ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी और सिंघम के जयकान्त शिकरे में कुछ खास अंतर नहीं है। दोनों की गुंडई से जनता त्रस्त है, दोनों ही अपनी छवि का खास ख्याल रखते हैं, लेकिन दोनों की हठधर्मिता ही उनके विनाश का कारण बनती है। भारत में इस समय जो ट्विटर कर रहा है, उसे आभास भी नहीं है कि उसे इसकी कितनी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
अभी हाल ही में ट्विटर पर कोहराम मच गया, जब उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत, आरएसएस के सहसरकार्यवाह सुरेश ‘भैयाजी’ जोशी सहित कई लोगों के अकाउंट से ‘प्रमाणित’ यानि ‘वेरिफाइड’ का ब्लू टिक वाला स्टिकर हटा दिया गया। इसको लेकर काफी हंगामा मचा, जिसके कारण ट्विटर को तुरंत इन सभी अकाउंट के ‘Verified’ स्टिकर बहाल करने पड़ें।
लेकिन ट्विटर ऐसा क्यों कर रहा है? दरअसल बिग टेक कंपनियों की दादागिरी को देखते हुए केंद्र सरकार ने 25 मई तक अंतिम अल्टिमेटम दिया, जिसके बाद जो भी आईटी कंपनी भारत के संशोधित आईटी अधिनियमों को मानने से मना करेगा, वो सरकार की कार्रवाई से पहले की भांति नहीं बच पाएगा।
कई भारतीयों का मानना है कि ट्विटर पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा देना चाहिए, परंतु ट्विटर भी कहीं न कहीं ऐसा ही चाहता है। वो क्यों? दरअसल ट्विटर चाहता है कि भारत सरकार एक्शन ले, ताकि वह भारत की नकारात्मक छवि दुनिया में पेश कर सके और अपने आप को पीड़ित के तौर पर दिखाकर वह दुनिया के वामपंथियों और उदारवादियों का समर्थन बटोर सके।
परंतु क्या जैक डॉर्सी अपनी आर्थिक बलि भी चढ़ाने को तैयार है? इस बात में कोई दो राय नहीं है कि अमेरिका और जापान के बाद twitter के भारत में सर्वाधिक यूजर्स है। जनवरी 2021 के आंकड़ों के अनुसार, ट्विटर पर अमेरिका के जहां 6 करोड़ से भी ज्यादा यूजर्स हैं तो वहीं भारत के पास साढ़े पाँच करोड़ से अधिक यूजर्स हैं, जो किसी न किसी रूप में ट्विटर का उपयोग करते हैं। भारत ट्विटर के उपयोग के मामले में विश्व में अमेरिका के बाद दूसरे पायदान पर हैं।
यही नहीं, राजस्व के मामले में भी twitter को भारत से जबरदस्त फायदा मिलता आया है। उदाहरण के लिए ट्विटर इंडिया के प्रॉफ़िट 2019 के वित्तीय वर्ष में 108 प्रतिशत की मात्रा से बढ़े थे। अक्टूबर से दिसंबर 2020 के बीच में भारत में twitter का usage 74 प्रतिशत की मात्रा से Year on Year basis पर बढ़ा है। क्या ट्विटर ऐसे लुभावने मार्केट को त्यागने के लिए तैयार हो सकता है?
लेकिन जहां अधिकतर आईटी कंपनियां बिना कुछ शर्तों के साथ केंद्र सरकार के अधिनियमों को मानने के लिए तैयार है। वहीं ट्विटर ऐसे व्यवहार कर रहा है जैसे उससे शक्तिशाली संगठन संसार में कोई नहीं। इसके अलावा जिस प्रकार से वह बिना किसी हिचक के भ्रामक ट्वीट्स को बढ़ावा दे रहा है और विरोध करने पर कई अकाउंट को बिना सूचना और बिना किस ठोस कारण के सस्पेंड कर रहा है, उससे स्पष्ट होता है कि ट्विटर जानबूझकर भारत सरकार को उकसा रहा है।
चूंकि चीन में ट्विटर सहित लगभग सभी बिग टेक कंपनी प्रतिबंधित हैं, इसलिए भारत ही twitter के लिए सबसे बड़ा बाजार है। इसके बावजूद जैक डॉर्सी के नेतृत्व में ट्विटर जानबूझकर पक्षपाती निर्णय ले रहा है, ताकि वह भारत को एक्शन लेने पर बाध्य कर सके और अपने आप को पीड़ित के तौर पर प्रदर्शित कर सके, परंतु शायद जैक को इतिहास का कोई ज्ञान नहीं है, अन्यथा वे उस देश से पंगा लेने का मोल बिल्कुल नहीं लेता, जो चीन जैसे देश के प्रभावशाली एप्स को तब प्रतिबंधित करता है, जब वह अपनी गुंडागर्दी में चरम पर था।