आंध्र प्रदेश की राजनीति में ईसाईयों से लेकर मुस्लिमों के तुष्टिकरण के लिए मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी लगातार काम करते रहे हैं। ऐसे में ताजा मामला टीपू सुल्तान की मूर्ति से जुड़ा है। एक तरफ जहां सरकार प्रदेश के कडप्पा जिले में प्रोद्दुतुर में टीपू सुल्तान की मूर्ति लगाने की प्लानिंग कर चुकी है, तो दूसरी ओर बीजेपी ने इस मुद्दे पर जगन सरकार को घेरते हुए इस फैसले का विरोध किया है।
बीजेपी इसे हिन्दू भावनाओं की अवहेलना बताकर आशंका जता रही है कि इस फैसले से क्षेत्र में तनाव हो सकता है। दूसरी ओर स्थानीय विधायक और मुस्लिम समाज टीपू सुल्तान की मूर्ति लगाने की जिद पर अड़ा हुआ है।
जब-जब टीपू सुल्तान का कोई मुद्दा उछलता है तो विवाद खड़ा होना लाज़मी हो जाता है, क्योंकि मुस्लिमों के तुष्टिकरण के लिए राजनीतिक पार्टियां लगातार ऐसे दांव चलती रहती हैं। इसी कड़ी में आंध्र प्रदेश की जगन मोहन रेड्डी की सरकार ने कडप्पा जिले प्रोद्दुतुर में टीपू सुल्तान की मूर्ति लगावाने की योजना बनाई है, जिसके बाद वहां इस फैसले को लेकर विरोध शुरू हो गया है।
इस मुद्दे पर सबसे ज्यादा मुखर बीजेपी है। राज्य के बीजेपी अध्यक्ष इस मुद्दे पर लगातार मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी और स्थानीय प्रशासन की आलोचना कर रहे हैं।
आंध्र प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष सोम वीररजू ने जगन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने कहा, “बीजेपी टीपू सुल्तान की प्रतिमा लगाने की योजना का विरोध करती है, क्योंकि ये हिंदुओं की भावनाओं को आहत करता है।” उन्होंने कहा, “प्रोद्दुतुर शहर सांप्रदायिक सद्भाव का पर्याय है और टीपू सुल्तान की प्रतिमा लगाने से क्षेत्र में तनाव पैदा हो सकता है। स्थानीय बीजेपी नेतृत्व को आशंका है कि इस तरह की कार्रवाई से कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा हो सकती है।”
इतना ही नहीं इस मुद्दे पर बीजेपी नेता सोम वीरराजू ने कहा कि टीपू सुल्तान का कद देश के महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से ज्यादा बड़ा नहीं है। उन्होंने कहा, “टीपू सुल्तान की प्रतिमा के बजाए देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की प्रतिमा लगाई जानी चाहिए। प्रतिमा समिति और शहर के प्रमुख लोगों को अब्दुल कलाम की प्रतिमा पर पुनर्विचार करना चाहिए और उसे स्थापित करना चाहिए।”
साफ है कि, मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी स्थानीय मुस्लिम नेताओं के नेतृत्व में कडप्पा में टीपू सुल्तान की मूर्ति लगवाकर राजनीतिक तौर पर मुस्लिम मतदाताओं को खुश करने की कोशिश में थे, लेकिन इस मुद्दे पर बीजेपी ने ताबड़तोड़ विरोध कर जगन की मुश्किलें बढ़ा हैं।
दिलचस्प बात ये है कि कडप्पा में हिंदू समुदाय की करीब 65 प्रतिशत आबादी है और मुस्लिम समुदाय करीब 31 फीसदी है। ऐसे में जगन 31 फीसदी को खुश करने के खेल में 65 फ़ीसदी हिंदुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
मुस्लिम तुष्टिकरण की उनकी ये नीति बीजेपी समझ चुकी है, और 65 फ़ीसदी हिंदुओं के हितों की बात करने के जरिए पार्टी मुख्य तौर पर सनातन संस्कृति को मजबूत कर रही है तो दूसरी ओर हिंदुओं की एक जुटता बीजेपी के लिए सकारात्मक संकेत भी ला सकती है, जिसके चलते जगन बैकफुट पर चले गए हैं।