक और समय पर आंकड़ों का खुलासा करने का निर्देश दिया।

न्यायालय ने विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मान्यता प्राप्त नागरिकों के सूचना के मौलिक अधिकार पर जोर दिया। न्यायलय ने अपने आदेश में कहा कि, “सूचना का अधिकार एक मौलिक अधिकार है जिसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने मान्यता दी है, और यह मामला ऐसे ही अधिकार के अंतर्गत आता है। इसलिए, बिहार सरकार भारत का नागरिकों के प्रति एक दायित्व है खासकर राज्य के निवासियों के लिए कि वह जानकारी मुहैया करायें। राज्य के डिजिटल पोर्टल पर मौतों की संख्या जो COVID 19 महामारी के दौरान हुई हो, उसकी जानकारी देना आवश्यक है, चाहे वह किसी भी कारण से हुई हो।”

कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया गया कि सरकार “डिजिटल इंडिया” कार्यक्रम के अनुरूप एक पारदर्शी और आसान डेटाबेस बनाने के लिए बाध्य है।

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अदालत ने ये निर्देश कानून की छात्रा शिवानी कौशिक द्वारा दायर एक याचिका में पारित किए, जिसने राज्य में विभिन्न Covid​​​​-19 से संबंधित मुद्दों को उजागर करने की मांग की थी। न्यायालय के समक्ष मुद्दा यह था कि क्या बिहार राज्य के लोगों को पिछले एक साल में हुई COVID-19 मौतों की संख्या जानने का अधिकार था, और क्या सरकार का कर्तव्य था कि वह डिजिटल प्लेटफॉर्म पर इसका खुलासा करे।

कोर्ट में सरकार की मौतों पर खुलासे की अनिच्छा और फिर Civil Registration System के आंकड़ों में करीब 75,000 मौतों पर जानकारी न होना एक बड़े कवरअप की और इशारा करता है।

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