हिंदुस्तान में भारतीय जनता पार्टी को छोड़ लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों में एक चीज सामान्य है, वह है भाई -भतीजावाद और परिवारवाद। इसका उदहारण आपको कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, DMK अथवा लेफ्ट की पार्टियों में भी देखने को मिलेंगे। इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस का उत्तराधिकारी अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को बना दिया है। बता दें कि शनिवार यानी 5 जून को एक बड़े संगठनात्मक फेरबदल में, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद अभिषेक बनर्जी को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त कर दिया है।
हाल ही में संपन्न पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत के बाद टीएमसी की कार्यसमिति की पहली बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया। पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने अपने संगठनात्मक पदचिह्न को पश्चिम बंगाल से बाहर बढ़ाने के लिए यह फैसला लिया है।
आपको बता दें कि अभिषेक बनर्जी ममता बनर्जी के भतीजे होने के अलावा एक और चीज के लिए बहुचर्चित है वह है- कट मनी ( cut- money) के लिए। जी हां, अभिषेक बनर्जी कोयला खदानों में धांधली और भ्रष्टाचार में से कट मनी लेते थे। कट मनी को अगर हम आसान शब्दों में कहें तो कमीशन खाना हुआ।
यही नहीं तृणमूल कांग्रेस के नए 33 वर्षीय उत्तराधिकारी के ऊपर भ्रष्टाचार के मामलों के अंबार लगा हुआ है। 1 अप्रैल को शुवेंदु अधिकारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक ऑडियो रिकॉर्डिंग का हवाला देते हुए आरोप लगाया था कि अभिषेक बनर्जी 900 करोड़ का घोटाला किया है। छोटे बनर्जी के नाम पर बालू, कोयला और गाय तस्करी के भी मामले दर्ज हैं।
अगर हम अभिषेक बनर्जी और उनके परिवार की करतूतों पर नज़र डालें तो अभिषेक और उनकी पत्नी रुजीरा बनर्जी का नाम कोयला तस्करी मामले से सीधा जुड़ा हुआ है, जिसे लेकर CBI ने रुजीरा से पूछताछ भी की थी। अभिषेक की पत्नी के साथ- साथ उनकी भाभी के पति अंकुश अरोड़ा और उनके पिता पवन अरोड़ा का नाम भी सामने आया था। तस्करी मामले को लेकर CBI ने इन सब से भी पूछताछ की है।
ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल की जनता की बागडोर एक ऐसे आदमी के हाथों में दी है जिसका नाम पश्चिम बंगाल में हुए लगभग हर घोटाले से जुड़ा हुआ है। ऐसे में सवाल उठता है कि कल का तृणमूल कांग्रेस यानी अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल क्या बदलेगा?
इसका जवाब बेहद ही सरल है, पश्चिम बंगाल में गुंडागर्दी और ज्यादा बढ़ जाएगी और भ्रष्टाचार तो चरम पर होगा। अर्थात कुछ नहीं बदलेगा। लेकिन हां एक चीज जरूर बदल सकती है वह है, तृणमूल कांग्रेस पर बनर्जी परिवार की पकड़। यानी भविष्य के अभिषेक के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस पूरी तरह से टूट सकती है। इसका कारण यह है कि अभिषेक बनर्जी परिवारवाद के उपज है, जिनके पास निजी क्षमता शून्य है।