कोरोना की दूसरी लहर में बढ़े मौतों के आंकड़े के कारण अनेकों बच्चे अनाथ हो गए हैं जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट सजग है। वहीं मोदी सरकार भी अनाथ हुए इन बच्चों के लिए एक विशेष योजना लेकर आई है।
इसको लेकर NCPCR के पास सभी राज्यों को अनाथ बच्चों की सारी जानकारी पहुंचाने को कहा गया था, लेकिन पश्चिम बंगाल और दिल्ली सरकार ने इस मामले में कोई विस्तृत डेटा NCPCR की वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया है, जिसके चलते अब सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को ही खरी-खोटी सुना दी है और जल्द से जल्द डेटा अपलोड करने का आदेश दिया है।
कोरोना काल में अनाथ बच्चों के जीवन को सुगम बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट लगातार राज्य सरकारों को सचेत कर रहा है। इसको लेकर मार्च 2020 के बाद से अनाथ हुए बच्चों का डेटा NCPCR पर अपलोड करने की बात कही जा रही है, लेकिन बंगाल सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।
इस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, “हमने कहा था कि मार्च 2020 के बाद अनाथ बच्चों से संबंधित जानकारी इकट्ठा करें और इसमें CNCPS (देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों) को भी शामिल करें। अन्य सभी राज्यों ने इसे ठीक से समझ लिया है और जानकारी अपलोड कर दी है, केवल पश्चिम बंगाल की सरकार ने ही इस आदेश को अभी तक नहीं माना है।”
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ऐसा नहीं है कि इस सूची में केवल पश्चिम बंगाल ही शामिल हैं, बल्कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने दिल्ली सरकार से भी कहा कि जैसे ही दिल्ली के अनाथ बच्चों की सारी जानकारी पूर्ण होती है, तो तुरंत ही दिल्ली सरकार भी अनाथ बच्चों का सारा डेटा NCPCR पर डालें।
वहीं इसके इतर NCPCR की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने भी कहा कि केवल दिल्ली और पश्चिम बंगाल ही हैं जिन्होंने इस महत्वपूर्ण मुद्दे से जुड़ी जानकारी अभी तक साझा नहीं की है।
इस पूरे प्रकरण को देखें तो दिल्ली और बंगाल के वकील इस मुद्दे पर राज्य सरकारों का बचाव भी नहीं कर पा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की लताड़ ने एक बार फिर पश्चिम बंगाल और दिल्ली सरकार की पोल खोल दी है। इस ढुलमुल नीति की वजह इन दिल्ली व पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों की मोदी सरकार के प्रति नफरत है।
दरअसल, मोदी सरकार ने देश के कोरोना से अनाथ हुए बच्चों के जीवन की जिम्मेदारी लेते हुए एक नई योजना शुरू की है। इसके तहत मुफ्त शिक्षा, इलाज़, बीमा तक की सुविधाएं दी गईं हैं।
ऐसे में दिल्ली और पश्चिम बंगाल की सरकारें इस मुद्दे पर राजनीति करने से बाज नहीं आ रही हैं। उन्हें डर है कि इसके जरिए मोदी सरकार को श्रेय मिल जाएगा। इसीलिए ये राज्य सरकारें अपनी राजनीतिक मंशाओं के चलते अनाथ बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ तक करने पर उतारू हो गईं हैं।