ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड का कॉरपोरेटाइजेशन
भारत सरकार द्वारा ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के कॉरपोरेटाइजेशन का फैसला ऐतिहासिक है। मोदी सरकार ने पिछले वर्ष इस बदलाव की घोषणा की थी और अब सरकार ने ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) को सात अलग-अलग सरकारी कंपनियों में विभाजित करने का फैसला किया है। OFB इस समय हथियार, गोला बारूद, बुलेटफ्रूफ जैकेट, पर्सनल कैंरिंग विहिकल अर्थात सैनिकों को एक जगह से दूसरी जगह सुरक्षित पहुँचाने के लिए गाड़ियां, एन्टी एयरक्राफ्ट गन आदि विभिन्न प्रकार के सैन्य उपकरण बनाती है। ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) के तहत कुल 41 फैक्ट्री आती है, जो गोली से लेकर गाड़ी तक कई श्रेणियों के रक्षा उत्पाद का निर्माण कर रही हैं।
पहले ये सभी एक ही केंद्र से संचालित थे, लेकिन अब इनको सरकार ने 7अलग एवं स्वतंत्र कंपनियों में बांटने का फैसला किया है। ये कंपनियां अपने व्यापार से संबंधित निर्णय लेने में स्वतंत्र होंगी तथा किसी निजी कंपनी की तरह ही अपने फैसले ले सकेंगी। ये सरकारी कंपनी ही रहेंगी किन्तु नियंत्रण सरकार के पास नहीं होगा। इससे लाल फीताशाही की आदत कम होगी और प्रतिस्पर्धा के कारण इनकी कार्यक्षमता बढ़ेगी।
OFB भी हथियारों का निर्यात शुरू करेगा
वर्तमान समय में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) ने जो भी हथियार बनाए हैं वह मूलतः भारत की सेना के लिए ही रहे हैं, लेकिन सरकार को उम्मीद है कि HAL की तरह ही ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) भी हथियारों का निर्यात शुरू करेगा। वर्तमान समय में भारत में बने तेजस विमान, लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर, रडार आदि के लिए वैश्विक स्तर पर मांग बढ़ रही है। किंतु जब सवाल राइफल, हैंडगन जैसी बातों का आता है तो भारत मात्र एक आयातक बनकर रह जाता है। कारण यही है कि वर्षों से यह कार्य OFB के ही जिम्मे रहा है और उनके खराब प्रदर्शन के कारण भारत को रूस, इजराइल, बेल्जियम, अमेरिका आदि देशों से हैंडगन, ऑटोमेटिक राइफल, स्नाइपर राइफल आदि खरीदनी पड़ती हैं। ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) नए अनुसंधान पर भी कोई विशेष खर्च नहीं करता था, किंतु सेना को मजबूरन इससे खराब हथियार खरीदने पड़ते थे क्योंकि यह एक सरकारी कंपनी है।
अभी भारतीय सेना को कई उपकरण भारत में ही खरीदने को मिल जाते हैं जैसे सैन्य इस्तेमाल की गाड़ियां बनाने महिंद्रा कंपनी बना रही है, इसी प्रकार L&T K9 वज्र जैसी बेमिसाल आर्टिलरी गन बनाती है, इसी प्रकार अब हेलमेट और बुलेट प्रूफ जैकेट के मामले में भी निजी कंपनी आगे आई हैं, किंतु वर्षों के तजुर्बे के बाद भी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) पीछे ही रह गई है। लेकिन अब क्योंकि OFB को पर्याप्त स्वायत्तता मिल रही है ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले 10 वर्षों में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) एक प्रमुख रक्षा उत्पादक और निर्यातक बन जाएगा।वैसे भी इसके पास कई प्रकार के उपकरण बनाने की क्षमता पहले से ही मौजूद है।
OFB के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है “नया ढांचा अक्षम सप्लाई चेन को दुरुस्त करके और इन कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बनने में मदद देकर, OFB के वर्तमान तंत्र में मौजूद बहुत सी कमियों को दूर कर देगा। यह उनकी स्वायत्तता को भी बढ़ाएगा।”
भले ही OFB के कर्मचारियों में कुछ तत्वों द्वारा, जो समय के परिवर्तन को स्वीकार करने की क्षमता नहीं रखते, इन बदलावों का विरोध हो रहा है, लेकिन सत्य यह है कि ये बदलाव OFB और भारत को हथियारों का प्रमुख निर्यातक देश बना सकते हैं। यह ढांचागत बदलाव वाजपेयी सरकार के समय पहली बार सरकारी फ़ाइल का हिस्सा बने थे, चूंकि वाजपेयी सरकार के पास बहुमत नहीं था इसलिए उस समय ये सुधार लागू नहीं हो सके। कांग्रेस ने GST, कृषि सुधार, बैंकिंग सुधार आदि की तरह इसे भी लटकाए रखा, लेकिन अब दो दशक की देरी से ही सही, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) में बदलाव हुआ है, अतः उम्मीद की जा सकती है कि अगले 10 वर्षों में इसके सकारात्मक परिणाम भी दिखाई देंगे।